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सबको थोड़ा-थोड़ा…..
नई दिल्ली. केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने मंगलवार को लोकसभा में वर्ष 2022-23 का आम बजट पेश किया। यह उनका चौथा बजट था जो पेपरलेस पेश किया गया। बजट में हर वर्ग का ध्यान रखा गया है।
पांच राज्यों में होने वाले चुनाव को देखते हुए सबको थोड़ा-थोड़ा दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे एक अच्छा बजट बताते हुए कहा कि बजट में गरीब कल्याण पर जोर दिया गया है, इससे युवाओं के सपनों को मजबूती मिलेगी। बजट में 25 साल का ब्लूप्रिंट दर्शाया गया है।
महाराष्ट्र को क्या मिला
- नागपुर और नाशिक मेट्रो के विस्तार के लिए 8 हजार करोड़ की घोषणा की गई है। उपराजधानी नागपुर में चल रहे मेट्रो के दूसरे चरण के लिए 5976 करोड़ रुपए की घोषणा की गई।
- नाशिक मेट्रो के लिए भी 2092 करोड़ के प्रावधान किये जाने का ऐलान किया गया है। भाषण के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री ने नाशिक के ‘नियो मेट्रो ‘ मॉडल की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस मॉडल को पूरे देश में लागू करना चाहिए। बता दें कि पिछले महीने नियो मेट्रो को लॉन्च किया गया था।
- 5 नदियों को जोड़ने की घोषणा महाराष्ट्र के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इससे महाराष्ट्र की ताप्ती-नर्मना, गोदावरी-कृष्णा और दमनगंगा-पिंजल को भी जोड़ा जाएगा।
- महाराष्ट्र में सहकारिता क्षेत्र की अहमियत कितनी है, यह सब जानते हैं। महाराष्ट्र की शुगर मिलों का टैक्स पहले ही माफ कर दिया गया था। इससे उन्हें 9 हजार करोड़ की छूट मिली थी। अब सहकारिता क्षेत्र के लिए टैक्स घटाया गया है। इससे यहां बहुत राहत मिलेगी।
- पहले लिए जाने वाले 18 फीसदी टैक्स को घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया। निजी क्षेत्र के लिए 15 फीसदी कर और सहकारिता क्षेत्र के लिए 18.5 फीसदी टैक्स से जो गैप था, वो अब खत्म कर दिया गया है। अब सहकारिता क्षेत्र को भी निजी संस्था के हिसाब से ही टैक्स देना होगा।
किसे , क्या मिला
स्टूडेंटस
- व्यावसायिक शिक्षा के लिए डिजीटल यूर्निवसिटी बनेगी।
- एक क्लास-एक टीवी चैनल के होंगे अब 200 चैनल।
किसान
- एमएसपी के 2.37 लाख करोड़ किसानों के खाते में।
- डिजिटल सर्विस, ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा।
आम आदमी
- 1.5 लाख डाकघरों में कोर बैंकिंग के साथ एटीएम सुविधा।
- शहरी इलाकों में पीएम आवास योजना का विस्तार।
महिलाएं
- रत्नों पर सीमाशुल्क घटाकर 5 फीसदी किया गया।
- पॉलिश किए गए हीरा के दाम घटाए गए
Also Read/बस इतना सा ख्वाब है…
ये है खास
रेलवे
- 3 साल में 400 वंदेमातरम ट्रेन बनाई जाएंगी।
- गति शक्ति स्कीम के अंर्तगत 3 साल में 100 कार्गो टर्मिनल।
इंकमटैक्स
- आईटीआर की गड़बड़ी 2 साल में सुधार सकेंगे।
- टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया।
क्रिप्टोकरेंसी
- अब क्रिप्टो की कमाई पर 30 फीसदी टैक्स ।
- अगले साल आरबीआई डिजिटल करेंसी लाएगी।
- इसके लिए ब्लॉकचैन टेकनीक का उपयोग किया जाएगा।
रोजगार
- अगले 10 साल में 30 लाख नई नौकरियां।
- 14 क्षेत्रों से शुरू हुई पीएलआई स्कीम बढ़ेगी।
क्या होगा सस्ता
कपड़ा, चमड़े का सामान
मोबाइल चार्जर ,खेती का सामान
हीरे के गहने,जूते-चप्पल
Big numbers, dreamy promises but nothing in reality and budget was presented by keeping eyes on election. These digital dreams give nothing in reality to people.Good steps are taken for Defense, Farmers, and infrastructure development. Income Exemption limit is not increased, there is no benefit for salaries persons, From last two years many small manufacturing and trade sectors are suffering to survive but no remedies or plan to boost them are given in budget,Imposed tax on crypto currency is good step.
Radheshyam Tiwari C.A., Nagpur
बजट संतुलित , कल्याणकारी और विकासशील है। इसमें सरकार का विज़न भी है और सफलता प्राप्त करने के लिए मिशन की तैयारी भी।
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वंदे भारत ट्रेन के सामने जा गिरीं MLA
वेबडेस्क, महाराष्ट्र खबर24
आगरा-बनारस वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाने का कार्यक्रम अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गया. ट्रेन को झंडी दिखाते समय भाजपा की इटावा सदर विधायक सरिता भदौरिया वंदे भारत ट्रेन के सामने जा गिरीं.
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अब आपको नहीं लगाने होंगे डॉक्टरों के चक्कर
हर डॉक्टर की होगी यूनिक ID
वेबडेस्क, महाराष्ट्र खबर24
अब आपको सही इलाज के लिए डॉक्टरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है. क्योकि हर डॉक्टर की यूनिक आईडी होगी जिससे आपको उस डॉक्टर के बारे में सारी जानकारी उपलब्ध होगी. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बीमारी का सही इलाज हो सकेगा. आपको भटकना नहीं पड़ेगा.देश में अब हर डॉक्टर की एक अलग पहचान होगी. उन्हें एक यूनिक आईडी नंबर दिया जाएगा. सरकार ने सभी डॉक्टरों के लिए नेशनल मेडिकल रजिस्टर (एनएमआर) में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है. डॉक्टरों को MBBS सर्टिफिकेट, रजिस्ट्रेशन और आधार कार्ड सबमिट करना होगा. इस पोर्टल को नेशनल मेडिकल कमीशन ने तैयार किया है.
इसलिए पड़ी जरूरत
नेशनल मेडिकल कमीशन के एक अधिकारी के मुताबिक, आज तक हमारे पास ऐसा कोई डेटा नहीं था, जो यह बता सके कि देश में कुल कितने डॉक्टर हैं. हालांकि, एक अनुमानित संख्या है, लेकिन सही आंकड़े अब पता चलेंगे. इसके अलावा कितने डॉक्टरों ने देश छोड़ दिया. कितने डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द हुआ. कितने डॉक्टरों की जान गई. ये सारी जानकारी अब एक पोर्टल पर दिखेगी. अधिकारी के मुताबिक, करीब 13 लाख से ज्यादा डॉक्टर इससे जुड़ सकते हैं.
रजिस्ट्रेशन शुरू, आप भी देख सकेंगे
डेटा नेशनल मेडिकल कमीशन के सचिव डॉ. बी श्रीनिवास ने कहा, पोर्टल पर तत्काल प्रभाव से डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन शुरु हो गया है. इसमें कुछ डेटा आम लोगों को दिखाई देंगा. बाकी जानकारी नेशनल मेडिकल कमीशन, स्टेट मेडिकल काउंसिल, नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जॉमिनेशन, एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड और मेडिकल इंस्टीट्यूट को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार दिखाई देंगे.
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सजा माफ कराने वकीलों के झूठ से हलाकान सुप्रीम कोर्ट
जताई नाराजगी, कहा- हमारा विश्वास हिल गया है
वेब डेस्क, महाराष्ट्र खबर 24.दोषियों की सजा माफी और समय से पहले रिहाई कराने के लिए अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में झूठे बयान दे रहे हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि लगातार इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. इससे हमारा विश्वास हिल गया है. न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति आॅगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि पिछले तीन हफ्तों में उनके सामने ऐसे कई मामले आए हैं जहां दलीलों में गलत बयान दिए गए.पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अदालत में सजा में छूट न दिए जाने की शिकायत को लेकर बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर की जा रही हैं. पिछले तीन सप्ताह में यह सातवां मामला हमारे सामने आया है, जिसमें दलीलों में गलत बयान दिए गए हैं. शीर्ष अदालत में पीठ के सामने रोज 60-80 मामले दर्ज होते हैं. जजों के लिए हर मामले के प्रत्येक पेज को पढ़ना संभव नहीं है. फिर भी हर मामले को करीब से देखा जाता है.
भरोसे पर काम करता है सिस्टम
पीठ ने कहा कि हमारा सिस्टम विश्वास पर काम करता है. जब हम मामलों की सुनवाई करते हैं तो हम बार के सदस्यों पर भरोसा करते हैं. लेकिन जब हमारे सामने इस तरह के मामले आते हैं, तो हमारा विश्वास हिल जाता है. कोर्ट ने कहा कि एक मामले में छूट की मांग के लिए दायर रिट याचिका में न केवल गलत बयान दिए गए हैं, बल्कि अदालत के समक्ष एक गलत बयान दिया गया. पीठ ने कहा कि समयपूर्व रिहाई के लिए आदेश मांगने वाली याचिका में अपराध की प्रकृति बहुत ही महत्वपूर्ण विचार है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह छूट के लिए मामलों को देखे और इसके बाद आदेश पारित करे.
दो उदाहरण भी दिए
1- याचिकाकतार्ओं के एडवोकेट ने जेल अधिकारियों को संबोधित 15 जुलाई, 2024 के ईमेल में झूठे बयान दोहराए. वकील इस स्थिति से अवगत थे. लेकिन 19 जुलाई, 2024 को एक गलत बयान दिया गया कि सभी याचिकाकतार्ओं सजा की अवधि समाप्त नहीं हुई है. याचिका में कहा गया था कि चार याचिकाकतार्ओं ने एक मामले में 14 साल की सजा बिना छूट के काट ली है. जबकि मामले में दिल्ली सरकार ने हलफनामा दायर किया था कि चार में से दो कैदियों ने सजा में छूट पाने के लिए 14 साल की सजा पूरी नहीं की है. पीठ ने कहा कि याचिका में गलत बयान दिया गया कि सभी चार याचिकाकतार्ओं ने वास्तविक 14 साल की सजा काट ली है.
2-हत्या के आरोप में दोषी पाए गए पांच अपराधियों को लेकर भी कोर्ट में गलत बयान दिए गए. याचिका में कहा गया था कि पांचों दोषियों को हत्या के आरोप में दोषी पाया गया है. जबकि अदालत ने पाया कि उनमें से दो को अन्य अपराधों के लिए भी दोषी ठहराया गया. एक को शस्त्र अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था और दूसरे को फिरौती के लिए अपहरण और सबूत नष्ट करने के अपराध के लिए भी दोषी ठहराया गया था.
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