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जय जय बरसानों गाँव जहाँ राधारानी राज रही…

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हम मथुरा- वृन्दावन जाते हैं और सिर्फ प्रमुख स्थानों के दर्शन कर लौट आते हैं. क्योंकि हमें पता ही नहीं होता है कि यहां कौन-कौन से और भी विशेष स्थान हैं. यहां कण-कण में भगवान हैं. वृन्दावन के आसपास ऐसे बहुत से स्थान हैं जहां भगवान कृष्ण आज भी लीलाएं करते हैं. इसका अनुभव आप खुद कर सकते हैं. अगली बार जब भी वृन्दावन जाएं इन स्थानों पर जरूर जाएं….

 सांकरी खोर : ब्रह्म पर्वत और विष्णु पर्वत के मध्य संकरी गली को ही सांकरी खोर कहते हैं। इस मार्ग से गोपियाँ दूध-दही बेचने जाया करती थीं। एक बार श्री कृष्ण जी ने गोपियों को यहाँ रोक लिया और कर के रूप में दही-माखन मांगने लगे। सखियों के आनाकानी करने पर श्रीकृष्ण एवं अन्य सखाओं ने उनकी मटकी फ़ोड़कर सारा दूध-दही लूट लिया। यहाँ प्रतिवर्ष भाद्रपद मास के शुक्ला त्रियोदशी के दिन बूढ़ीलीला(मटकीफ़ोड़ लीला) होती है।

दानगढ : यह ब्रह्म पर्वत के उत्तरी भाग में एवं सांकरी खोर की पश्चिम दिशा में है। यहाँ पर श्री कृष्ण  सखाओं के साथ श्री राधिका एवं अन्य सखियों की प्रतीक्षा कर रहे थे। श्री राधा एवं अन्य सखियाँ सूर्य पूजा के बहाने विविध द्रव्यों को लेकर वहाँ से गुजर रहीं थी। तब श्री कृष्ण जी ने कहा आप यहाँ से जा रही हो आपको कर देना होगा। विशाखा सखी ने पूँछा- “तुम कौन होते हो कर लेने वाले। कृष्ण जी बोले मुझे यहाँ राजा कन्दर्पदेव ने कर लेने के लिये नियुक्त किया है। सभी सखियाँ बोलीं यहाँ की राजेश्वरी तो श्री राधा रानी हैं। श्री राधा जी के कटाक्षरूपी बाणों से आपके राजा कन्दर्प का सारा पराक्रम दूर हो जाता है। यहाँ पर दान बिहारी जी का मन्दिर है।

मानगढ़ : एक बार श्याम सुन्दर राधा जी से मिलने जा रहे थे, मार्ग में उन्हें पद्मा मिली और उसने कृष्ण जी को चन्द्रावली के विरह के बारे में बताया। श्री श्याम सुन्दर  जी चन्द्रावली को सांत्वना देने चले गये। श्री राधा जी श्यामसुन्दर के न आने के कारण व्याकुल हो गयीं और उन्होंने अपनी सखियों को श्याम सुन्दर के बारे में पता करने को कहा। सखियों ने श्री राधा जी को बताया कि श्याम सुन्दर तो चन्द्रावली सखी की कुञ्ज में हास-परिहास कर रहे हैं। यह सुनकर श्रीराधाजी श्रीश्याम सुन्दर से मान कर बैठीं। रसिक श्री कृष्ण ने बड़े कौशल से श्रीराधा जी का मान भंग किया।

रत्न कुण्ड : कृष्णजी ने मुक्ता कुण्ड में मोती उगाये, जिन्हें नन्दराय जी ने वृषभानु जी के यहाँ भेजा। इनको देखकर वृषभानु चिन्तित हो गये। राधा जी ने उनकी चिन्ता को दूर करने के लिये अपनी माँ से मोती का हार लिया और इस कुण्ड पर मोती की खेती कर दी। जिससे यहाँ विभिन्न प्रकार के मोती उग आये।

विलासगढ़ : विष्णु पर्वत पर स्थित यह स्थान चिकसौली और ऊँचा गाँव से घिरा हुआ है। यहाँ पर श्री राधा जी अपनी सखियों के साथ धूला खेलतीं थीं। यहाँ विलास मन्दिर है। यहाँ श्री राधा-कृष्ण ने विविध प्रकार के क्रीड़ा-विलास किये हैं।

भानुगढ़: बरसाने में भानुगढ़ पर ही श्री राधा रानी जी का मन्दिर स्थित है। इसे वृषभानु जी का भवन कहते हैं। मन्दिर अत्यंत सुन्दर, कलात्मक बना हुआ है। राधाष्टमी पर  यहाँ विशेष दर्शन होते हैं।

जय जय बरसानों गाँव जहाँ राधारानी राज रही।

पर्वत ऊपर महल मणिन कौ,

जागे आगे त्रिभुवन फ़ीकौ।

ब्रह्मा रूप धरै पर्वत कौ।

श्री चरनन कौ धाम, जहाँ राधारानी राज रही॥

मोरकुटी : यहाँ पर श्री राधा जी मय़ूरों को नृत्य सिखाती थीं। कभी-कभी श्याम सुन्दर भी मोर का रूप धारण कर वहाँ पहुँच जाते थे और राधा रानी जी से नृत्य सीखा करते। श्याम सुन्दर जान बूझ कर गलतियाँ करते और राधा जी उनको डाँटती थीं, श्रीराधा रानी को नाराज होते हुए देख श्यामसुन्दर को बहुत प्रसन्नता होती थीं।

“नाचत मोर संग स्याम, मुदित श्यामाहि रिझावत ।

तसिय कोकिल अलापत, पपहिया देत सुर, तैसोंइ मेघ गरज मृदंग बजावत ॥

तैसिय श्याम घटा निशि सी कारी, तैसिहें दामिनी कौंधै दीप दिखावत ॥

श्री हरिदास के स्वामी श्यामा रीझ श्याम हँसि कण्ठ लगावत॥

गह्वर वन : इस सघन वन को स्वयं श्री राधा रानी जी ने सुशोभित किया। यह बहुत ही रमणीय स्थान है। यह श्री राधा जी एवं अन्य सखियों का नित्य विहार स्थल है। यहाँ श्री राधा-सरोवर, रास मण्डल, शंख का चिह्न और गाय के स्तन का चिह्न दर्शनीय है। रास मण्डल के पास मयूर सरोवर है। अनेक वैष्णव रसिक संतों को यहाँ श्री किशोरी जू का साक्षात्कार हुआ है। महाप्रभु श्री बल्लभाचार्य जी की यहाँ बैठक भी है।

कृष्ण कुण्ड : चारों ओर से लता-पताओं, वृक्षों से घिरा हुआ यह सरोवर गह्वर वन की शोभा है तथा अनेक वैषणवों के लिये श्रद्धा का स्थल है। पिया-प्रियतम ने यहाँ जल केलि आदि लीलाएं की हैं।

चिकसौली : श्रीराधा जी की अष्ट सखियों में अत्यंत प्रिय चित्रा सखी का यह जन्म स्थान है। चित्रा सखी के पिता का नाम चतुर्गोप और माता का नाम चर्चिता था। चित्रा सखी श्री राधा जी के नाना प्रकार के श्रंगार करने में दक्ष, चित्रकला में योग्य तथा पशु-पक्षियों की भाषा समझने में निपुण थीं।

दोहनी कुण्ड : यह गहवर वन के समीप ही चिकसौली गाँव में स्थित हैं। इस स्थान पर महाराज वृषभानु जी की लाखों गाय रहती थीं। एक बार श्री राधा जी की गौ दोहन की इच्छा हुई, वे मटकी लेकर एक गाय का दूध दोहने लगीं। उसी समय श्रीकृष्ण भी वहाँ आ पहुँचे और बोले – सखी! तोपे दूध दोहवौ नाय आवै है, ला मैं बताऊँ। दोनों ने गाय के थन दोहना प्रारम्भ किया। तो श्यामसुन्दर ने ठिठोली करते हुए दूध की धार राधा जी के मुख पर ऐसी मारी कि राधा जी का मुख दूध से भर गया। यह सब देखकर सखियाँ हंसने लगीं।

आमें सामें बैठ दोऊ दोहत करत ठिठोर, दूध धार मुखपर पड़त दृग भये चन्द्र चकोर।

पीलीपोखर : यह बरसाना की उत्तर दिशा में है। पीलू के वृक्षॊं से घिरे इस वन में श्रीराधा जी अपनी सखियों के साथ अनेक प्रकार की क्रीड़ा करती थीं। श्याम सुन्दर जी भी गौचारण कराते हुए अपने सखाओं के साथ यहाँ पहुँच जाया करते और श्री राधा जी से मिला करते थे। माना जाता है यहाँ श्री राधा जी ने विवाह के पश्चात हल्दी से लिपे हाथ धोये थे जिससे सारा जल पीला हो गये। अतः इसे पीली पोखर कहते हैं।

ऊँचा गाँव : श्री राधा जी की अष्ट सखियों में सबसे प्रधान श्री ललिता सखी जी का यह गाँव है। श्री ललिता सखी जी तो श्रीराधा-कृष्ण की निकुंज लीलाओं की भी साक्षी हैं। श्रीराधाजी को अमित सुख प्रदान कराने वाली ललिता सखी प्रिया-प्रियतम की विविध लीलाओं में सहगामी हैं। इनके नि:स्वार्थ प्रेम के वशीभूत होने के कारण श्री युगल सरकार इन्हें हमेशा अपने साथ ही रखते हैं। स्वयं भोलेनाथ शंकर जी ने भी गोपी भाव की दीक्षा इन्हीं से ली थी।

चित्र-विचित्र शिला : एक समय सखियों ने प्रिया-प्रियतम का श्रंगार किया तथा ललिता जी के साथ श्री श्याम सुन्दर के विवाह का आयोजन किया। उनके मेहंदी रचे कर-कमल इस शिला पर टिके थे, जिसके चिह्न आज भी दर्शनीय हैं। सखियों द्वारा यहाँ की गयी चित्रकारी की सुन्दरता आज भी देखते ही बनती है।

रीठौरा : श्री वृषभानु जी के ज्येष्ठ भ्राता श्री चन्द्रभानु गोपजी का यह गाँव है। इन्हीं चन्द्रभानुजी की लाड़िली बेटी श्री चन्द्रावली जी हैं। ये श्री कृष्ण जी की अनन्य प्रिया सखी हैं। श्री कृष्ण जी इनके प्रति विशेष प्रेम रखते थे। यहाँ चन्द्रावली सरोवर तथा श्री बिट्ठलनाथ जी की बैठक है।

डभारो : यह श्री तुंगविद्या सखी जी का जन्मस्थल है।

संकेतवन : बरसाना और नंदगाँव दोनों के बीच में संकेत वन स्थित है। श्री राधा जी जावट से और श्री कृष्ण नंदगाँव से आकर यहाँ पर मिलते थे। वृन्दा देवी, वीरा देवी और सुबल सखा किसी न किसी बहाने से संकेत के द्वारा यहाँ पर प्रिया-प्रियतम का मिलन कराते थे। यहाँ पर संकेत बिहारी जी का मन्दिर, रास मण्डल स्थल, झूला मण्डप आदि दर्शनीय हैं।

लेखक : गोविंद शर्मा.

मो.नं. 9457289414

श्री धाम वृन्दावन

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अब आएगा रामराज्य?

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अयोध्या के राममंदिर में अब ‘रामलला’ आने वाले हैं। देश-विदेश में उत्सव मनाए जा रहे हैं। पीएम मोदी 22 जनवरी को इस भव्य मंदिर का उद्घाटन करेंगे। नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के प्रयासों से अयोध्या में भगवान राम विराज रहें हैं। अब उम्मीद है कि देश में जल्द ही रामराज्य भी आएगा। परंतु राम राज्य है क्या ? यह जानना बहुत जरुरी है। गोस्वामी तुलसीदास व्दारा रचित ‘रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में ‘रामराज्य’की कल्पना करते हुए एक आदर्श शासन व्यवस्था का प्रारूप प्रस्तुत किया गया है। ‘रामचरितमानस’में  तुलसीदासजी कहते हैं –“ दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा

सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती ” (मानस,उ.कां.२१.१)

भावार्थ:- ‘रामराज्य’में किसी को दैहिक, दैविक और भौतिक तकलीफ नहीं है। सब मनुष्य परस्पर प्रेम करते हैं और मर्यादा में रहकर अपने-अपने धर्म का पालन करते हैं। लोगों को स्वतंत्रा थी पर वे दूसरे की स्वतंत्रा छीन नहीं सकते थे। लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया जाता था, सुरक्षा, न्याय और जीने का अधिकार सभी को था। जनता सुखी, समृद्ध थी। “रामराज्य’का आदर्श आज भी अनुकरणीय है और बिल्कुल संभव है। उसका पालन पूर्णतः व्यावहारिक है। आइये, आज पूरा देश राममय है, हम श्रीराम के सिखाए आदर्शों को जानकर उन्हें व्यवहार में लाने का प्रयास करें और रामराज्य की आधारशिला रखें। हमारे रामराज्य के आदर्श के रोडमैप पर चलकर कई देशों ने अलग-अलग क्षेत्रों में रामराज्य की स्थापना की है। फिर हम क्यों नहीं कर सकते?

देश का नाम : फिनलैंड

राजधानी  : हेलेंस्की

भारत की राजधानी दिल्ली से फिनलैंड मात्र 90 हजार किमी. दूर है। संयुक्त राष्ट्र ने इसे दुनिया का सबसे बेस्ट देश माना है। अब ये दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी में से एक बन गई।वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2023 में दुनिया का सबसे खुशहाल देश फिनलैंड को बताया गया है। इस लिस्ट में फिनलैंड के बाद दूसरे नंबर पर डेनमार्क और तीसरे पर आइसलैंड है। भारत 125वें पायदान पर और तुर्की 106 वें स्थान पर है।

कितनी विडंबना है कि हमारे फार्मूले से आज फिनलैंड शिक्षा के क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहा है।इस देश ने शिक्षा के क्षेत्र में ‘रामराज्य’के मूल मंत्र ‘समानता’को अपनाया है। फिनलैंड में सभी के लिए शिक्षा मुफ्त और समान है – अमीर हो या गरीब। 99% बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। प्राइवेट स्कूल और टयूशन क्लास के लिए यहां कोई जगह नहीं है।

सरकारी नौकरी के लिए एक जैसी योग्यता मांगी जाती है। पूरे देश में टीचर ट्रेनिंग एक समान है। यहां बच्चों पर शिक्षा थोपी नहीं जाती। बच्चे 7 साल की उम्र में सीधे हाईस्कूल में दाखिल होते हैं। इसके लिए उन्हें कोई परीक्षा नहीं देनी होती है। जबकि भारत में बच्चा 2 से 2.5 साल की उम्र में स्कूल में एडमिशन लेता है और इसके लिए माता-पिता का इंटरव्यू लिया जाता है। फिनलैंड में स्कूल टीचर बिल्कुल एक मित्र की तरह बच्चों से पेश आते हैं. 3 वर्ष तक क्लास टीचर रहते हैं ताकि उनका स्टूडेंट से अपनेपन का रिश्ता बन सके और वे बेहतर शिक्षा दे सकें।

प्रिंसिपल, टीचर सब बराबरी से काम करते हैं, कोई भेदभाव नहीं है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि फिनलैंड में साल 1948 में स्कूलों में मिड-डे मिल के लिए कानून लागू किया गया था। प्रिंसिपल, टीचर , स्टूडेंट सब मिलकर एक साथ खाना खाते हैं। बच्चों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जाता है।

फायदे

1. कोई भी, कभी भी शिक्षा ले सकता है। क्योंकि यहां शिक्षा मुफ्त है।

2.बच्चों को अच्छा स्वास्थ्य और अच्छी शिक्षा मिलती है।

3.पढ़ाई में पिछड़े बच्चों का अच्छा भविष्य बनता है।

4.शिक्षा से स्किल्ड फौज तैयार हो रही है।

खुशी की 5 बड़ी वजहें

सुरक्षित देश

ये सबसे स्थिर और सुरक्षित देश है. यहां की कुल आबादी 55 लाख है। संगठित क्राइम तो यहां न के बराबर है। यहां की पुलिस और इंटरनेट सुरक्षा को दुनिया में दूसरे नंबर पर माना जाता है। कानून का पालन सख्ती से होता है।

आर्थिक सुरक्षा

यहां हर नागरिक को आर्थिक सुरक्षा, अधिकार और सुविधाएं हासिल हैं। उन्हें कभी ये नहीं सोचना पड़ता कि उनकी नौकरी चली गई तो क्या होगा या फिर अगर वो बूढ़े हो गए और उनके पास धन नहीं है तो क्या होगा या कोई दुर्घटना या तबीयत खराब हो जाए तो इलाज कैसे होगा? ये सारा जिम्मा सरकार उठाती है।

सबसे कम भ्रष्टाचार

यहां भ्रष्टाचार सबसे कम है। कहा जाता है कि यहां का समाज सबसे प्रोग्रेसिव है।

कोई बेघर नहीं

हालांकि यहां की जीडीपी कम है। ये दुनिया का अकेला देश होगा, जहां कोई बेघर नहीं है। अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है।

शुद्ध हवा और शुद्ध पानी

शुद्ध हवा के मामले में ये दुनिया के तीसरे नंबर का देश है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन की रिपोर्ट में ये बात कही गई है। वहीं पानी के मामले में दुनिया में बेहतरीन स्थिति में है। इसे झीलों का देश भी कहते हैं।वहीं यहां काफी बडी मात्रा में जंगल हैं।

बेहतरीन शिक्षा व्यवस्था

यहां की शिक्षा व्यवस्था की मिसालें पूरी दुनिया में दी जाती हैं। ये दुनिया के सबसे साक्षर देशों में भी है।

 

फिनलैंड की आबादी सिर्फ 58 लाख है। इनके लिए दो ही सहारे हैं शिक्षा और जंगल। इन्होंने शिक्षा पर फोकस किया है और इस क्षेत्र में रामराज्य लाए। यही वजह है कि अकादमिक या व्यावसायिक उच्च विद्यालयों से 93 प्रतिशत फिन स्नातक हैं।फिनलैंड के 66 प्रततिशत स्टूडेंट्स हायर एजुकेशन हासिल करते हैं जो यूरोपीय संघ में सबसे अधिक है। जरूरत है हमें फिनलैंड से सीखने की ताकि आने वाले बच्चे सुखद भविष्य का सपना देख सकें। आखिर फिनलैंड हमारे ही कांसैप्ट पर काम कर रहा है। फिर हम क्यों नहीं कर सकते? आ सकता है भारत में भी ‘रामराज्य’।

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कौन बनेगा सीएम

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भोपाल.मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने ऐतिहासिक विजय प्राप्त की है। प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार चल रही है, लेकिन बीजेपी की तीन राज्यों में जीत के बाद भी अभी तक सीएम के नाम का ऐलान नहीं हुआ है। इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि  “मेरे जेहन में एक ही मिशन है 2029। उन्होंने कहा, मैं वही करूगा, जो पार्टी कहेगी।” चौहान ने कहा कि यह काम मेरा नहीं है, मेरी पार्टी का है। मैं केवल अपने काम करने में रूचि रखता हूं। बाकी चिंता पार्टी को करनी है। वह पार्टी करेगी। जो काम जिसका है, वह करे, मैं वह चिंता क्यों करूं? ”

मोदी के गले में 29 फूलों की माला पहनाना है

शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं. एक बड़े मिशन के लिए काम करना है।जनसंघ के निर्माताओं ने जो सोचा था, उसे पीएम मोदी पूरा कर रहे हैं।”सीएम ने कहा, “विधानसभा चुनाव में विजय के बाद एक मात्र लक्ष्य लोकसभा चुनाव जीतना है, क्योंकि मैं मानता हूं कि देश के लिए पीएम मोदी आवश्यक हैं। अगले लोकसभा चुनाव में एमपी की सभी 29 सीटें जीतेंगे। मध्य प्रदेश से 29 सीटें जीत कर पीएम मोदी के गले में 29 फूलों का माला पहनाना है। मोदी प्रधामंत्री जी बनेंगे, इसलिए हमारा मिशन 29 आरंभ हो गया है।”

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सत्ता का सेमीफाइनल हार चुके हैं खड़गे

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कांग्रेस में भूपेश बघेल, अशोक गहलोत और कमलनाथ जैसे अहंकारी और पार्टी हाईकमान के निर्देशों को ठेंगा दिखाने वाले नेताओं को रास्ता दिखाने का वक्त है।खड़गे को मालूम होना चाहिए कि वे सत्ता का सेमीफाइनल हार चुके हैं। अगर क्रिकेट की तरह सियासत में भी नॉकआउट होता तो कांग्रेस 2024 के सीन से गायब थी।ये वही नेता हैं, जिन्होंने पार्टी नेतृत्व को लगातार झांसा दिया कि हम जीत रहे हैं और आज INDIA को कमज़ोर कर दिया।

असल में जीते तो सुनील कोणुगोलू हैं, जिनकी रणनीति ने 3 राज्यों में पार्टी की सरकार बना दी।उसी सुनील को नकुल नाथ के भोपाल वाले मकान से खदेड़ दिया गया, क्योंकि कमलनाथ बागेश्वर बाबा के पैरों में गिरना चाहते थे।

खड़गे को यह भी पता रहा होगा कि भूपेश बघेल ने किस तरह मंत्रियों के पर काटे। किस तरह विधायकों की ताकत अफसरों से कम करवाई गई। और यह भी कि किस तरह अशोक गहलोत सचिन पायलट को नीचा दिखाने के लिए यह कहते रहे कि मैं नहीं, कुर्सी मुझसे चिपकी है। आज कुर्सी नहीं है। घर बैठें। कांग्रेस नेतृत्व चुप रहा, क्योंकि यही नेता पार्टी और कार्यकर्ताओं के लिए फंड जुगाड़ रहे थे। कांग्रेस संगठन को सख्त अनुशासन की जरूरत है, बीजेपी की तरह।अगर कांग्रेस 2024 का फाइनल नहीं जीत पाती है, तो समझ ले कि आगे कभी जीत नहीं पाएगी।

 – सौमित्र रॉय , वरिष्ठ पत्रकार.

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