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जाएं तो जाएं कहां…17 साल से गुंडी नदी पुल का निर्माण अधूरा

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बरसात में लोग जान हथेली पर रखकर नदी को पार करते हैं

आसिफाबाद. रमेश सोलंकी. कुमरम भीम आसिफाबाद मंडल में गुंडी के ग्राम में नदी पर पुल का निर्माण अधूरा होने के कारण बरसात के मौसम में ग्रामीण वासी अपनी जान हथेली पर रखकर यात्रा करते हैं। गुंडीवागु (पेद्दावागु) पर बन रहा पुल 17 साल से अधूरा है। गुंडीवागु पुल का निर्माण 2005 में शुरू हुआ था शुरू होकर करीब 17 साल हो गए हैं लेकिन अभी तक पुल पूरा होने की निर्माण की राह देख रहा है। पुल के स्तंभ तैयार होकर अपने आप पर आंसू बहा रहे हैं। आसिफाबाद में से लगातार बरसात हो रही है जिसके कारण आसिफाबाद के कोमराम भीम प्रोजेक्ट के पानी का स्तर बढ़ जाने के कारण प्रोजेक्ट की गेट खोलने के कारण नदी में पानी का स्तर बढ़ गया है। गुंडी ग्राम के लोगों को पुल का निर्माण नहीं होने के कारण आसिफाबाद को आने के लिए और आसिफाबाद से गुंडी ग्राम को जाने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

नाव से आना पड़ता है आसिफाबाद

ग्राम वासियों को आसिफाबाद आने के लिए नदी पार करने के लिए थर्माकोल से बने हुए नाव पर बैठकर आना पड़ता है और वह नाव वाले उनके पास से ₹20 प्रति व्यक्ति से वसूलते है। हर साल न केवल गुंडी गांव के लोगों को बल्कि नंदुपा, चोरपल्ली, कनारगाम और अन्य गांवों के लोगों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। संबंधित गांवों से आने वाले छात्रों को नदी के उफान पर आसिफाबाद आने के लिए वांकिडी मंडल के खमाना से 25 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। जिला केंद्र से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुंडी के ग्रामीणों को पुल का निर्माण पूर्ण ना होने के कारण 25 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। एक ऐसी स्थिति भी है जहां गांवों में चिकित्सा समस्या उत्पन्न होने पर 108 वाहन मिलना मुश्किल हो जाता है।

चुनाव के बाद भूल जाते हैं नेता

ग्राम वासियों से बात करने पर उन्होंने कहा की चुनाव के समय में नेता वोट मांगने के लिए जब ग्राम में आते हैं तब वह पुल का निर्माण पूर्ण करने का वादा करके ग्राम वासियों से वोट मांगते हैं। और चुनाव जितने के बाद ग्राम की ओर एक नजर भी उठाकर नहीं देखते। और इसी प्रकार कुंडली ग्राम की ओर जाने वाली सड़क भी अपने आप पर आंसू बहा रही है। सड़क इतनी जर्जर हो चुकी है की बरसात में सड़क के गड्ढों में पानी भर जाता है और वाहन चलाने वालों को यह पता नहीं चल पता की सड़क पर पानी जमा हुआ गड्ढा कितना गहरा है। और वह डरकर वाहन चलाते हैं। ग्रामीणों ने सरकार से अनुरोध कर रही है की पुल का निर्माण तुरंत करें। और मजे की बात तो यह है की नदी के दोनों और ऑटो वाले सवारियों का इंतजार करते हुए रहते हैं। और जो मोटरसाइकिल से अपने गांव जाते हैं तब मोटरसाइकिल नदी की एक किनारे पर खड़े कर कर नदी को पार करके अपने गांव जाते हैं। और उनको रात में भी यह डर सताता है कि उनकी मोटरसाइकिल वहां है या नहीं क्योंकि इससे पहले भी वहां से मोटरसाइकिल चोरी हो चुकी है।

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वंदे भारत ट्रेन के सामने जा गिरीं MLA

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वेबडेस्क, महाराष्ट्र खबर24

आगरा-बनारस वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाने का कार्यक्रम अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गया.  ट्रेन को झंडी दिखाते समय भाजपा की इटावा सदर विधायक सरिता भदौरिया वंदे भारत ट्रेन के सामने जा गिरीं.

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अब आपको नहीं लगाने होंगे डॉक्टरों के चक्कर

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हर डॉक्टर की होगी यूनिक  ID

वेबडेस्क, महाराष्ट्र खबर24

अब आपको सही इलाज के लिए डॉक्टरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है. क्योकि हर डॉक्टर की यूनिक आईडी होगी जिससे आपको उस डॉक्टर के बारे में सारी जानकारी उपलब्ध होगी. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बीमारी का सही इलाज हो सकेगा. आपको भटकना नहीं पड़ेगा.देश में अब हर डॉक्टर की एक अलग पहचान होगी. उन्हें एक यूनिक आईडी नंबर दिया जाएगा. सरकार ने सभी डॉक्टरों के लिए नेशनल मेडिकल रजिस्टर (एनएमआर) में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है. डॉक्टरों को MBBS सर्टिफिकेट, रजिस्ट्रेशन और आधार कार्ड सबमिट करना होगा. इस पोर्टल को नेशनल मेडिकल कमीशन ने तैयार किया है.

इसलिए पड़ी जरूरत

नेशनल मेडिकल कमीशन के एक अधिकारी के मुताबिक, आज तक हमारे पास ऐसा कोई डेटा नहीं था, जो यह बता सके कि देश में कुल कितने डॉक्टर हैं. हालांकि, एक अनुमानित संख्या है, लेकिन सही आंकड़े अब पता चलेंगे. इसके अलावा कितने डॉक्टरों ने देश छोड़ दिया. कितने डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द हुआ. कितने डॉक्टरों की जान गई. ये सारी जानकारी अब एक पोर्टल पर दिखेगी. अधिकारी के मुताबिक, करीब 13 लाख से ज्यादा डॉक्टर इससे जुड़ सकते हैं.

रजिस्ट्रेशन शुरू,  आप भी देख सकेंगे

 डेटा नेशनल मेडिकल कमीशन के सचिव डॉ. बी श्रीनिवास ने कहा, पोर्टल पर तत्काल प्रभाव से डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन शुरु हो गया है. इसमें कुछ डेटा आम लोगों को दिखाई देंगा. बाकी जानकारी नेशनल मेडिकल कमीशन, स्टेट मेडिकल काउंसिल, नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जॉमिनेशन, एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड और मेडिकल इंस्टीट्यूट को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार दिखाई देंगे.

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सजा माफ कराने वकीलों के झूठ से हलाकान सुप्रीम कोर्ट

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जताई नाराजगी, कहा- हमारा विश्वास हिल गया है

वेब डेस्क, महाराष्ट्र खबर 24.दोषियों की सजा माफी और समय से पहले रिहाई कराने के लिए अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में झूठे बयान दे रहे हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि लगातार इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. इससे हमारा विश्वास हिल गया है. न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति आॅगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि पिछले तीन हफ्तों में उनके सामने ऐसे कई मामले आए हैं जहां दलीलों में गलत बयान दिए गए.पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अदालत में सजा में छूट न दिए जाने की शिकायत को लेकर बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर की जा रही हैं. पिछले तीन सप्ताह में यह सातवां मामला हमारे सामने आया है, जिसमें दलीलों में गलत बयान दिए गए हैं. शीर्ष अदालत में पीठ के सामने रोज 60-80 मामले दर्ज होते हैं. जजों के लिए हर मामले के प्रत्येक पेज को पढ़ना संभव नहीं है. फिर भी हर मामले को करीब से देखा जाता है.

भरोसे पर काम करता है  सिस्टम

पीठ ने कहा कि हमारा सिस्टम विश्वास पर काम करता है. जब हम मामलों की सुनवाई करते हैं तो हम बार के सदस्यों पर भरोसा करते हैं. लेकिन जब हमारे सामने इस तरह के मामले आते हैं, तो हमारा विश्वास हिल जाता है. कोर्ट ने कहा कि एक मामले में छूट की मांग के लिए दायर रिट याचिका में न केवल गलत बयान दिए गए हैं, बल्कि अदालत के समक्ष एक गलत बयान दिया गया. पीठ ने कहा कि समयपूर्व रिहाई के लिए आदेश मांगने वाली याचिका में अपराध की प्रकृति बहुत ही महत्वपूर्ण विचार है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह छूट के लिए मामलों को देखे और इसके बाद आदेश पारित करे.

दो उदाहरण भी दिए

1- याचिकाकतार्ओं के  एडवोकेट ने जेल अधिकारियों को संबोधित 15 जुलाई, 2024 के ईमेल में झूठे बयान दोहराए. वकील इस स्थिति से अवगत थे. लेकिन 19 जुलाई, 2024 को एक गलत बयान दिया गया कि सभी याचिकाकतार्ओं सजा की अवधि समाप्त नहीं हुई है. याचिका में कहा गया था कि चार याचिकाकतार्ओं ने एक मामले में 14 साल की सजा बिना छूट के काट ली है. जबकि मामले में दिल्ली सरकार ने हलफनामा दायर किया था कि चार में से दो कैदियों ने सजा में छूट पाने के लिए 14 साल की सजा पूरी नहीं की है. पीठ ने कहा कि याचिका में गलत बयान दिया गया कि सभी चार याचिकाकतार्ओं ने वास्तविक 14 साल की सजा काट ली है.

2-हत्या के आरोप में दोषी पाए गए पांच अपराधियों को लेकर भी कोर्ट में गलत बयान दिए गए. याचिका में कहा गया था कि पांचों दोषियों को हत्या के आरोप में दोषी पाया गया है. जबकि अदालत ने पाया कि उनमें से दो को अन्य अपराधों के लिए भी दोषी ठहराया गया. एक को शस्त्र अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था और दूसरे को फिरौती के लिए अपहरण और सबूत नष्ट करने के अपराध के लिए भी दोषी ठहराया गया था.

 

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