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हम भूखे, पर विश्वगुरू!

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भारत  में 104 करोड़ लोगों को दो वक्त का खाना नसीब नहीं

नई दिल्ली. यूएन की रिपोर्ट कहती है कि भारत के 140 में से 104 करोड़ लोगों को दो वक्त का खाना नसीब नहीं है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की पांच एजेंसियों की तरफ से जारी खाद्य सुरक्षा और पोषण पर 2023 की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 140 में से 104 करोड़ (74.1 फीसदी) लोगों को दो वक्त का खाना नसीब नहीं है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2021 में भारत में 100 करोड़ से अधिक लोग स्वस्थ आहार नहीं ले पाए थे। इस रिपोर्ट के बाद भारत सरकार के अनुमान पर सवालिया निशान खड़े हो गए, जिसमें केवल 81 करोड़ लोगों को खाद्य सहायता की आवश्यकता की बात कही गई थी।

क्या कहती है रपट

संयुक्त राष्ट्र की तरफ से जारी खाद्य सुरक्षा और पोषण पर 2023 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में करीब 104 करोड़ लोगों को दो वक्त का खाना नसीब नहीं है। हेल्दी डाइट से जुड़े रिपोर्ट में भारत का नंबर केवल पाकिस्तान से कम है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में  82 फीसदी लोगों को हेल्दी डाइट नहीं मिल पाती है यानी 24 करोड़ में से करीब 19 करोड़ लोगों को अच्छी हेल्दी डाइट नहीं पाती है। साल 2021 के मुताबिक बांग्लादेश की कुल आबादी के लगभग 66 फीसदी, ईरान में 30 फीसदी,  चीन में 11 फीसदी, रूस में 2.6 फीसदी, अमेरिका में 1.2 फीसदी और ब्रिटेन में 0.4 फीसदी लोग को हेल्दी डाइट नहीं मिल पा रही।

ये है हालत

एफएओ की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एक व्यक्ति अपनी डाइट पर 2.97 डॉलर यानी 247 रुपए प्रतिदिन खर्च कर रहा है। इसके मुताबिक उसे अपनी डाइट के लिए हर महीने 7,310 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।ऐसे में 4 लोगों के परिवार में ये आंकड़ा 29,210 रुपए बैठता है जो भारत में हर व्यक्ति की आय नहीं है।

60 % राशन पर निर्भर

आंकड़े के अनुसार लगभग 80 करोड़ यानी 60 प्रतिशत भारतीय सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी वाले राशन पर निर्भर हैं। लाभार्थियों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मुफ्त पांच किलोग्राम अनाज की विशेष सहायता के अलावा, प्रति व्यक्ति हर महीने सिर्फ 2-3 रुपये प्रति किलो के हिसाब से पांच किलो अनाज दिया जाता है। इस योजना के तहत दिए जाने वाले राशन में पर्याप्त कैलोरी की आपूर्ति तो की जाती है लेकिन पर्याप्त पोषण का ध्यान नहीं रखा जाता।

17% लोग भयंकर कुपोषित

भारत के 140 में से 104 करोड़ लोगों को दो वक्त का खाना नसीब नहीं है। मोदी सत्ता इनमें से 80 करोड़ को मुफ़्त 5 किलो अनाज दे रही है। न दे तो लोग भूख से मर जाएं। भारत के करीब 17% लोग भयंकर कुपोषित हैं, यानी हर पांचवा व्यक्ति।  बीजेपी की विकसित भारत संकल्प यात्रा या राहुल की भारत न्याय यात्रा से क्या होगा? सत्ता के करीबी उद्योगपति बैंक का लोन डकारकर अमीर हो रहे हैं।लेकिन अब गरीब नहीं मध्यम वर्ग के लोग तक दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पा रहे हैं।  इस पर तुर्रा यह कि भारत विश्वगुरु है।

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PM मोदी ने द्वारका में लगाई आस्था की डुबकी

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श्री कृष्ण की द्वारिका नगरी के किए दर्शन

द्वारका. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के द्वारका में समुद्र में गहरे पानी के अंदर गए और भगवान श्रीकृष्ण की नगरी के दर्शन किए। उन्होंने कहा कि यह एक दिव्य अनुभव था। उन्होंने उस स्थान पर प्रार्थना की जहां जलमग्न द्वारका नगरी है। उन्होंने कहा कि इस अनुभव ने मेरे सामने भारत की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक जड़ों के साथ एक दुर्लभ और गहरा संबंध प्रस्तुत किया।

पीएम मोदी अपने साथ भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करने के लिए समुद्र के अंदर मोर पंख लेकर गए थे। पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘पानी में डूबी द्वारिका नगरी में प्रार्थना करना बहुत ही दिव्य अनुभव था। मुझे आध्यात्मिक वैभव और शाश्वत भक्ति के एक प्राचीन युग से जुड़ाव महसूस हुआ। भगवान श्री कृष्ण हम सभी को आशीर्वाद दें’। इसके बाद उन्होंने ओखा को बेट द्वारका से  जोड़ने वाले सुदर्शन सेतु का लोकार्पण किया। उन्होंने विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन, लोकार्पण एवं शिलान्यास भी किया।

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19 साल से ‘लटका’ है पुल

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सरकारें बदलीं पर, किस्मत नहीं बदली

बरसात में लोग जान हथेली पर रखकर नदी को पार करते हैं

आसिफाबाद. रमेश सोलंकी. कुमरम भीम आसिफाबाद मंडल में गुंडी के ग्राम में नदी पर पुल का निर्माण अधूरा होने के कारण  ग्रामीणों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। गुंडीवागु पुल का निर्माण 2005 में शुरू हुआ था।  करीब 19 साल हो गए हैं लेकिन अभी तक पुल लटका हुआ है। ग्रामवासियों को आसिफाबाद जाने-आने के लिए  नाव में बैठकर नदी पार करनी पड़ती है।

आसिफाबाद से गुंडी ग्राम जाने के लिए ग्रामीण ऑटो और बाइक नदी किनारे खड़ी करके तैरकर भी आना-जाना करते हैं। बारिश के मौसम मेंआसिफाबाद के कोमराम भीम प्रोजेक्ट के पानी का स्तर बढ़ने पर नदी में पानी का स्तर बढ़ जाता है। जिसके कारण  ग्रामीणों को आसिफाबाद को आने के लिए और आसिफाबाद से गुंडी ग्राम को जाने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

नाव से आना – जाना पड़ता है 

ग्राम वासियों को नदी पार करने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। नाव वाले ₹20 प्रति व्यक्ति से वसूलते हैं। हर साल न केवल गुंडी गांव के लोगों को बल्कि नंदुपा, चोरपल्ली, कनारगाम और अन्य गांवों के लोगों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। छात्र और मरीज बहुत परेशान है। नदी के दोनों और ऑटो वाले सवारियों का इंतजार करते हुए दिखाई देते हैं। जो बाइक से गांव जाने वाले बाइक को नदी किनारे  खड़ा करके नदी पार करके अपने गांव जाते हैं। उनको रात में  यह डर सताता है कि उनकी बाइक चोरी न हो जाए।

चुनाव के बाद भूल जाते हैं नेता

ग्राम वासियों का कहना है कि चुनाव के समय में नेता पुल का निर्माण कार्य पूर्ण करने का वादा करके ग्राम वासियों से वोट मांगते हैं और चुनाव जीतने के बाद गायब हो जाते हैं। ग्रामीणों ने सरकार से अनुरोध किया है कि पुल का निर्माण जल्दी करें।

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अभी तक की बड़ी खबरें

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विशेष बुलेटिन में आपका स्वागत है। अभी तक की टॉप 6 खबरें जो सुर्खियों में रहीं।

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