nagpur samachar
‘आउट ऑफ द बॉक्स प्रबंधन मंत्र: नितीन गडकरी, अथाह…असीम’
डा. विजय कुमार शर्मा की पुस्तक का आज विमोचन
नागपुर. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का जीवन, उनके लक्ष्य तथा दूरदृष्टी पर आधारित लेखक, अनुवादक एवं शिवायु आयुर्वेद लिमिटेड के मार्केटिंग डायरेक्टर डॉ. विजय कुमार शर्मा द्वारा लिखी ‘आउट ऑफ द बॉक्स : प्रबन्धमंत्र – नितीन गडकरी, अथाह… असीम’ मूलत: हिंदी में लिखी इस किताब तथा उसके मराठी और अंग्रेजी संस्करण का विमोचन आज यानी शनिवार, 7 मई को शाम 5.30 बजे होने जा रहा है ।
विदर्भ सेवा समिति, नागपुर द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम कवि कालिदास हॉल, पर्सिस्टेंट कंपनी, आईटी पार्क में होंगा जिसमें नितिन गडकरी की प्रमुख उपस्थिति होगी । कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति विकास सिरपुरकर करेंगे । इस कार्यक्रम में नई दिल्ली के ‘दि प्रिंट’ के संस्थापक, मुख्य संपादक और लेखक शेखर गुप्ता, मुख्य अतिथि एवं पूर्व महापौर दयाशंकर तिवारी, मैनकाइंड फार्मा के सीईओ राजीव जुनेजा और नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन, अमरपुर, गांधीनगर के निदेशक विपिन कुमार विशिष्ट अतिथि बतौर उपस्थित रहेंगे।
डॉ. विजय कुमार शर्मा द्वारा लिखी गई इस किताब से नितिन गडकरी जी के सकारात्मक ऊर्जा, दूरदर्शिता, प्रबंधन कौशल, अनुसंधान प्रवृत्ति जैसे स्व-प्रबंधन के आधुनिक सूत्रों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाना मुख्य उद्देश्य है। प्राचीन भारतीय ऋषियों और मुनियों द्वारा लिखे गए ग्रंथों के वर्णन को आधुनिक काल के प्रबंधन ग्रंथों और प्रसिद्ध मनोचिकित्सकों के सिद्धांतों से जोडने का इसमें प्रयास किया गया है । प्राचीन भारतीय दर्शन में स्व-प्रबंधन और व्यक्तित्व विकास के सूत्र नितिनजी की कार्यशैली और उनके प्रबंधन कौशल से कितने मिलते जुलते है, यह दिखाने का भी इसमें प्रयास किया गया है ।डा. शर्मा के मूलत: हिंदी में लिखे ‘आउट ऑफ द बॉक्स: प्रबन्धन मन्त्र –नितिन गडकरी, अथाह… आसिम’ इस ग्रंथ के प्रकाशक दिल्ली स्थित वाणी प्रकाशन है जबकि, इसका मराठी अनुवाद वरिष्ठ पत्रकार एवं स्क्वेयर मीडिया सॉल्यूशंस की प्रबंध निदेशक मंजूषा जोशी और डॉ. सदानंद बोरसे द्वारा किया गया है, जिसे राजहंस प्रकाशन ने प्रकाशित किया है । ‘आउट ऑफ द बॉक्स थिंकर: नितिन गडकरी, अनफॉलोइंग द अनलिमिटेड’ यह अंग्रेजी अनुवाद वरिष्ठ पत्रकार बरखा माथुर द्वारा किया गया है और इसे क्रॉसवर्ड द्वारा प्रकाशित किया गया है।
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लेखक के बारे में
डा. विजय कुमार शर्मा ने राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय से बीकॉम, एमए और एमफिल (हिंदी साहित्य), एमए (मराठी साहित्य) के साथ-साथ विपणन, प्रबंधन और फार्मेसी में डिप्लोमा किया है। नागपुर विश्वविद्यालय ने हाल ही उन्हें पीएचडी की डिग्री प्रदान की है। नागपुर के शिवायु आयुर्वेद लिमिटेड के विपणन निदेशक डॉ. शर्मा मानव संसाधन और प्रबंधन प्रशासन पाठ्यक्रम के प्रशिक्षक हैं। ज्ञानवर्धिनी और दिव्य दिशा फाउंडेशन के साथ-साथ अन्य व्यापारिक और औद्योगिक संगठनों से भी वे जुड़े हैं। उन्हें विक्रम मारवाह स्मृति हिंदी गौरव पुरस्कार मिल चुका है।
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गडकरी की ‘विकास’ से टक्कर
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वेब डेस्क. नागपुर. लोकसभा चुनाव में नागपुर की प्रतिष्ठित सीट पर कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को चुनौती देते हुए नागपुर शहर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष तथा पूर्व विधायक विकास ठाकरे को उतार दिया है। नागपुर लोकसभा सीट पर कड़ी टक्कर है। संघ समेत देश की नजरें इस सीट पर गढ़ी हुईं हैं। अब देखना यह है कि क्या गडकरी तीसरी बार चुनकर अपनी हैट्रिक पूरी करेंगे या ठाकरे गडकरी का सपना भंग करके इतिहास रच देंगे? बता दें कि नागपुर लोकसभा में वर्ष 2014 और 2019 में गडकरी ने कांग्रेस नेता विलास मुत्तेमवार और नाना पटोले को पराजित कर विजय हासिल की थी।
असंतुष्ट बिगाड़ सकते हैं ‘खेला’
बताया जाता है कि पार्टी का एक गुट गडकरी के ही खिलाफ काम कर रहा है जबकि कांग्रेस में हाईकमान के आदेश के बाद गुटबाजी करने वाले नेता ठाकरे के नाम पर एक हो गए हैं। इनकी एकता विकासपुरूष को भारी पड़ सकती है। इसके अलावा जातिगत समीकरण भी जीत के लिए महत्वपूर्ण है। कुणबी, तेली, बौध्द और मुस्लिम समाज का गठजोड़ किसी भी प्रत्याशी की हार-जीत तय करेगा।
रामटेक से बर्वे को टिकट
कांग्रेस हाईकमान ने रश्मि बर्वे के फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आरोपों के बावजूद रश्मी बर्वे के नाम का घोषणा कर दी है।हालांकि मंगलवार को हाईकोर्ट में उनके मामले पर सुनवाई होनी है। इधर कांग्रेस विधायक राजू पारवे के शिंदे गुट में शामिल होने की चर्चा है जिसका गुट में जमकर विरोध किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो पूर्व सांसद तुमाने की जगह पारवे को टिकट दिया जा सकता है। संभावना है कि आज यानी रविवार शाम होने वाली बैठक में इसकी घोषणा भी की जा सकती है।
NAGPUR
नागपुरकरों के लिए शेयर ऑटो सुविधा
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महामेट्रो का नए साल का तोहफा
नागपुर. अब नागपुरकरों के लिए मेट्रो स्टेशन तक पहुंचना और यात्रा के बाद गंतव्य तक पहुंचना बहुत आसान हो जाएगा। क्योंकि अब महाराष्ट्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने यात्रियों के लिए सोमवार से शेयर ऑटोरिक्शा की व्यवस्था कर दी है। क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के प्रस्ताव को हाल ही में कलेक्टर की अध्यक्षता वाली परिवहन समिति ने मंजूरी दे दी है और नए साल में महामेट्रो द्वारा यह सेवा शुरू की जाएगी। इससे मेट्रो स्टेशन तक पहुंचना और मेट्रो से यात्रा कर गंतव्य तक पहुंचना बहुत सुविधाजनक हो जाएगा। यह नागपुर के लोगों के लिए नए साल का उपहार होगा। महामेट्रो नए साल में यात्रियों के लिए शेयर ऑटो सेवा शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
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कांग्रेस MLA सुनील केदार को झटका
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बैंक घोटाले में 5 साल की सजा, 21 साल बाद आया फैसला
नागपुर. पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता सुनील केदार की मुश्किलें और बढ़ गईं हैं। बहुचर्चित नागपुर जिला बैंक घोटाला मामले में कोर्ट का फैसला आ गया है। नागपुर की विशेष अदालत ने कांग्रेस विधायक सुनील केदार और पांच अन्य को दोषी ठहराया है। जबकि सबूतों के अभाव में तीन अन्य को बरी कर दिया है। इस मामले में केदार को 5 साल की सजा सुनाई गई है। साथ ही 12.50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा है। नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (एनडीसीसीबी) घोटाला मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने शुक्रवार को सावनेर से कांग्रेस विधायक सुनील केदार को 150 करोड़ रुपये के घोटाले में दोषी ठहराया है। घोटाले के अन्य आरोपियों को भी सजा सुनाई गई है। महाविकास अघाडी (एमवीए) सरकार में मंत्री रहे सुनील केदार से जुड़े इस मामले में दो दशक से अधिक समय बाद फैसला आया है।
केदार समेत 11 आरोपी थे मौजूद
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ज्योति पेखले-पुरकर की अदालत में दोषियों को सजा सुनाई गई। सुनवाई के दौरान केदार के अलावा अन्य आरोपी भी अदालत में मौजूद थे। जांच एजेंसी की चार्जशीट में केदार और 11 अन्य आरोपियों पर आईपीसी की धारा 406, 409, 468, 471, 120-बी और 34 के तहत आरोप लगाए गए थे। आरोपियों में बैंक के पूर्व महाप्रबंधक अशोक चौधरी, तत्कालीन मुख्य अकाउंटेंट सुरेश पेशकर, महेंद्र अग्रवाल, श्रीप्रकाश पोद्दार, सुबोध भंडारी, कानन मेवावाला, नंदकिशोर त्रिवेदी, अमित वर्मा और मुंबई के स्टॉकब्रोकर केतन सेठ शामिल हैं। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने अग्रवाल के मामले पर रोक लगाई थी, जबकि मेवावाला फरार है।
क्या है मामला
2002 में जब 150 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था तब कांग्रेस नेता बैंक के अध्यक्ष थे। सीआईडी के तत्कालीन उपाधीक्षक किशोर बेले इस घोटाले के जांच अधिकारी हैं। जांच पूरी कर उन्होंने 22 नवंबर 2002 को अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। तभी से विभिन्न कारणों से सुनवाई पूरी नहीं हो सकी और मामला लंबित था।
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