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सजा माफ कराने वकीलों के झूठ से हलाकान सुप्रीम कोर्ट

जताई नाराजगी, कहा- हमारा विश्वास हिल गया है
वेब डेस्क, महाराष्ट्र खबर 24.दोषियों की सजा माफी और समय से पहले रिहाई कराने के लिए अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में झूठे बयान दे रहे हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि लगातार इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. इससे हमारा विश्वास हिल गया है. न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति आॅगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि पिछले तीन हफ्तों में उनके सामने ऐसे कई मामले आए हैं जहां दलीलों में गलत बयान दिए गए.पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अदालत में सजा में छूट न दिए जाने की शिकायत को लेकर बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर की जा रही हैं. पिछले तीन सप्ताह में यह सातवां मामला हमारे सामने आया है, जिसमें दलीलों में गलत बयान दिए गए हैं. शीर्ष अदालत में पीठ के सामने रोज 60-80 मामले दर्ज होते हैं. जजों के लिए हर मामले के प्रत्येक पेज को पढ़ना संभव नहीं है. फिर भी हर मामले को करीब से देखा जाता है.
भरोसे पर काम करता है सिस्टम
पीठ ने कहा कि हमारा सिस्टम विश्वास पर काम करता है. जब हम मामलों की सुनवाई करते हैं तो हम बार के सदस्यों पर भरोसा करते हैं. लेकिन जब हमारे सामने इस तरह के मामले आते हैं, तो हमारा विश्वास हिल जाता है. कोर्ट ने कहा कि एक मामले में छूट की मांग के लिए दायर रिट याचिका में न केवल गलत बयान दिए गए हैं, बल्कि अदालत के समक्ष एक गलत बयान दिया गया. पीठ ने कहा कि समयपूर्व रिहाई के लिए आदेश मांगने वाली याचिका में अपराध की प्रकृति बहुत ही महत्वपूर्ण विचार है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह छूट के लिए मामलों को देखे और इसके बाद आदेश पारित करे.
दो उदाहरण भी दिए
1- याचिकाकतार्ओं के एडवोकेट ने जेल अधिकारियों को संबोधित 15 जुलाई, 2024 के ईमेल में झूठे बयान दोहराए. वकील इस स्थिति से अवगत थे. लेकिन 19 जुलाई, 2024 को एक गलत बयान दिया गया कि सभी याचिकाकतार्ओं सजा की अवधि समाप्त नहीं हुई है. याचिका में कहा गया था कि चार याचिकाकतार्ओं ने एक मामले में 14 साल की सजा बिना छूट के काट ली है. जबकि मामले में दिल्ली सरकार ने हलफनामा दायर किया था कि चार में से दो कैदियों ने सजा में छूट पाने के लिए 14 साल की सजा पूरी नहीं की है. पीठ ने कहा कि याचिका में गलत बयान दिया गया कि सभी चार याचिकाकतार्ओं ने वास्तविक 14 साल की सजा काट ली है.
2-हत्या के आरोप में दोषी पाए गए पांच अपराधियों को लेकर भी कोर्ट में गलत बयान दिए गए. याचिका में कहा गया था कि पांचों दोषियों को हत्या के आरोप में दोषी पाया गया है. जबकि अदालत ने पाया कि उनमें से दो को अन्य अपराधों के लिए भी दोषी ठहराया गया. एक को शस्त्र अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था और दूसरे को फिरौती के लिए अपहरण और सबूत नष्ट करने के अपराध के लिए भी दोषी ठहराया गया था.
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बहू-बेटियां सावधान : हाईकोर्ट ने कहा – दांत हथियार नहीं

महिला ने ससुराल पक्ष पर काटे जाने का आरोप लगाया
वेबडेस्क,औरंगाबाद
एक महिला ने ससुराल पक्ष के ऊपर दांतों से काटने पर धारदार हथियार से हमला करने और चोट पहुंचाने का आरोप लगाया था। हाईकोर्ट की संभाजीनगर (औरंगाबाद) पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इंसानी दांत को हथियार नहीं माना जा सकता।यहां हाल ही में एक मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला की ससुराल पक्ष पर दांत से काटे जाने का आरोप लगाया था। बंबई हाईकोर्ट ने महिला द्वारा उसके ससुराल वालों के खिलाफ की गई शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि मानव दांतों को ऐसा खतरनाक हथियार नहीं माना जा सकता है, जिससे गंभीर नुकसान की संभावना हो।हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ की जज विभा कंकनवाड़ी और न्यायमूर्ति संजय देशमुख ने 4 अप्रैल को अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता के चिकित्सा प्रमाणपत्र से पता चलता है कि दांतों के निशान से उसे केवल मामूली चोट लगी। इसी चोट के आधार पर महिला ने अप्रैल 2020 में एफआईआर दर्ज करवाई थी।
यह है मामला
थाने में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक ससुराल पक्ष के साथ हाथापाई के दौरान एक रिश्तेदार ने महिला को काट लिया, जिससे उसे खतरनाक नुकसान पहुंचा। पुलिस के मुताबिक महिला की शिकायत के आधार पर आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता के अनुसार चोट पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया था।
हाईकोर्ट का फैसला
- मानवीय दांतों को खतरनाक हथियार नहीं कहा जा सकता।
- इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपियों द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए केस को खारिज कर दिया।
- मामले में शिकायतकर्ता के मेडीकल सर्टिफिकेट से पता चलता है कि दांतों से केवल साधारण चोट लगी थी। इसके कारण यहां पर धारा 324 के तहत अपराध नहीं बनता है। ऐसे में ससुराल पक्ष या अभियुक्त पर केस चलाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करना होगा।
क्या कहता है कानून
आपको बता दें भारतीय दंड संहिता की धारा 324 (खतरनाक हथियार का उपयोग करके चोट पहुंचाना) के तहत, चोट किसी ऐसे उपकरण से लगी होनी चाहिए जिससे मृत्यु या गंभीर नुकसान होने की आशंका हो अगर ऐसा नहीं है तो यह मामला नहीं बनता है
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मुगलों ने 70% भारत को शिक्षित किया था : भागवत

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नकली नोट छापने वाले 8 गिरफ्तार

वारंगल/ आसिफाबाद .( रमेश सोलंकी):वारंगल पुलिस ने नकली नोट छापने वाले 8 लोगों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से भारी मात्रा में नकली नोट बरामद किए गए हैं। पुलिस ने 38.84 लाख रुपये नकद, 21 लाख रुपये के नकली नोट, एक कार और नौ मोबाइल फोन के साथ ही नकली नोट छापने में इस्तेमाल होने वाला कागज भी जब्त किया।
पुलिस ने रंगे हाथों पकड़ा
गिरोह के मुख्य आरोपी की पहचान भद्राद्री कोठागुडेम जिले के मणिकला कृष्णा (57) के रूप में हुई है। जल्दी से पैसा कमाने के लिए उसने नकली मुद्रा चलाने की योजना बनाई। इसके लिए उन्होंने हन्माकोंडा के एर्रागोल्ला श्रीनिवास के साथ मिलकर काम किया। श्रीनिवास ने उसे हन्माकोंडा में नकली नोट सौंपने को कहा। कृष्णा ने शर्त मान ली। समझौते के अनुसार, कृष्णा चार अन्य लोगों के साथ शुक्रवार रात वारंगल आउटर रिंग रोड पर पेगडापल्ली चौराहे पर एक कार में पहुंचे। श्रीनिवास और दो अन्य आरोपी पहले से ही वहां मौजूद थे। पुलिस गश्ती दल ने उन्हें नोटों की अदला-बदली करते समय पकड़ लिया। पूछताछ करने पर कमिश्नर ने बताया कि आरोपी ने अपना अपराध कबूल कर लिया है।इस गिरोह के मुख्य आरोपी कृष्णा के खिलाफ पहले भी सथुपल्ली, वीएम बंजारा और लक्ष्मी देवी पेटा पुलिस थानों में 500 रुपये के नकली नोट छापने और अपने दोस्तों के साथ मिलकर उन्हें चलाने के मामले दर्ज हैं।
बांसवाड़ा तक जुड़ें हैं तार
हाल ही में पुलिस को सूचना मिली कि कामारेड्डी जिले के बिचकुंडा में एक व्यापारी नकली नोट चला रहा है। पुलिस उस पर नज़र रख रही थी। वह किससे मिल रहा है? इस बात की जानकारी जुटाई गई कि वह चोरी के नोट कैसे इकट्ठा करता था। पूरी जानकारी मिलने के बाद इसे सील कर दिया गया। पुलिस को पता चला कि वह हैदराबाद से बांसवाड़ा और वहां से बिचकुंडा तक नकली नोट ला रहा था।
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