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भगत सिंह के हीरो थे ‘बापू’

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विप्लब . भगत सिंह ने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में बहुत बड़ा योगदान दिया था। 23 मार्च 1931को सिर्फ 23 वर्ष की आयु में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया था।लाहौर षड़यंत्र केस में भगतसिंह और उनके साथियों राजगुरू व  सुखदेव को एक साथ फांसी की सजा सुनाई गई थी। भगतसिंह  को सबसे पहले महात्मा गांधी ने सर्वाधिक प्रभावित किया था। गांधीजी से प्रेरित होकर ही भगतसिंह स्वतंत्रा आंदोलन में कूद पड़े थे। कहने का मतलब ये है कि भगतसिंह पहले गांधीवादी ही थे। लोग उस दौर के सत्य और तथ्य की बजाय झूठ और अफवाह को सच मान बैठे हैं। लेकिन ऐसा नहीं था. इस बात को इस तरह समझें….

सबसे पहले गांधी जी का थामा दामन


भगतसिंह  करतार सिंह सराभा और लाला लाजपत राय से बहुत प्रभावित थे। 13 अप्रैल 1919 को  जलियावाला हत्याकांड ने  भगत सिंह के बाल मन पर गहरा प्रभाव डाला। लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर  भगतसिंह 1920 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। जिसमें गांधीजी विदेशी सामानों का बहिष्कार कर रहे थे। भगतसिंह ने भी सरकारी स्कूल की पुस्तकें और कपड़े जला दिए। भगतसिंह, गांधीजी के आंदोलन और नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य थे। बाद में वे चंद्रशेखर आजाद के ‘गदर’ दल में शामिल हो गए।
तात्पर्य : मतलब साफ है कि भगतसिंह ने महात्मा गांधी को अपना हीरो मान लिया था। वे बापू के अहिंसा सिध्दांत से बहुत प्रभावित थे। इतिहास गवाह है उन्होंने कभी इसका विरोध नहीं किया।


 फांसी टालने बापू ने की थी कोशिश

दिल्ली यूनिवर्सिटी  6 स्टूडेंट्स रक्षिता, यश शर्मा, सपना गुप्ता, हेमंत , सचिन और आराधना ने शहीद- ए -आजम भगत सिंह,  राजगुरु और सुखदेव की फांसी को लेकर अध्ययन किया था. इन्होंने बताया कि हमारे समाज में इस फांसी को लेकर काफी भ्रम हैं. उस दौर के दस्तावेजों को खंगालने पर पता चलता है कि अंग्रेजी सत्ता ने इन्हें फांसी देने के लिए न्याय प्रक्रिया की धज्जियां उड़ा दी थी. महज दिखावे के लिए सारे नियमों का पालन हुआ था, झूठे गवाह लाए गए थे. महात्मा गांधी ने इरविन से बार बार प्रयास किया था कि इन्हें फांसी न दी जाए. अगर अंग्रेज सजा देना ही चाहते हैं तो आजीवन कारावास की सजा दे दें. गांधी स्वाध्याय मंडल के संयोजक डॉ राजीव रंजन गिरि ने  भगत सिंह की फांसी से जुड़े प्रसंगों में गांधी जी के प्रयासों को समझने के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस की पुस्तक ” इंडियन स्ट्रगल ” का हवाला दिया और बताया कि नेताजी ने भी यह रेखांकित किया है कि महात्मा गांधी ने पुरजोर प्रयास किया पर अंग्रेज नहीं माने.
तात्पर्य : गांधीजी भी भगतसिंह से बहुत प्रेम करते थे. इसलिए वे उन्हें बचाने के लिए सामने आए। बापू ने बहुत कोशिश की कि भगतसिंह की फांसी टल जाए। हालांकि वे इन लोगों की हिंसक कार्रवाई को भी सही नहीं मानते थे. इन्हें सच्चा देशभक्त मानते हुए भी इनके मार्ग से असहमत थे।

गांधीजी के मुरीद थे शहीद-ए-आजम

भगत सिंह ने कहा भी था कि गांधीजी ने अपने असहयोग आंदोलन से देश को बड़े पैमाने पर जगाने का काम किया था. यह बहुत बड़ी बात थी और जिसके लिए उनके आगे सिर न झुकाना कृतज्ञहीनता होगी।
तात्पर्य : आज के दौर में भगत सिंह और क्रांतिकारियों को गांधी जी के विरोध में खड़ा किया जा रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि क्रांतिकारी दल में सक्रिय लोग गांधी जी का बहुत सम्मान करते थे। भगत सिंह  गांधीवादी विचारधारा के बहुत बड़े समर्थक थे। असहयोग आंदोलन से बहुत प्रभावित थे।

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होली : किन राशियों पर लगेगा ‘ग्रहण’

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जानें मेष से लेकर मीन राशि के लोगों का हाल

नागपुर.पंचांग के मुताबिक 13 मार्च 2025 को होलिका दहन है, जिसे छोटी होली भी कहा जाता है। वहीं इसके अगले दिन यानी 14 मार्च 2025 को पूरे भारत में होली का महापर्व मनाया जाएगा। बता दें, 14 मार्च 2025 को होली के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने वाला है। यह चंद्र ग्रहण सुबह 9 बजकर 29 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। हालांकि भारत में यह चंद्र ग्रहण नहीं नजर आएगा। ‘ग्रहण योग’ के कारण यह चंद्र ग्रहण कुछ राशि वालों की समस्याएं बढ़ा सकता है, तो कुछ लोगों को विशेष लाभ की प्राप्ति भी संभव है।

मेष : यह ग्रहण आपके लिए मुश्किलों भरा हो सकता है। आपको मानसिक तनाव बना रहेगा। 

वृषभ : आपकी की भी समस्याएं बढ़ सकती हैं। आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

मिथुन : ग्रहण के समय किसी भी तरह की यात्रा को टालें। आपको तनाव बना रहेगा।

कर्क : कुछ विवाद हो सकते हैं। आप अपने सभी फैसलों में सावधानी बरतें।

सिंह : यह समय आपके लिए कठिनाइयों भरा रह सकता है। इसलिए आपको पुरानी बातों पर कुछ भी विचार-विमर्श करने से बचना होगा।

कन्या  : ग्रहण आपके लिए कल्याणकारी है। आपको करियर में सफलता व नौकरी में मनचाहे परिणामों की प्राप्ति हो सकती हैं। धन लाभ के अवसर मिल सकते हैं।

तुला : आपकी शारीरिक समस्याएं  बढ़ सकती हैं। सभी तरह के कार्यों में सावधानी बरतें। आत्मविश्वास में कमी महसूस कर सकते हैं।

वृश्चिक : किसी नए काम की शुरुआत करने से बचना होगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। सेहत में दिक्कतें लगी रहेंगी।

धनु :किसी पुराने काम को लेकर मानसिक तनाव बना रहेगा। कार्यक्षेत्र में नई चुनौतियां मिल सकती हैं। 

 मकर : किसी भी तरह के विषय पर अपनी राय न रखें। परिवार का सहयोग बना रहेगा।

कुंभ : आपके लंबे समय से अटके काम पूरे होंगे। किसी शुभ समाचार की प्राप्ति होगी।

मीन :आपकी समस्याएं बढ़ सकती हैं। धन का लेन-देन न करें। स्वास्थ्य में गिरावट आने की संभावना है।

पं. बिंदेश्वरी शुक्ला

महल, नागपुर 

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महाशिवरात्रि पर राशि अनुसार करें इन चीजों का दान

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जीवन में नहीं होगी कोई कमी

मेष राशि : सुहाग की चीजों का दान करें। इससे वैवाहिक जीवन खुशहाल होगा। 

वृषभ राशि :  चावल और चीनी का दान करें। इससे चंद्र दोष दूर होगा।

मिथुन राशि : अन्न और धन का दान करें। इससे करियर में सफलता प्राप्त होगी।

कर्क राशि : फल का दान करें। इससे शुभ फल की प्राप्ति होगी।

सिंह राशि : कपड़े का दान करें। इससे महादेव प्रसन्न होंगे। 

कन्या राशि: धन का दान करें। इससे धन लाभ के योग बनेंगे। 

तुला राशि : अनाज का दान करें। इससे सुख, समृद्धि में वृद्धि होगी। 

वृश्चिक राशि : गरीबों को भोजन कराएं। इससे रुके हुए काम जल्द काम जल्द पूरे होंगे।

धनु राशि : तिल का दान करें। इससे पितृ दोष दूर होगा।

मकर राशि : चावल का दान करें। इससे मानसिक तनाव दूर होगा।

कुंभ राशि : धन का दान करें। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी।

मीन राशि : चावल, दाल, चीनी, सौंफ और सुपारी का दान करें। इससे जीवन खुशहाल होगा।

                                                                                       – पं. श्याम तिवारी, महल,नागपुर.

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बैठे-ठाले

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और कितने बदलापुर सरकार ?

एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर घंटे 3 महिलाएं रेप का शिकार होती हैं, यानी हर 20 मिनट में 1. रेप के मामलों में 100 में से 27 आरोपियों को ही सजा होती है, बाकी बरी हो जाते हैं.ये आंकड़े बताते हैं कि सख्त कानून होने के बावजूद हमारे देश में रेप के मामलों में न तो कमी आ रही है और न ही सजा की दर यानी कन्विक्शन रेट बढ़ रहा है.महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों का जिक्र इसलिए, क्योंकि हाल-फिलहाल में रेप के बढ़ते मामलों ने देश को हिलाकर रख दिया है. कोलकाता में रेजिडेंट डॉक्टर की रेप और उसके बाद हत्या का मामला, बदलापुर कांड और एनकाउंटर चर्चा में बना हुआ है. रेप के मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान होने के बावजूद 24 साल में पांच दुष्कर्मियों को ही फांसी की सजा मिली है. 2004 में धनंजय चटर्जी को 1990 के बलात्कार के मामले में फांसी दी गई थी. जबकि, मार्च 2020 में निर्भया के चार दोषियों- मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी. यही वजद है कि ऐसे अपराधियों में कानून का खौफ नहीं है. तभी तो बदलापुर एनकाउंटर के बाद भी महाराष्ट्र में लगभग हर दिन रेप की एक घटना सामने आ रही है. सबसे दुख की बात ये है कि मासूमों को शिकार बनाया जा रहा है. सवाल यह है कि सरकार और कितने बदलापुर का इंतजार कर रही है? राज्य में शक्ति लॉ कानून क्यों नहीं लागू करती?

 

शक्ति आपराधिक कानून (महाराष्ट्र संशोधन) विधेयक, 2020 (शक्ति विधेयक) दिसंबर 2020 में पेश किया गया था, पास भी हो गया. लेकिन सरकार ने इसे लटकाकर रखा है क्यों? चुनाव के इस माहौल में लाड़की बहनें क्यों नहीं इस कानून को लागू करने की मांग करती हैं? इस विधेयक में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध बलात्कार जैसे कुछ अपराधों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है. आंध्रप्रदेश में ऐसा ही कानून लागू किया गया है. आज इस विधेयक को राज्य में लागू करने की सबसे ज्यादा जरूरत है.

महाराष्ट्र  में बढ़ रही है संपन्नता

महाराष्ट्र के आर्थिक हालात तेजी से सुधर रहें हैं. देश में बढ़ते निवेश का असर राज्य में देखने को मिल रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक यहां बीते 12 साल में प्रति व्यक्ति जीडीपी 64.5 बढ़कर 1.63 लाख रुपए हो गई है. प्रति व्यक्ति जीडीपी यानी प्रति व्यक्ति शुध्द राज्य उत्पादन. यह बताती है कि किसी राज्य में संपन्नता का स्तर कितना है? ग्रोथ या निवेश उन्हीं राज्यों में ज्यादा हो रहा है, जो पहले से बहुत अमीर हैं. इस मामले में ओडिशा ने हालात तेजी से सुधारे हैं.

 

बिहार आज भी 12 साल पुरानी स्थिति में है. यहां  प्रति व्यक्ति जीडीपी सिर्फ 47 ही बढ़ी है. जो कि देश में सबसे कम है. 18 राज्यों में कनार्टक सबसे अमीर है. हरियाणा दूसरे और तेलंगाना तीसरे नंबर पर है. महाराष्ट्र का नंबर 5 वां है. यानी हम भी संपन्नता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहें हैं. अच्छी बात है.

व्यापारियों का दर्द

अब व्यापारी भी सरकारी योजनाओं के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं. क्योंकि वे मानते हैं कि सरकार का ध्यान टैक्स पेयर व्यापारी की तरफ़ से हटकर वोट बैंक की ओर ज़्यादा हो गया है जिससे उनकी समस्याएं बढ़ती जा रही है. टैक्सपेयर और व्यापारियों द्वारा भरे गए टैक्स से मुफ़्त रेवड़ियां बांटी जा रही है यानि मुफ़्त की राहत ज़्यादा बढ़ गई है जो सिरदर्द बनती जा रही है. इधर जीएसटी  में सरकार रोज़ नए – नए प्रावधान ला रही है जिससे व्यापारी का ध्यान व्यापार से हटकर इन समस्याओं की ओर ज़्यादा जा रहा है. अब इनकी मांग है कि सरकार आयुष्मान भारत की तरह आयुष्मान व्यापारी योजना भी लागू करे. इन मांगों को लेकर  व्यापारी डीसीएम फडणवीस से मिले भी है. आश्वासन तो मिला है, आगे देखिए क्या होता है?

-डॉ. एस. शर्मा

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