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चर्चित मुद्दा: अफगानिस्तान में फिर तालिबान, भारत के लिए क्या मायने
हमारे पड़ोस में तालिबान घुसा और देखते ही देखते पूरे देश पर कब्जा कर लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन ये देखकर खुद हैरत में हैं कि तालिबान का विरोध किए बिना ही काबुल का पतन कैसे हो गया? तालिबान नेता मुल्ला बरादर को समझ में नहीं आ रहा कि उन्होंने इतनी जल्दी कब्जा कैसे कर लिया? लेकिन पड़ोस में इस तरह का बदलाव भारत के लिए अच्छे संकेत नहीं है। यहां फिर तालिबान सरकार के आने से भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं। भारत सरकार हर गतिविधि पर नजर रखे हुए है। कहते हैं सांप को पूरी तरह कुचल देना ही अच्छा होता है। जरूरी नहीं कि इसके लिए युध्द ही किया जाए। कूटनीति के जरिये भी सांप का फन कुचला जा सकता है। जरूरी है अभी हम कम से कम सांप की पूंछ पर अपना पैर तो रखें रहें। यानी अब तालिबान पर नकेल कसे रहना भारत के लिए बहुत जरूरी है।
ये हैं भारत की चुनौतियां
- तालिबानी सरकार के आने से जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के बढ़ने का खतरा है। लश्कर- जैश के संबंध तालिबान से हैं इसकी वजह से आतंकी गतिविधियों में इजाफा हो सकता है।
- तालिबान के सत्ता में आने पर पाकिस्तान और तालिबान के बीच की दूरी और भी कम हो सकती है। ये स्थिति भारत के लिए भी चुनौती बन सकती है।
- पाकिस्तान और चीन के संबंध भारत के खिलाफ और मजबूत होंगे। चीन इसका जमकर इस्तेमाल करेगा।
- अफगानिस्तान के र्विकास के लिए भारत ने लगभग तीन अरब डॉलर की सहायता दी है जिसके तहत वहाँ विकास के काम हुए हैं। कई परियोजनाओं पर भारत अभी भी काम कर रहा है।यदि काम रूक गया तो अफगानिस्तान में भारत की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा।
हमारे लिए अहम क्यों अफगानिस्तान
दरअसल, दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए अफगानिस्तान का भारत के पक्ष में होना जरूरी है। 1990 के अफगान-गृहयुद्ध के बाद वहाँ तालिबान के सत्ता में आ जाने के बाद से दोनों देशों के संबंध कमज़ोर होते चले गए। 2001 में अमेरिका ने तालिबान को वहां से बाहर निकाला जिसके बाद भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों में सुधार आया। फिर भारत ने अफगानिस्तान में विभिन्न निर्माण परियोजनाओं पर काम शुरू किया । वहां विकास को गति दी। और ये दूर का पड़ोसी हमारा प्रिय मित्र बन गया।
क्या कर सकता है भारत
- भारत चाहे तो संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से अफगानिस्तान में अपनी सेना भेज सकता है। लेकिन इसके लिये संयुक्त राष्ट्र को नेतृत्व की कमान संभालनी होगी।
- सार्क जैसे संगठन अब किसी मसरफ के नहीं रहे। इसलिए बिम्सटेक,इंडियन ओशियन रिम्स एसोसिएशन जैसे संगठनों के माध्यम से भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाना चाहिए ताकि क्षेत्रीय सहयोग के लिये अफगानिस्तान में शांति स्थापित हो और एक पड़ोसी के रूप में भारत को अफगानिस्तान का साथ मिलता रहे।
- यदि भारत चाहे तो तालिबान के साथ बातचीत की प्रक्रिया को आगे भी बढ़ा सकता है। नवंबर, 2018 में भारत की तरफ से दो रिटायर्ड राजनयिकों का तालिबान से बातचीत के लिये मास्को जाना इसी का एक पहलू है।
पाकिस्तान की राह भी आसान नहीं
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा और अराजकता का माहौल बनता है तो पाकिस्तान देश से लगी सीमा को बंद कर देगा। गृह मंत्री शेख राशीद ने कहा कि पाकिस्तान, अमेरिका को अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ अपनी ज़मीन का इस्तेमाल नहीं करने देगा। पाकिस्तान की ये चिंताएं उस स्थिति में सामने आ रही हैं जब पाकिस्तान और तालिबान के नज़दीकी संबंध माने जाते हैं। बता दें कि साल 1996 में जब तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में अपनी सरकार बनाई थी तब पाकिस्तान ने उस सरकार को मान्यता दी थी। इसके बावजूद अब तालिबान का बढ़ता प्रभुत्व पाकिस्तान के लिए नई चुनौतियां लेकर आया है।
निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि अफगानिस्तान में भारत के अपने हित हैं। इनकी रक्षा के लिए भारत को अपनी विदेश नीति में बदलाव करना पड़े या बड़ा फैसला भी लेना पड़े तो उसे पीछे नहीं हटना चाहिए।
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होली : किन राशियों पर लगेगा ‘ग्रहण’

जानें मेष से लेकर मीन राशि के लोगों का हाल
नागपुर.पंचांग के मुताबिक 13 मार्च 2025 को होलिका दहन है, जिसे छोटी होली भी कहा जाता है। वहीं इसके अगले दिन यानी 14 मार्च 2025 को पूरे भारत में होली का महापर्व मनाया जाएगा। बता दें, 14 मार्च 2025 को होली के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने वाला है। यह चंद्र ग्रहण सुबह 9 बजकर 29 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। हालांकि भारत में यह चंद्र ग्रहण नहीं नजर आएगा। ‘ग्रहण योग’ के कारण यह चंद्र ग्रहण कुछ राशि वालों की समस्याएं बढ़ा सकता है, तो कुछ लोगों को विशेष लाभ की प्राप्ति भी संभव है।
मेष : यह ग्रहण आपके लिए मुश्किलों भरा हो सकता है। आपको मानसिक तनाव बना रहेगा।
वृषभ : आपकी की भी समस्याएं बढ़ सकती हैं। आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
मिथुन : ग्रहण के समय किसी भी तरह की यात्रा को टालें। आपको तनाव बना रहेगा।
कर्क : कुछ विवाद हो सकते हैं। आप अपने सभी फैसलों में सावधानी बरतें।
सिंह : यह समय आपके लिए कठिनाइयों भरा रह सकता है। इसलिए आपको पुरानी बातों पर कुछ भी विचार-विमर्श करने से बचना होगा।
कन्या : ग्रहण आपके लिए कल्याणकारी है। आपको करियर में सफलता व नौकरी में मनचाहे परिणामों की प्राप्ति हो सकती हैं। धन लाभ के अवसर मिल सकते हैं।
तुला : आपकी शारीरिक समस्याएं बढ़ सकती हैं। सभी तरह के कार्यों में सावधानी बरतें। आत्मविश्वास में कमी महसूस कर सकते हैं।
वृश्चिक : किसी नए काम की शुरुआत करने से बचना होगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। सेहत में दिक्कतें लगी रहेंगी।
धनु :किसी पुराने काम को लेकर मानसिक तनाव बना रहेगा। कार्यक्षेत्र में नई चुनौतियां मिल सकती हैं।
मकर : किसी भी तरह के विषय पर अपनी राय न रखें। परिवार का सहयोग बना रहेगा।
कुंभ : आपके लंबे समय से अटके काम पूरे होंगे। किसी शुभ समाचार की प्राप्ति होगी।
मीन :आपकी समस्याएं बढ़ सकती हैं। धन का लेन-देन न करें। स्वास्थ्य में गिरावट आने की संभावना है।
पं. बिंदेश्वरी शुक्ला
महल, नागपुर
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महाशिवरात्रि पर राशि अनुसार करें इन चीजों का दान

जीवन में नहीं होगी कोई कमी
मेष राशि : सुहाग की चीजों का दान करें। इससे वैवाहिक जीवन खुशहाल होगा।
वृषभ राशि : चावल और चीनी का दान करें। इससे चंद्र दोष दूर होगा।
मिथुन राशि : अन्न और धन का दान करें। इससे करियर में सफलता प्राप्त होगी।
कर्क राशि : फल का दान करें। इससे शुभ फल की प्राप्ति होगी।
सिंह राशि : कपड़े का दान करें। इससे महादेव प्रसन्न होंगे।
कन्या राशि: धन का दान करें। इससे धन लाभ के योग बनेंगे।
तुला राशि : अनाज का दान करें। इससे सुख, समृद्धि में वृद्धि होगी।
वृश्चिक राशि : गरीबों को भोजन कराएं। इससे रुके हुए काम जल्द काम जल्द पूरे होंगे।
धनु राशि : तिल का दान करें। इससे पितृ दोष दूर होगा।
मकर राशि : चावल का दान करें। इससे मानसिक तनाव दूर होगा।
कुंभ राशि : धन का दान करें। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी।
मीन राशि : चावल, दाल, चीनी, सौंफ और सुपारी का दान करें। इससे जीवन खुशहाल होगा।
– पं. श्याम तिवारी, महल,नागपुर.
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बैठे-ठाले

और कितने बदलापुर सरकार ?
एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर घंटे 3 महिलाएं रेप का शिकार होती हैं, यानी हर 20 मिनट में 1. रेप के मामलों में 100 में से 27 आरोपियों को ही सजा होती है, बाकी बरी हो जाते हैं.ये आंकड़े बताते हैं कि सख्त कानून होने के बावजूद हमारे देश में रेप के मामलों में न तो कमी आ रही है और न ही सजा की दर यानी कन्विक्शन रेट बढ़ रहा है.महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों का जिक्र इसलिए, क्योंकि हाल-फिलहाल में रेप के बढ़ते मामलों ने देश को हिलाकर रख दिया है. कोलकाता में रेजिडेंट डॉक्टर की रेप और उसके बाद हत्या का मामला, बदलापुर कांड और एनकाउंटर चर्चा में बना हुआ है. रेप के मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान होने के बावजूद 24 साल में पांच दुष्कर्मियों को ही फांसी की सजा मिली है. 2004 में धनंजय चटर्जी को 1990 के बलात्कार के मामले में फांसी दी गई थी. जबकि, मार्च 2020 में निर्भया के चार दोषियों- मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी. यही वजद है कि ऐसे अपराधियों में कानून का खौफ नहीं है. तभी तो बदलापुर एनकाउंटर के बाद भी महाराष्ट्र में लगभग हर दिन रेप की एक घटना सामने आ रही है. सबसे दुख की बात ये है कि मासूमों को शिकार बनाया जा रहा है. सवाल यह है कि सरकार और कितने बदलापुर का इंतजार कर रही है? राज्य में शक्ति लॉ कानून क्यों नहीं लागू करती?
शक्ति आपराधिक कानून (महाराष्ट्र संशोधन) विधेयक, 2020 (शक्ति विधेयक) दिसंबर 2020 में पेश किया गया था, पास भी हो गया. लेकिन सरकार ने इसे लटकाकर रखा है क्यों? चुनाव के इस माहौल में लाड़की बहनें क्यों नहीं इस कानून को लागू करने की मांग करती हैं? इस विधेयक में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध बलात्कार जैसे कुछ अपराधों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है. आंध्रप्रदेश में ऐसा ही कानून लागू किया गया है. आज इस विधेयक को राज्य में लागू करने की सबसे ज्यादा जरूरत है.
महाराष्ट्र में बढ़ रही है संपन्नता
महाराष्ट्र के आर्थिक हालात तेजी से सुधर रहें हैं. देश में बढ़ते निवेश का असर राज्य में देखने को मिल रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक यहां बीते 12 साल में प्रति व्यक्ति जीडीपी 64.5 बढ़कर 1.63 लाख रुपए हो गई है. प्रति व्यक्ति जीडीपी यानी प्रति व्यक्ति शुध्द राज्य उत्पादन. यह बताती है कि किसी राज्य में संपन्नता का स्तर कितना है? ग्रोथ या निवेश उन्हीं राज्यों में ज्यादा हो रहा है, जो पहले से बहुत अमीर हैं. इस मामले में ओडिशा ने हालात तेजी से सुधारे हैं.
बिहार आज भी 12 साल पुरानी स्थिति में है. यहां प्रति व्यक्ति जीडीपी सिर्फ 47 ही बढ़ी है. जो कि देश में सबसे कम है. 18 राज्यों में कनार्टक सबसे अमीर है. हरियाणा दूसरे और तेलंगाना तीसरे नंबर पर है. महाराष्ट्र का नंबर 5 वां है. यानी हम भी संपन्नता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहें हैं. अच्छी बात है.
व्यापारियों का दर्द
अब व्यापारी भी सरकारी योजनाओं के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं. क्योंकि वे मानते हैं कि सरकार का ध्यान टैक्स पेयर व्यापारी की तरफ़ से हटकर वोट बैंक की ओर ज़्यादा हो गया है जिससे उनकी समस्याएं बढ़ती जा रही है. टैक्सपेयर और व्यापारियों द्वारा भरे गए टैक्स से मुफ़्त रेवड़ियां बांटी जा रही है यानि मुफ़्त की राहत ज़्यादा बढ़ गई है जो सिरदर्द बनती जा रही है. इधर जीएसटी में सरकार रोज़ नए – नए प्रावधान ला रही है जिससे व्यापारी का ध्यान व्यापार से हटकर इन समस्याओं की ओर ज़्यादा जा रहा है. अब इनकी मांग है कि सरकार आयुष्मान भारत की तरह आयुष्मान व्यापारी योजना भी लागू करे. इन मांगों को लेकर व्यापारी डीसीएम फडणवीस से मिले भी है. आश्वासन तो मिला है, आगे देखिए क्या होता है?
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