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फडणवीस उघडतील अजित ची ‘पोल’

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म्हणाले- अजित सोबत सरकार का बनवलं, लवकरच सत्य समोर आणेन

मुंबई. महाराष्ट्राच्या राजकारणात नवा भूकंप येणार आहे. त्यामुळे शरद पवार यांच्या राजकारणावर परिणाम होऊ शकतो. राष्ट्रवादीचे नेते अजित पवार यांच्यासोबत अल्पकालीन सरकार स्थापन करण्याबाबतचे संपूर्ण सत्य नोव्हेंबर 2019 मध्ये जनतेसमोर आणणार असल्याचे उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी सांगितले. 23 नोव्हेंबर 2019 रोजी मुख्यमंत्री म्हणून देवेंद्र फडणवीस आणि उपमुख्यमंत्री म्हणून अजित पवार यांच्या शपथविधीपर्यंतच्या घटनांनी, राष्ट्रवादीचे अध्यक्ष शरद पवार यांना सर्व काही माहित असल्याचा दावा फडणवीस यांनी केल्यानंतर नवीन वादाला तोंड फुटले.हळुहळु सर्व तपशील बाहेर येतील आणि तुम्हा सर्वांना कळेल, असे उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस म्हणाले. सध्या ज्या गोष्टी सार्वजनिक आहेत त्या अर्ध्या सत्य आहेत. मी सर्व तपशील बाहेर आणीन. ते म्हणाले, मी काही बोलताच पलीकडून अधिक माहिती बाहेर येते. मी सर्व माहिती समोर आणेन.

खरे तर महाराष्ट्रात फडणवीस-अजित पवार यांचे सरकार आल्यानंतरच राष्ट्रपती राजवट रद्द करण्यात आल्याचे शरद पवार यांनी बुधवारी सांगितले होते. राष्ट्रपती राजवट उठेपर्यंत उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री झाले नसते, असे ते म्हणाले होते. देवेंद्र फडणवीस यांनी अजित पवारांशी हातमिळवणी करून सर्वांनाच चकित केले. त्याआधी 2019 च्या विधानसभा निवडणुकीनंतर भाजप आणि शिवसेनेचे मार्ग वेगळे झाले होते.

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विदर्भ में गोंदिया सबसे ठंडा

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विदर्भ के 5 जिलों में तापमान 14 डिसे. से नीचे

Webdesk, maharashtrakhabar24.com

Nagpur, 25/11/24

जहां एक ओर राजनीतक गर्मी बढ़ती जा रही है , वहीं विदर्भ को ठंड ने अपनी चपेट मं लेना शुरु कर दिया है. अंचल के कई शहरों में पारा गिरने लगा है. लोग रात में आग तापते देखे जा सकते हैं. मौसम विभाग का कहना है कि अब पारा और गिरेगा जिससे ठंड और बढ़ेगी. सोमवार को गोंदिया विदर्भ में सबसे ठंडा रहा. यहां का न्यूनतम तापमान 12.1 डिसे दर्ज किया गया. अमरावती को छोड़कर विदर्भ के 5 जिलों में न्यूनतम तापमान 14 डिसे से नीचे रहा.

कहां, कितना तापमान

गोंदिया :    12.1 डिसे

नागपुर :    13.0 डिसे

चंद्रपुर :    13.1 डिसे

यवतमाल : 13.2

गढ़चिरौली : 13.4 डिसे

वर्धा    : 13.8 डिसे

अकोला  : 14.0 डिसे

बुलढाणा : 14.3 डिसे

भंडारा : 14.0

अमरावती : 15.5

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सियासी पारे में उतार-चढ़ाव….3.7% ज्यादा मतदान

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विधानसभा चुनाव : वोटरों में दिखा जमकर उत्साह

Web desk, maharshtrakhabar24.com,नागपुर.

प्रदेश में लोकतंत्र का उत्सव बुधवार को संपन्न हो गया. इस बार मतदाताओं में जमकर जोश दिखा. इसका असर वोटिंग के प्रतिशत पर भी साफ दिखाई दिया.राज्य में मतदान का आंकड़ा 65.1 फीसदी को पार कर गया . 2019 विधानसभा चुनाव में  61.4 प्रतिशत मतदान हुआ था. यानी 3.7% की बढ़ोत्तरी हुई. इतना ही नहीं इस बार महाराष्ट्र में पिछले 30 साल में सबसे ज्यादा वोटिंग हुई है. इससे पहले साल 1995 में राज्य में 71.69 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. खास बात है कि वोटिंग में 2024 लोकसभा चुनाव का रिकॉर्ड भी टूटा है. उस दौरान राज्य में 61.39 प्रतिशत मतदान हुआ था.

यह है वजह

राज्य में भारी मतदान की वजह एमवीए और महायुति के तेज प्रचार को माना जा रहा है. लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान एक ओर जहां महायुति ने 42.1 फीसदी और महाविकास अघाड़ी ने 43.91 फीसदी वोट हासिल किए थे. सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति में भाजपा, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी हैं. जबकि, एमवीए में कांग्रेस, शिवसेना यूबीटी और एनसीपी एसपी है.

अपने-अपने दावे

 

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना है, ‘जब भी मतदान में इजाफा होता है, तो भाजपा को राजनीतिक लाभ होता है. यह साबित हो चुका है कि पिछले चुनाव के मुकाबले विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ा है. यह भाजपा और महायुति दोनों की मदद करेगा.’

वहीं, कांग्रेस चीफ नाना पटोले ने एमवीए की जीत का दावा किया है. उन्होंने कहा, ‘विधानसभा चुनावों में लोगों में खासा उत्साह था और महाराष्ट्र के स्वाभिमानी नागरिक उस सरकार को चुनेंगे, जो राज्य के कल्याण को प्राथमिकता देता है. जनता की प्रतिक्रिया के मद्देनजर कांग्रेस राज्य की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी. महाविकास अघाड़ी का सरकार बनाना तय है.

वोटर्स की संख्या में इजाफा

खास बात है कि राज्य में मतदाताओं की संख्या में भी खासा इजाफा हुआ है. 2019 में राज्य में वोटर 8.85 करोड़ थे, जो अब बढ़कर 9.69 करोड़ हो गए हैं. ऐसे में मतदाताओं की संख्या भी चुनाव के नतीजों में बड़ी भूमिका निभाती है.

 

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महायुति का सियासी ट्रैप बना कांग्रेस की मुश्किल

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बचने बना रही है रणनीति

वेबडेस्क, maharashtrakhabar24.com

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे की खींचतान से रूबरू हो रहे महाविकास आघाड़ी गठबंधन के लिए ध्रुवीकरण के भाजपा के दांव से निपटना भी बड़ी चुनौती है. विशेषकर इस गठबंधन का अघोषित नेतृत्व कर रही कांग्रेस इस बात से सशंकित है कि लोकसभा चुनाव में सफलता का आधार बने उसके सामाजिक समीकरणों को दरकाने के लिए भाजपा ध्रुवीकरण को एक अहम चुनावी फैक्टर बनाने की कोशिश नहीं छोड़ेगी.इसके मद्देनजर ही पार्टी ने अपने नेताओं के साथ सभी सहयोगी दलों को इस बारे में आगाह करते हुए चुनाव प्रचार अभियान में महायुति के इस सियासी ट्रैप में नहीं आने की सलाह दी है.

टीका-टिप्पणी से बचने की सलाह

केंद्रीय और प्रदेश स्तर के तमाम नेताओं को कांग्रेस की ओर से दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि चुनावी माहौल की गरमारगमी में भी ऐसी कोई टीका-टिप्पणी न की जाए जिससे ध्रुवीकरण तेज हो.महाराष्ट्र चुनाव से जुड़े पार्टी रणनीतिकारों के अनुसार वैसे तो पिछले कुछ सालों में यह कांग्रेस के सामान्य चुनावी सर्तकता प्रोटोकॉल का हिस्सा बन गया है मगर कांग्रेस नेताओं के अनुसार पिछले दो-तीन महीने के दौरान अमरावती से लेकर नासिक आदि में हुए घटनाक्रमों से साफ है कि भाजपा चुनाव में ध्रुवीकरण के लिए हर संभव दांव चलती रहेगी.

”बंटगे तो कटेंगे” का खेल

एमआइएमआइएम के नेता असदुद्दीन औवेसी के समर्थकों को संवेदनशील माहौल में भी मुंबई में बाइक रैली निकालने की इजाजत देने के शिंदे सरकार के कदम को भी कांग्रेस इसी दांव का हिस्सा मान रही है. पार्टी रणनीतिकारों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्तर पर महाराष्ट्र में जाकर ”बंटगे तो कटेंगे” का खुला अनुमोदन इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि कांग्रेस के सामाजिक समीकरण पर निशाना साधने के लिए ध्रुवीकरण का हथियार चलाने में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ेगी.

ओबीसी छिटक सकता है.

महाराष्ट्र के प्रभावशाली मराठा समुदाय के साथ दलित-आदिवासी तथा अल्पसंख्यक वर्ग का 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर झुकाव का ही नतीजा रहा कि 13 लोकसभा सीट जीतकर राज्य में वह सबसे बड़ी पार्टी बन गई. शरद पवार की एनसीपी तथा उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी को भी इसका फायदा मिला. कांग्रेस की चिंता है कि विधानसभा चुनाव को मराठा बनाम ओबीसी बनाने का भाजपा का दांव चल गया तो पिछले चुनाव में साथ आया ओबीसी का एक हिस्सा भी उसे छिटक सकता है.

दांव चलती रहेगी बीजेपी

महाराष्ट्र चुनाव से जुड़े पार्टी रणनीतिकारों के अनुसार वैसे तो पिछले कुछ सालों में यह कांग्रेस के सामान्य चुनावी सर्तकता प्रोटोकॉल का हिस्सा बन गया है मगर कांग्रेस नेताओं के अनुसार पिछले दो-तीन महीने के दौरान अमरावती से लेकर नासिक आदि में हुए घटनाक्रमों से साफ है कि भाजपा चुनाव में ध्रुवीकरण के लिए हर संभव दांव चलती रहेगी.

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