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इनसे सीखो सक्सेस मंत्र / मन के हारे हार है, मन के जीते जीत….
नागपुर.अगर आपसे कहा जाए कि जो देख नहीं सकते वो देखने वालों से ज्यादा सक्षम हैं तो शायद आप न मानें। लेकिन ये बिल्कुल सच है। मन की रोशनी उन्हें रास्ता दिखाती है।कुछ दिन पहले एक चेस कॉम्पिटिशन हुआ। एक टीम में ऐसे लोग थे जो देख सकते थे और दूसरी टीम में जो देख नहीं सकते थे। नतीजा सामने आने पर पता चला कि जो देख नहीं सकते थे उन्होंने दूसरी टीम को धूल चटा दी। सबको आश्चर्य हुआ पर, ये उनके हौसले की जीत थी।
इसलिए कहते हैं-“मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। कहे कबीर हरि पाइए मन ही की परतीत।।” यानी जीवन में हार और जीत केवल मन के भाव हैं। जब हम किसी कार्य के शुरू में ही हार मान लेते हैं कि हम सचमुच में ही हार जाते हैं। लेकिन अपनी मंजिल के लिए जब जूझते हैं तो हमारा आत्मविश्वास कई गुना बढ़ जाता है। इसी सक्सेस मंत्र को लेकर आगे बढ़ रही है नागपुर की आशादीप संस्था । ये उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण हैं, जो देख नहीं सकते या शारीरिक रूप से अक्षम हैं।
शिक्षक और पत्रकार तजिन्दर सिंघ ने महाराष्ट्र खबर 24 को बताया कि गत दिनों संस्था की तरफ से चेस कॉम्पिटिशन का आयोजन किया गया था, जिसे लेकर साथी नीरज नखाते और उन्हें डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाने का मौका मिला। उस दौरान उन खिलाड़ियों को करीब से देखा, जो देख नहीं सकते।
शुभांगी का कॉन्फिडेंस दिल को छू गया
तजिन्दर सिंघ ने बताया कि रोमांच भरे चेस कॉम्पिटिशन के मध्य जब लंच शुरू हुआ, तो ऐसे खिलाड़ियों की टीम जो देख नहीं सकती थी, खाने के टेबल की तरफ बढ़ी। वहां मौजूद कुछ सामान्य खिलाड़ियों ने उनकी मदद की। राज्य स्तर पर प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी खिलाड़ी शुभांगी जब अपनी कुर्सी की ओर बढ़ रही थी तो मैं शुभांगी के लिए खाली कुर्सी हटाकर रास्ता बनाने लगा, तभी मुझे वहां मौजूद ट्यूटर ने रोक दिया। उन्होंने कहा कि कुर्सी मत सरकाइए, शुभांगी ठीक अपनी जगह पर ही जाकर बैठेगी। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण था, मुझे ट्यूटर ने बताया कि पहले शुभांगी ने हाथों के स्पर्श से बैठने के स्थान को महसूस कर लिया था, वो ठीक उसी स्थान को फिर पहचान लेगी, जहां वह खेल रही थी और ठीक ऐसा ही हुआ।
सूरज ढलते ही खिलाड़ियों को ईनाम बांटने का वक्त हो चला था। दृष्टीहीन और पोलियो ग्रसित खिलाड़ियों में जीत की खुशी साफ देखी जा सकती थी। तजिन्दर सिंघ ने बताया शूटिंग के बाद लौटते वक्त साथी नीरज से मैंने कहा कि ईश्वर ने शायद उन्हें आंखों के बदले मजबूत आत्मविश्वास और वो बहुत कुछ दे दिया, जो हमारे पास नहीं है।
अभिषेक के जज्बे का कोई सानी नहीं
एक खास बात की ओर ध्यान खींचते हुए तजिन्दर सिंघ ने बताया कि उसी वक्त वे और साथी नीरज अभिषेक नामक एक युवक का इंटरव्यू लेने गए। तजिन्दर सिंघ ने कहा कि कैमरे के पीछे से मेरे सवाल के जवाब में अभिषेक ने जवाब दिया कि मैं यहां हार और जीत के लिए नहीं आया, बल्कि खुद को अपडेट करने आया हूं.. अगर हार गया तो कोई गम नहीं, मुझे खुशी है कि मैं उनकी बराबरी कर सकता हूं, जो देख सकते हैं।
तजिन्दर सिंघ ने बताया कि अभिषेक जैसा कॉन्फिडेंस मैंने सामान्य लोगों में भी नहीं देखा, वो अपनी बातों को लेकर स्पष्ट था। वो बहुत अच्छा गायक भी है, उसके एक गीत ने कार्यक्रम के अंत में खूब तालियां बटोरीं। बीकॉम फाइनल ईयर में पढ़ रहे अभिषेक ने मुझसे नंबर पूछा और अपने मोबाइल में सेव कर लिया।
नागपुर.अगर आपसे कहा जाए कि जो देख नहीं सकते वो देखने वालों से ज्यादा सक्षम हैं तो शायद आप न मानें। लेकिन ये बिल्कुल सच है। मन की रोशनी उन्हें रास्ता दिखाती है।कुछ दिन पहले एक चेस कॉम्पिटिशन हुआ। एक टीम में ऐसे लोग थे जो देख सकते थे और दूसरी टीम में जो देख नहीं सकते थे। नतीजा सामने आने पर पता चला कि जो देख नहीं सकते थे उन्होंने दूसरी टीम को धूल चटा दी। सबको आश्चर्य हुआ पर, ये उनके हौसले की जीत थी।
इसलिए कहते हैं-“मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। कहे कबीर हरि पाइए मन ही की परतीत।।” यानी जीवन में हार और जीत केवल मन के भाव हैं। जब हम किसी कार्य के शुरू में ही हार मान लेते हैं कि हम सचमुच में ही हार जाते हैं। लेकिन अपनी मंजिल के लिए जब जूझते हैं तो हमारा आत्मविश्वास कई गुना बढ़ जाता है। इसी सक्सेस मंत्र को लेकर आगे बढ़ रही है नागपुर की आशादीप संस्था । ये उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण हैं, जो देख नहीं सकते या शारीरिक रूप से अक्षम हैं।
शिक्षक और पत्रकार तजिन्दर सिंघ ने महाराष्ट्र खबर 24 को बताया कि गत दिनों संस्था की तरफ से चेस कॉम्पिटिशन का आयोजन किया गया था, जिसे लेकर साथी नीरज नखाते और उन्हें डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाने का मौका मिला। उस दौरान उन खिलाड़ियों को करीब से देखा, जो देख नहीं सकते।
शुभांगी का कॉन्फिडेंस दिल को छू गया
तजिन्दर सिंघ ने बताया कि रोमांच भरे चेस कॉम्पिटिशन के मध्य जब लंच शुरू हुआ, तो ऐसे खिलाड़ियों की टीम जो देख नहीं सकती थी, खाने के टेबल की तरफ बढ़ी। वहां मौजूद कुछ सामान्य खिलाड़ियों ने उनकी मदद की। राज्य स्तर पर प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी खिलाड़ी शुभांगी जब अपनी कुर्सी की ओर बढ़ रही थी तो मैं शुभांगी के लिए खाली कुर्सी हटाकर रास्ता बनाने लगा, तभी मुझे वहां मौजूद ट्यूटर ने रोक दिया। उन्होंने कहा कि कुर्सी मत सरकाइए, शुभांगी ठीक अपनी जगह पर ही जाकर बैठेगी। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण था, मुझे ट्यूटर ने बताया कि पहले शुभांगी ने हाथों के स्पर्श से बैठने के स्थान को महसूस कर लिया था, वो ठीक उसी स्थान को फिर पहचान लेगी, जहां वह खेल रही थी और ठीक ऐसा ही हुआ।
सूरज ढलते ही खिलाड़ियों को ईनाम बांटने का वक्त हो चला था। दृष्टीहीन और पोलियो ग्रसित खिलाड़ियों में जीत की खुशी साफ देखी जा सकती थी। तजिन्दर सिंघ ने बताया शूटिंग के बाद लौटते वक्त साथी नीरज से मैंने कहा कि ईश्वर ने शायद उन्हें आंखों के बदले मजबूत आत्मविश्वास और वो बहुत कुछ दे दिया, जो हमारे पास नहीं है।
अभिषेक के जज्बे का कोई सानी नहीं
एक खास बात की ओर ध्यान खींचते हुए तजिन्दर सिंघ ने बताया कि उसी वक्त वे और साथी नीरज अभिषेक नामक एक युवक का इंटरव्यू लेने गए। तजिन्दर सिंघ ने कहा कि कैमरे के पीछे से मेरे सवाल के जवाब में अभिषेक ने जवाब दिया कि मैं यहां हार और जीत के लिए नहीं आया, बल्कि खुद को अपडेट करने आया हूं.. अगर हार गया तो कोई गम नहीं, मुझे खुशी है कि मैं उनकी बराबरी कर सकता हूं, जो देख सकते हैं।
तजिन्दर सिंघ ने बताया कि अभिषेक जैसा कॉन्फिडेंस मैंने सामान्य लोगों में भी नहीं देखा, वो अपनी बातों को लेकर स्पष्ट था। वो बहुत अच्छा गायक भी है, उसके एक गीत ने कार्यक्रम के अंत में खूब तालियां बटोरीं। बीकॉम फाइनल ईयर में पढ़ रहे अभिषेक ने मुझसे नंबर पूछा और अपने मोबाइल में सेव कर लिया।
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नागपुर में बर्ड फ्लू की दस्तक
3 बाघों और 1 तेंदुए की मौत, रेड अलर्ट
वेब डेस्क, महाराष्ट्र खबर24.कॉम
नागपुर, 6 जनवरी
संतरानगरी में इन दिनों हड़कंप मचा हुआ है। राज्य में पहली बार बर्ड फ्लू से हुई बाघों और 1 तेंदुए की मौत ने पूरे वन विभाग को हिलाकर रख दिया। इसलिए सभी चिडियाघरों, ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटरों में विशेष सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं। चूंकि यह वायरस हवा से फैलता है, इसलिए संभावना है कि यह इंसानों के लिए भी खतरा हो सकता है।इसीलिए गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर में सभी जंगली जानवरों की जांच और रखरखाव के लिए 6 पशु चिकित्सकों की एक टीम बनाई गई है। नागपुर पशुवैद्यकीय महाविद्यालय के संस्थापक डॉ. शिरीष उपाध्याय के नेतृत्व में पिंजरों में बंद पक्षियों, जंगली जानवरों की जांच की गई। वन्यजीवों और पक्षियों का नमूना लिया गया है।
सैंपल लिए गए
उनकी जांच रेस्क्यू सेंटर की प्रयोगशाला में की जाएगी। ज्ञात हो कि गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर में उपचार के दौरान हुई बाघों और तेंदुए की मौत के बाद उनके नमूने जांच के लिए भोपाल की पशु चिकित्सा प्रयोगशाला भेजे गए थे। रिपोर्ट में बर्ड फ्लू के कारण मौत सामने आने के बाद अब गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर प्रबंधन ने कड़े कदम उठाए हैं। रेस्क्यू सेंटर में पांच प्रजातियों की जांच की गई है।पशुचिकित्सक द्वारा इनके सैंपल भी ले लिए गए हैं। इसमें 12 बाघ, 24 तेंदुए, चील, दो भालू और तोते शामिल हैं। नमूने लेते समय पशुचिकित्सक द्वारा विशेष एहतियात के तौर पर पीपीई किट का उपयोग किया गया। मुख्य वन्यजीव रक्षक डॉ. विवेक खांडेकर ने कहा कि यह पहली बार है कि इस तरह के वायरस से बाघों की मौत हुई है। इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जंगली जानवरों से इंसानों को कोई नुकसान न हो और इसका प्रकोप न हो, इसका विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य में भी विशेष अलर्ट दिया गया है।
रेसक्यू सेंटर जाने पर प्रतिबंध
गोरेवाड़ा प्रोजेक्ट के डिवीजनल मैनेजर शतानिक भागवत ने कहा, “गोरेवाडा रेस्क्यू सेंटर और प्राणी संग्रहालय लिए अलग-अलग पशु चिकित्सक है। इस घटना के पश्चात प्राणी संग्रहालय के डॉक्टरों को रेस्क्यू सेंटर में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं रेस्क्यू सेंटर के डॉक्टरों को भी क्वारंटाइन कर दिया गया है। जंगली जानवरों में बर्ड फ्लू के संक्रमण से बचने के लिए प्राणी संग्रहालय का दौरा करने से लेकर नियंत्रण के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं।”
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अग्रवाल एकता क्लब ने बनाया पंचांग कैलेंडर
नववर्ष को सांस्कृतिक महोत्सव वर्ष के रूप में मनाया जाएगा
Webdesk, maharashtrakhabar24.com
Nagpur, 30 December
भारतीय अग्रवाल एकता क्लब की 2024 – 25 की टीम ने इस वर्ष को सांस्कृतिक महोत्सव वर्ष के रूप में मनाने का निश्चय किया है. जिसके अंतर्गत अपने सदस्यों को हिंदू त्यौहारों, दैनिक तिथियों के बारे में जानकारी देने हेतु भारतीय अग्रवाल एकता क्लब ने पहली बार पंचांग कैलेंडर बनाया. जिसमें सभी त्योहार को विशेष रूप से राजस्थानी त्योहारों को हाईलाइट किया गया है. अग्र महान विभूतियों की फोटो उनकी जन्म तारीख पर डालकर उनका परिचय समाज को दिया गया है. यह कैलेंडर सभी सदस्यों तक तो पहुंचाया ही जा रहा है, साथ ही अग्रवाल समाज के अन्य लोगों तक भी इसे पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.
उपयोगी एवं आकर्षक कैलेंडर
कैलेंडर की परिकल्पना क्लब के चेयरमैन प्रकाश अग्रवाल, अध्यक्ष गिरीश लिलड़िया, उपाध्यक्ष मुरली महिपाल ने की। सचिव विजय सराफ, कोषाध्यक्ष दीपक अग्रवाल, संयोजक अंबर अग्रवाल, एडवोकेट संजय अग्रवाल, भावेश लिलड़िया, कृष्णा अग्रवाल आदि ने मिलकर इसे एक उपयोगी एवं आकर्षक कैलेंडर का मूर्त रूप दिया.
कैलेंडर की ग्राफिक डिजाइनिंग में विशेष सहयोग नेम कुमार अग्रवाल ने दिया. कैलेंडर बनाने में आर्थिक सहयोग डॉ सौरभ अग्रवाल आशा हॉस्पिटल कामठी, विजय लोहिया, भावेश अग्रवाल साजन प्लास्टिक, भावेन अग्रवाल सेमू प्लास्टिक,संतोष अग्रवाल प्रिया हाइजीन सोल्यूशन,विजय अग्रवाल कल्पना प्लास्टिक, आशीष अग्रवाल प्रिया ट्रेडर्स, आशीष जैन क्रेज़ी किड्स, अभय अग्रवाल आर एस बोरवेल, कृष्णा अग्रवाल नीलेश जनरल, डॉ यश अग्रवाल, चेतन पाड़िया, प्लूटो इलेक्ट्रॉटेक, स्विस ब्यूटी आदि का रहा.
‘स्वागतम 2025’ का आयोजन
संस्था के आगामी प्रोजेक्ट में स्वागतम 2025 मुरारका ग्रुप के सहयोग से 31 दिसंबर को राधा कृष्ण लॉन वर्धा रोड में करने जा रहा है.जिसमें वहां ढेर सारी मस्ती, गेम, DJ के साथ डांस करेंगे. इस प्रोग्राम के चीफ कोऑर्डिनेटर शैलेंद्र अग्रवाल, राजेश गोयल, विशाल अग्रवाल एवं संयोजक पवन एस अग्रवाल, सीए स्वप्निल अग्रवाल, राजेश अग्रवाल, ललित खेतान, मनोज अग्रवाल और टीम के सभी सदस्य इसे सफल बनाने में मेहनत कर रहे हैं.
संस्था के वाइस चेयरमैन राजेश भोलिका, उपाध्यक्ष सचिन अग्रवाल, सह सचिव सुशील धानुका, सह कोषाध्यक्ष सचिन एस अग्रवाल, PRO राज अग्रवाल सभी पूर्व चेयरमैन अशोक गोयल, राजीव चौधरी, प्रकाश गोयल, नरेंद्र पचेरीवाला, सुभाष अग्रवाल, जगदीश अग्रवाल, अजीत मित्तल, शैलेंद्र अग्रवाल, संदीप छापरिया, वेणुगोपाल अग्रवाल,CA शंभू टेकरीवाल, गोपीकिशन टिबडा, राजेश गोयल, तुषार अग्रवाल, सूर्यकांत अग्रवाल,CA राजेश मोदी, विशाल अग्रवाल, प्रमोद अग्रवाल,संदीप अग्रवाल, राजेंद्र कुमार अग्रवाल, डॉक्टर दिनेश अग्रवाल, CA संजय अग्रवाल, एडवोकेट संजय अग्रवाल आदि का सभी कार्यक्रम में विशेष सहयोग मिल रहा है.
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चुनाव में पहली बार मैदान में 357 महिला उम्मीदवार
किसी महिला को CM-DCM का पद नहीं
Web Desk, maharashtrakhabar24.com.
Nagpur, 12 nov.2024
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा. 2019 तक प्रदेश में 13 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. इस बार का चुनाव कई मायनों में खास है. राज्य के इतिहास में पहली बार 357 महिला उम्मीदवार अपनी राजनीतिक किस्मत आजमाएंगी. इससे पहले 2014 में 277 महिलाएं चुनाव मैदान में थीं. 2019 की विधानसभा तक 3 हजार 744 विधायक प्रदेश में जीतकर आए थे. इनमें से 160 महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिला. पुरुषों की तुलना में यह अनुपात सिर्फ 4.27 फीसदी है. इस साल जब महिला वोटरों की संख्या बढ़ी है तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या महिला विधायक बनने का रिकॉर्ड टूट पाएगा?
महाराष्ट्र फुले-शाहू-आंबेडकर का राज्य है. 2019 में 3 हजार 237 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. इनमें से 235 महिला उम्मीदवार थीं. उसमें से 24 महिलाओं ने जीत हासिल की. चुनाव में 50 फीसदी महिलाएं वोट करती हैं, जो इसकी तुलना में नगण्य है. पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की एक स्टडी के मुताबिक, वर्तमान में लोकसभा में 15 फीसदी और राज्यसभा में 13 फीसदी सांसद महिलाएं हैं. 1972 में विधानसभा चुनाव में 51 महिलाएं मैदान में थीं.
चुनी गईं सबसे ज्यादा महिलाएं
2019 के चुनाव में सबसे ज्यादा 24 महिलाएं चुनी गईं. महाराष्ट्र में अब तक किसी महिला को मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री का पद नहीं मिला है. 1962 से 1919 तक 1 हजार 685 महिलाओं ने अपनी किस्मत आजमाई लेकिन केवल 165 महिलाएं ही विजेता रहीं. 1972 में महाराष्ट्र विधानसभा में कोई महिला नहीं थी.
विदर्भ में 4 महिलाओं की जीत
विदर्भ के मामले में, 2019 में 95 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं. इनमें से केवल चार महिला उम्मीदवार श्वेता महाले (चिखली), प्रतिभा धानोरकर (वरोरा), यशोमति ठाकुर (तिवसा) और सुलभा खोडके (अमरावती) ने जीत हासिल की. क्या इस साल बढ़ेगी विदर्भ और महाराष्ट्र की संख्या? इसका पता 23 नवंबर को आने वाले नतीजों के बाद चलेगा.
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