Connect with us

desh dunia

बिल नहीं फाड़ते तो बच जाते!

Published

on

राहुल के सामने अपनी सदस्यता गंवाने का खतरा

नई दिल्ली. मानहानि के केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात की एक कोर्ट ने 2 साल की जेल की सजा सुनाई है. हालांकि इस मामले में उन्हें तुरंत जमानत भी मिल गई और एक महीने की मोहलत भी दी गई है. आपको याद  होगा कि यूपीए सरकार के दौरान राहुल गांधी ने एक बिल को सरेआम सबके सामने फाड़ दिया था.

https://en.wikipedia.org/wiki/Rahul_Gandhi

उस बिल को पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह सहित पूरी कैबिनेट ने पास किया था. राहुल गांधी ने संसद और कैबिनेट का अपमान करते हुए बिल को फाड़ दिया था. दरअसल उस समय की सरकार ने एक बिल बनाया और उसे पास भी करवाया. इस कानून संशोधन में यह प्रावधान किया गया था कि यदि किसी व्यक्ति को पांच वर्ष की सजा होगी, तभी उसकी लोकसभा या विधानसभा सदस्यता खत्म होगी. इसके बाद मनमोहन सिंह कैबिनेट ने इस बिल को संसद में पास नहीं करवाया.

ये भी पढ़ें : https://maharashtrakhabar24.com/wp-admin/post.php?post=2213&action=edit

आज  प्रावधान यह है कि दो वर्ष की सजा होने पर सदस्य की सदस्यता खत्म हो सकती है. लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि, कोई भी सांसद, विधायक और विधानपरिषद सदस्य अगर किसी केस में दोषी पाया जाता है और कम से कम दो साल की सजा सुनाई जाती है तो उसकी तत्काल प्रभाव से हाऊस से सदस्यता रद्द हो जाएगी. आज राहुल गांधी के सामने अपनी सदस्यता गंवाने का खतरा है.

लोकसभा स्पीकर लेंगे फैसला

राहुल वायनाड से लोकसभा सांसद हैं. ऐसे में एक प्रश्न यह भी है कि क्या दो साल की सजा मिलने के बाद राहुल की संसद सदस्यता खतरे में है? ये प्रश्न इसलिए क्योंकि, इससे पहले दोषी पाए जाने और दो साल या इससे अधिक की सजा मिलने के बाद कई विधायकों, सांसदों की सदस्यता खत्म की जा चुकी है. समाजवादी पार्टी नेता आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला खान  को  दो-दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म कर दी गई थी. इस संबंध में भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मीडिया कॉन्फ्रेंस में बताया कि राहुल की सदस्यता के संबंध में लोकसभा के स्पीकर फैसला लेंगे.

अब आगे का रास्ता क्या है

राहुल गांधी  को जमानती धाराओं के तहत दोषी करार दिया गया है. उन्हें अपर कोर्ट में अपील करने के लिए भी 30 दिन का समय दिया गया है. अब राहुल के पास एक ही रास्ता है कि वह अपर कोर्ट में अपील करके अपने को निर्दोष साबित करें और अपनी 2 साल की सजा को भी खत्म करवाएं.

desh dunia

वंदे भारत ट्रेन के सामने जा गिरीं MLA

Published

on

By

वेबडेस्क, महाराष्ट्र खबर24

आगरा-बनारस वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाने का कार्यक्रम अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गया.  ट्रेन को झंडी दिखाते समय भाजपा की इटावा सदर विधायक सरिता भदौरिया वंदे भारत ट्रेन के सामने जा गिरीं.

Continue Reading

desh dunia

अब आपको नहीं लगाने होंगे डॉक्टरों के चक्कर

Published

on

By

हर डॉक्टर की होगी यूनिक  ID

वेबडेस्क, महाराष्ट्र खबर24

अब आपको सही इलाज के लिए डॉक्टरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है. क्योकि हर डॉक्टर की यूनिक आईडी होगी जिससे आपको उस डॉक्टर के बारे में सारी जानकारी उपलब्ध होगी. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बीमारी का सही इलाज हो सकेगा. आपको भटकना नहीं पड़ेगा.देश में अब हर डॉक्टर की एक अलग पहचान होगी. उन्हें एक यूनिक आईडी नंबर दिया जाएगा. सरकार ने सभी डॉक्टरों के लिए नेशनल मेडिकल रजिस्टर (एनएमआर) में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है. डॉक्टरों को MBBS सर्टिफिकेट, रजिस्ट्रेशन और आधार कार्ड सबमिट करना होगा. इस पोर्टल को नेशनल मेडिकल कमीशन ने तैयार किया है.

इसलिए पड़ी जरूरत

नेशनल मेडिकल कमीशन के एक अधिकारी के मुताबिक, आज तक हमारे पास ऐसा कोई डेटा नहीं था, जो यह बता सके कि देश में कुल कितने डॉक्टर हैं. हालांकि, एक अनुमानित संख्या है, लेकिन सही आंकड़े अब पता चलेंगे. इसके अलावा कितने डॉक्टरों ने देश छोड़ दिया. कितने डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द हुआ. कितने डॉक्टरों की जान गई. ये सारी जानकारी अब एक पोर्टल पर दिखेगी. अधिकारी के मुताबिक, करीब 13 लाख से ज्यादा डॉक्टर इससे जुड़ सकते हैं.

रजिस्ट्रेशन शुरू,  आप भी देख सकेंगे

 डेटा नेशनल मेडिकल कमीशन के सचिव डॉ. बी श्रीनिवास ने कहा, पोर्टल पर तत्काल प्रभाव से डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन शुरु हो गया है. इसमें कुछ डेटा आम लोगों को दिखाई देंगा. बाकी जानकारी नेशनल मेडिकल कमीशन, स्टेट मेडिकल काउंसिल, नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जॉमिनेशन, एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड और मेडिकल इंस्टीट्यूट को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार दिखाई देंगे.

Continue Reading

desh dunia

सजा माफ कराने वकीलों के झूठ से हलाकान सुप्रीम कोर्ट

Published

on

By

जताई नाराजगी, कहा- हमारा विश्वास हिल गया है

वेब डेस्क, महाराष्ट्र खबर 24.दोषियों की सजा माफी और समय से पहले रिहाई कराने के लिए अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में झूठे बयान दे रहे हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि लगातार इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. इससे हमारा विश्वास हिल गया है. न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति आॅगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि पिछले तीन हफ्तों में उनके सामने ऐसे कई मामले आए हैं जहां दलीलों में गलत बयान दिए गए.पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अदालत में सजा में छूट न दिए जाने की शिकायत को लेकर बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर की जा रही हैं. पिछले तीन सप्ताह में यह सातवां मामला हमारे सामने आया है, जिसमें दलीलों में गलत बयान दिए गए हैं. शीर्ष अदालत में पीठ के सामने रोज 60-80 मामले दर्ज होते हैं. जजों के लिए हर मामले के प्रत्येक पेज को पढ़ना संभव नहीं है. फिर भी हर मामले को करीब से देखा जाता है.

भरोसे पर काम करता है  सिस्टम

पीठ ने कहा कि हमारा सिस्टम विश्वास पर काम करता है. जब हम मामलों की सुनवाई करते हैं तो हम बार के सदस्यों पर भरोसा करते हैं. लेकिन जब हमारे सामने इस तरह के मामले आते हैं, तो हमारा विश्वास हिल जाता है. कोर्ट ने कहा कि एक मामले में छूट की मांग के लिए दायर रिट याचिका में न केवल गलत बयान दिए गए हैं, बल्कि अदालत के समक्ष एक गलत बयान दिया गया. पीठ ने कहा कि समयपूर्व रिहाई के लिए आदेश मांगने वाली याचिका में अपराध की प्रकृति बहुत ही महत्वपूर्ण विचार है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह छूट के लिए मामलों को देखे और इसके बाद आदेश पारित करे.

दो उदाहरण भी दिए

1- याचिकाकतार्ओं के  एडवोकेट ने जेल अधिकारियों को संबोधित 15 जुलाई, 2024 के ईमेल में झूठे बयान दोहराए. वकील इस स्थिति से अवगत थे. लेकिन 19 जुलाई, 2024 को एक गलत बयान दिया गया कि सभी याचिकाकतार्ओं सजा की अवधि समाप्त नहीं हुई है. याचिका में कहा गया था कि चार याचिकाकतार्ओं ने एक मामले में 14 साल की सजा बिना छूट के काट ली है. जबकि मामले में दिल्ली सरकार ने हलफनामा दायर किया था कि चार में से दो कैदियों ने सजा में छूट पाने के लिए 14 साल की सजा पूरी नहीं की है. पीठ ने कहा कि याचिका में गलत बयान दिया गया कि सभी चार याचिकाकतार्ओं ने वास्तविक 14 साल की सजा काट ली है.

2-हत्या के आरोप में दोषी पाए गए पांच अपराधियों को लेकर भी कोर्ट में गलत बयान दिए गए. याचिका में कहा गया था कि पांचों दोषियों को हत्या के आरोप में दोषी पाया गया है. जबकि अदालत ने पाया कि उनमें से दो को अन्य अपराधों के लिए भी दोषी ठहराया गया. एक को शस्त्र अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था और दूसरे को फिरौती के लिए अपहरण और सबूत नष्ट करने के अपराध के लिए भी दोषी ठहराया गया था.

 

Continue Reading

Trending