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हां, तो कहानी कुछ यूं है
26 अक्टूबर 2018 इनकम टैक्स नवयुग इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के दफ्तर पर छापा मारता है। केस वहीं रफा–दफा कर दिया जाता है।कारण आप जानते हैं। लेन–देन कितना, किसको–यह भी जानते ही होंगे।दो साल बाद, जुलाई 2020 को भारत के महालेखा नियंत्रक अदानी पोर्ट्स को नवयुग इंजीनियरिंग के 75% शेयर्स खरीदने की अनुमति देता है। 2021 को गौतम अदानी इस कंपनी के 100% शेयर्स खरीद लेता है।इस तरह नवयुग इंजीनियरिंग देश की मल्टी करोड़ कंपनी बन जाती है। हैदराबाद की यह कंपनी अपने बाप अदानी और देश के प्रधान सेवक की मेहरबानी से चुनावी साल में अरबों के ठेके जुगाड़ लेती है।
अगस्त 2023 में नागपुर–मुंबई समृद्धि एक्सप्रेस वे पर ठाणे के पास एक क्रेन 20 इंजीनियर, मजदूरों पर जा गिरती है। सारे मजदूर मारे जाते हैं। गोदी मीडिया, एनजीओ और मजदूर संगठन चूं तक नहीं करते। कोई उस हादसे के पीछे नवयुग इंजीनियरिंग की काबिलियत और अदानी के पैसे, प्रधान सेवक की भूमिका पर कुछ नहीं बोलता। कोई जिम्मेदारी नहीं। कोई एक्शन नहीं। पनौती राज के श्रम कानूनों में मजदूर जानवर बना दिए गए हैं। न वे न्यूनतम मजदूरी मांग सकते हैं, न छुट्टी और न हड़ताल कर सकते हैं। उसी नवयुग ने सिलक्यारा टनल बनाई है। चार धाम प्रोजेक्ट भी उसी को मिला है। प्रधान सेवक ने नवयुग को पहाड़ खोदने का ठेका दिया है। 41 मजदूरों की जिंदगी दांव पर है। तमाशा, इवेंट–जो कहें, 15 दिन से चल रहा है।
जिम्मेदारी किसकी है?
ये सिर्फ हादसा नहीं, नवयुग के पीछे खड़े अदानी और प्रधान सेवक की आपराधिक गलती है। ऐसे पच्चीसों बड़े प्रोजेक्ट्स नवयुग के पास हैं, यानी अदानी के पास।लाशें बिछ रही हैं। जिंदगियां दांव पर हैं।घर की नौकरानी के एक दिन छुट्टी लेने पर, दवा–इलाज़ के लिए पैसे मांगने पर जानवर बन जाने वाला भारतीय समाज चुपचाप तमाशा देख रहा है।वही पाखंडी, दोगला समाज आज मजदूरों की जिंदगी के लिए दुआ कर रहा है। कथित बुद्धिजीवी सुरंग के मुहाने से लाइव रिपोर्टिंग कर रहे हैं।
मीडिया के दलाल लाइट, कैमरा, एक्शन के साथ रोज बकवास करते हैं और प्रधान सेवक तेजस में कैमरा बिठाकर उड़ रहे हैं।बस, मजदूर अंधेरी सुरंग में धंसते, फंसते, मरते जा रहे हैं। यही इस देश का प्रपंच है। इस आपराधिक कृत्य में समाज भी प्रधान सेवक, अदानी के साथ भागीदार है।लेकिन कांग्रेस, महान राहुल गांधी ऐसे सभी मुद्दों पर चुप रहेंगे। कांग्रेस की एक भी गारंटी मजदूरों के लिए नहीं है।श्रम कानून की पाश्विकता को खत्म करने की बात जिस दिन राहुल ने कर ली, चंदा आना बंद हो जायेगा।नतीज़ा सबको भुगतना होगा।
– सौमित्र रॉय , वरिष्ठ पत्रकार