बिल नहीं फाड़ते तो बच जाते!

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राहुल के सामने अपनी सदस्यता गंवाने का खतरा

नई दिल्ली. मानहानि के केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात की एक कोर्ट ने 2 साल की जेल की सजा सुनाई है. हालांकि इस मामले में उन्हें तुरंत जमानत भी मिल गई और एक महीने की मोहलत भी दी गई है. आपको याद  होगा कि यूपीए सरकार के दौरान राहुल गांधी ने एक बिल को सरेआम सबके सामने फाड़ दिया था.

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उस बिल को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह सहित पूरी कैबिनेट ने पास किया था. राहुल गांधी ने संसद और कैबिनेट का अपमान करते हुए बिल को फाड़ दिया था. दरअसल उस समय की सरकार ने एक बिल बनाया और उसे पास भी करवाया. इस कानून संशोधन में यह प्रावधान किया गया था कि यदि किसी व्यक्ति को पांच वर्ष की सजा होगी, तभी उसकी लोकसभा या विधानसभा सदस्यता खत्म होगी. इसके बाद मनमोहन सिंह कैबिनेट ने इस बिल को संसद में पास नहीं करवाया.

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आज  प्रावधान यह है कि दो वर्ष की सजा होने पर सदस्य की सदस्यता खत्म हो सकती है. लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि, कोई भी सांसद, विधायक और विधानपरिषद सदस्य अगर किसी केस में दोषी पाया जाता है और कम से कम दो साल की सजा सुनाई जाती है तो उसकी तत्काल प्रभाव से हाऊस से सदस्यता रद्द हो जाएगी. आज राहुल गांधी के सामने अपनी सदस्यता गंवाने का खतरा है.

लोकसभा स्पीकर लेंगे फैसला

राहुल वायनाड से लोकसभा सांसद हैं. ऐसे में एक प्रश्न यह भी है कि क्या दो साल की सजा मिलने के बाद राहुल की संसद सदस्यता खतरे में है? ये प्रश्न इसलिए क्योंकि, इससे पहले दोषी पाए जाने और दो साल या इससे अधिक की सजा मिलने के बाद कई विधायकों, सांसदों की सदस्यता खत्म की जा चुकी है. समाजवादी पार्टी नेता आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला खान  को  दो-दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म कर दी गई थी. इस संबंध में भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मीडिया कॉन्फ्रेंस में बताया कि राहुल की सदस्यता के संबंध में लोकसभा के स्पीकर फैसला लेंगे.

अब आगे का रास्ता क्या है

राहुल गांधी  को जमानती धाराओं के तहत दोषी करार दिया गया है. उन्हें अपर कोर्ट में अपील करने के लिए भी 30 दिन का समय दिया गया है. अब राहुल के पास एक ही रास्ता है कि वह अपर कोर्ट में अपील करके अपने को निर्दोष साबित करें और अपनी 2 साल की सजा को भी खत्म करवाएं.

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