दिल्ली. अक्सर आपने नेताओं के बोलवचन और भड़काऊ भाषण सुने होंगे। टीवी पर बहस के दौरान गुस्सा दिखाते हुए नफरती बोल भी बोलते हुए देखा होगा। यह बीमारी देश में तेजी से बढ़ती जा रही है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट इस पर सख्त हो गई है। हेट स्पीच के बढ़ते मामलों को देखते हुए जस्टिस जोसेफ और जस्टिस नागरत्ना की पीठ ने कहा कि ने कहा कि राज्य में हेट स्पीच की घटनाओं के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। वह समय रहते कोई कार्रवाई नहीं करती, इसलिए राज्य में इस तरह की घटनाएं होती हैं। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी उन राजनेताओं को आईना दिखाने का काम करेगी, जो पब्लिक के सामने किसी भी धर्म के बारे में कुछ भी कह देते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नफरती भाषणों को गंभीरता से लिया है और इसके लिए एक तंत्र बनाने को कहा है ताकि नफरती भाषणों को रोका जा सके.
यह कहा बैंच ने
1.जिस वक्त राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे और नेता राजनीति में धर्म का इस्तेमाल करना बंद कर देंगे तो हेट स्पीच जैसे मामले सामने नहीं आएंगे.
2. भारत के लोगों को ऐसे नागरिकों या समुदायों का तिरस्कार करने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि ऐसे लोगों को बढ़ावा न मिले।
3.कुछ टीवी चैनल पर हर दिन लोग एक दूसरे लोग व धर्मों को बदनाम कर रहे हैं. अदालत हेट स्पीच के कितने मामलों की सुनवाई करेगी.
4.देश के लोग दूसरे लोगों व समुदायों को अपमानित नहीं करने का प्रण क्यों नहीं लेते.
5.लोगों को संयम बरतने की आवश्यकता है. हम संयम बरतें और दूसरे धर्म के खिलाफ कोई अप्रिय बातें नहीं कहें.
महाराष्ट्र सरकार कुछ नहीं कर रही
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार से कहा कि आप क्या तंत्र बना रहे हैं. इस पर जवाब दें, अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी. जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि राज्य सरकार कुछ नहीं कर रही. शांत है, इसलिए सबकुछ हो रहा है.
‘जिन्होंने इस देश को अपना देश चुना’
जस्टिस जोसेफ ने कहा, वो लोग जिन्होंने इस देश को अपना देश चुना। वे तुम्हारे भाई-बहन की तरह हैं। भाषण का स्तर इतना नीचे तक नहीं जाना चाहिए। हमारी संस्कृति विभिन्नताओं को स्वीकार करने की है।’