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कुपोषण समस्या का खात्मा जरूरी: केंद्रीय मंत्री मुरुगना
रमेश सोलंकी. आसिफाबाद ( तेलंगाना). केंद्रीय मंत्री डॉ. एल मुरुगना ने कहा कि जिले में कुपोषण की समस्या को खत्म करना बहुत जरूरी है। रविवार को जिले के दौरे पर आए केंद्रीय सूचना, प्रसारण, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री मुरुगना ने जिले में विभिन्न विकास कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों के कल्याण, विकास और उन्नति के लिए काम करेगी।
किस पर, क्या बोले मंत्रीजी
कुपोषण : कलेक्टर स्थापित अनाज की प्राथमिकताओं पर गौर करें और कुपोषण को दूर करने के लिए अनाज की खपत के बारे में सभी को जागरूक करें। कल्याण विभाग द्वारा चलाये जा रहे आंगनबाडी केन्द्रों को गर्भवती महिलाओं, दूध पिलाने वाली माताओं, किशोरियों एवं बच्चों को समय पर सही पोषण देकर जिले में कुपोषण को दूर करना चाहिए।
चिकित्सा :स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में लोगों को बेहतर एवं गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं, जिले में सामान्य प्रसव को प्राथमिकता दी जाए। पैरामेडिक्स स्टाफ, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाडी कर्मचारी इस दिशा में पहल करें। यह सुनिश्चित करें कि प्रसव कहीं भी होम डिलीवरी के बजाय अस्पतालों में ही हो।
कोरोना व टीबी: कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए किया गया टीकाकरण कार्यक्रम शत-प्रतिशत सफल रहा है। तपेदिक या टीबी की रोकथाम में आसिफाबाद जिले द्वारा की गई 95 प्रतिशत प्रगति सराहनीय है।
बिजली: जिले में बिजली की समस्या नहीं है। संबंधित विभागों के अधिकारी पूरी तरह सतर्क हैं ताकि जिले में लोडशेडिंग से बचा जा सके।
विकास कार्यों पर बैठक
कलेक्टर राहुल राज, सांसद सोयम बाबूराव, जिला अतिरिक्त कलेक्टर वरुण रेड्डी, जिला परिषद अध्यक्ष कोवा लक्ष्मी, आसिफाबाद और सिरपुर निर्वाचन क्षेत्र के विधायक अतराम सक्कू और कोनेरू कोनप्पा ने संबंधित अधिकारियों के साथ कलेक्ट्रेट भवन में जिले के विभिन्न विकास कार्यक्रमों की समीक्षा की। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लोगों को सुविधाजनक सेवाएं प्रदान करने के लिए जिले में किए गए विकास कार्यों को तेजी से पूरा किया जाए। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जिले में लोगों की सुविधा के लिए सड़कों के साथ-साथ आंतरिक सड़कें और संपर्क मार्ग बनाए रखें।
केसीआर किट दी जाएगी
कलेक्टर ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में जन्म देने वालों को केसीआर किट प्रदान की जाएगी और लड़के के जन्म के लिए 12,000 रुपये व बालिका के जन्म के लिए 13,000 प्रदान किए जाएंगे। स्वच्छता प्रबंधन के तहत जिले की 300 ग्राम पंचायतों में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्र किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा शुरू की गई मिशन भगीरथ योजना के माध्यम से जिले के हर घर और स्कूल को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराया जाएगा। आदिवासी किसान कल्याण गिरि विकास योजना के माध्यम से बोरवेल स्थापित किए जाएंगे और फसल की खेती के लिए सहायता के उपाय किए जाएंगे।
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वंदे भारत ट्रेन के सामने जा गिरीं MLA
वेबडेस्क, महाराष्ट्र खबर24
आगरा-बनारस वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाने का कार्यक्रम अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गया. ट्रेन को झंडी दिखाते समय भाजपा की इटावा सदर विधायक सरिता भदौरिया वंदे भारत ट्रेन के सामने जा गिरीं.
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अब आपको नहीं लगाने होंगे डॉक्टरों के चक्कर
हर डॉक्टर की होगी यूनिक ID
वेबडेस्क, महाराष्ट्र खबर24
अब आपको सही इलाज के लिए डॉक्टरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है. क्योकि हर डॉक्टर की यूनिक आईडी होगी जिससे आपको उस डॉक्टर के बारे में सारी जानकारी उपलब्ध होगी. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बीमारी का सही इलाज हो सकेगा. आपको भटकना नहीं पड़ेगा.देश में अब हर डॉक्टर की एक अलग पहचान होगी. उन्हें एक यूनिक आईडी नंबर दिया जाएगा. सरकार ने सभी डॉक्टरों के लिए नेशनल मेडिकल रजिस्टर (एनएमआर) में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है. डॉक्टरों को MBBS सर्टिफिकेट, रजिस्ट्रेशन और आधार कार्ड सबमिट करना होगा. इस पोर्टल को नेशनल मेडिकल कमीशन ने तैयार किया है.
इसलिए पड़ी जरूरत
नेशनल मेडिकल कमीशन के एक अधिकारी के मुताबिक, आज तक हमारे पास ऐसा कोई डेटा नहीं था, जो यह बता सके कि देश में कुल कितने डॉक्टर हैं. हालांकि, एक अनुमानित संख्या है, लेकिन सही आंकड़े अब पता चलेंगे. इसके अलावा कितने डॉक्टरों ने देश छोड़ दिया. कितने डॉक्टरों का लाइसेंस रद्द हुआ. कितने डॉक्टरों की जान गई. ये सारी जानकारी अब एक पोर्टल पर दिखेगी. अधिकारी के मुताबिक, करीब 13 लाख से ज्यादा डॉक्टर इससे जुड़ सकते हैं.
रजिस्ट्रेशन शुरू, आप भी देख सकेंगे
डेटा नेशनल मेडिकल कमीशन के सचिव डॉ. बी श्रीनिवास ने कहा, पोर्टल पर तत्काल प्रभाव से डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन शुरु हो गया है. इसमें कुछ डेटा आम लोगों को दिखाई देंगा. बाकी जानकारी नेशनल मेडिकल कमीशन, स्टेट मेडिकल काउंसिल, नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जॉमिनेशन, एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड और मेडिकल इंस्टीट्यूट को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार दिखाई देंगे.
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सजा माफ कराने वकीलों के झूठ से हलाकान सुप्रीम कोर्ट
जताई नाराजगी, कहा- हमारा विश्वास हिल गया है
वेब डेस्क, महाराष्ट्र खबर 24.दोषियों की सजा माफी और समय से पहले रिहाई कराने के लिए अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में झूठे बयान दे रहे हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने कहा कि लगातार इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं. इससे हमारा विश्वास हिल गया है. न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति आॅगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि पिछले तीन हफ्तों में उनके सामने ऐसे कई मामले आए हैं जहां दलीलों में गलत बयान दिए गए.पीठ ने अपने आदेश में कहा कि अदालत में सजा में छूट न दिए जाने की शिकायत को लेकर बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर की जा रही हैं. पिछले तीन सप्ताह में यह सातवां मामला हमारे सामने आया है, जिसमें दलीलों में गलत बयान दिए गए हैं. शीर्ष अदालत में पीठ के सामने रोज 60-80 मामले दर्ज होते हैं. जजों के लिए हर मामले के प्रत्येक पेज को पढ़ना संभव नहीं है. फिर भी हर मामले को करीब से देखा जाता है.
भरोसे पर काम करता है सिस्टम
पीठ ने कहा कि हमारा सिस्टम विश्वास पर काम करता है. जब हम मामलों की सुनवाई करते हैं तो हम बार के सदस्यों पर भरोसा करते हैं. लेकिन जब हमारे सामने इस तरह के मामले आते हैं, तो हमारा विश्वास हिल जाता है. कोर्ट ने कहा कि एक मामले में छूट की मांग के लिए दायर रिट याचिका में न केवल गलत बयान दिए गए हैं, बल्कि अदालत के समक्ष एक गलत बयान दिया गया. पीठ ने कहा कि समयपूर्व रिहाई के लिए आदेश मांगने वाली याचिका में अपराध की प्रकृति बहुत ही महत्वपूर्ण विचार है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह छूट के लिए मामलों को देखे और इसके बाद आदेश पारित करे.
दो उदाहरण भी दिए
1- याचिकाकतार्ओं के एडवोकेट ने जेल अधिकारियों को संबोधित 15 जुलाई, 2024 के ईमेल में झूठे बयान दोहराए. वकील इस स्थिति से अवगत थे. लेकिन 19 जुलाई, 2024 को एक गलत बयान दिया गया कि सभी याचिकाकतार्ओं सजा की अवधि समाप्त नहीं हुई है. याचिका में कहा गया था कि चार याचिकाकतार्ओं ने एक मामले में 14 साल की सजा बिना छूट के काट ली है. जबकि मामले में दिल्ली सरकार ने हलफनामा दायर किया था कि चार में से दो कैदियों ने सजा में छूट पाने के लिए 14 साल की सजा पूरी नहीं की है. पीठ ने कहा कि याचिका में गलत बयान दिया गया कि सभी चार याचिकाकतार्ओं ने वास्तविक 14 साल की सजा काट ली है.
2-हत्या के आरोप में दोषी पाए गए पांच अपराधियों को लेकर भी कोर्ट में गलत बयान दिए गए. याचिका में कहा गया था कि पांचों दोषियों को हत्या के आरोप में दोषी पाया गया है. जबकि अदालत ने पाया कि उनमें से दो को अन्य अपराधों के लिए भी दोषी ठहराया गया. एक को शस्त्र अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था और दूसरे को फिरौती के लिए अपहरण और सबूत नष्ट करने के अपराध के लिए भी दोषी ठहराया गया था.
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