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चेक बाउंस होने पर क्या करें….जानें यहां
हालांकि आजकल ऑनलाइन का जमाना है। अब डिजीटल करेंसी की बात भी चल रही है। परंतु बावजूद इसके चेक का महत्व कम नहीं हुआ है। आज भी छोटे-बड़े अधिकांश भुगतान चेक से हो रहे हैं।
आपने अक्सर सुना होगा चेक बाउंस हो गया। क्या आप जानते हैं चेक बाउंस का मतलब क्या है? इसकी कितनी और क्या सजा है? किसी को चेक देने से पहले हमें क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। क्या इस मामले में फौजदारी मुकदमा दायर किया जा सकता है? maharashtrakhabar24 से बातचीत के दौरान इन्हीं महत्वपूर्ण सवालों का एडवोकेट सुनील दावडा ने जवाब दिया है।एडवोकेट दावडा का कहना है कि चेक भरते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए और सही जानकारी देनी चाहिए ताकि बैंक को राशि का भुगतान करने में कोई दिक्कत न हो।
इन बातों का ध्यान रखना है जरूरी
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि चेक जारी करने वाले के खाते में चेक रकम के भुगतान के लिए पर्याप्त रकम होनी चाहिए। वरना चेक बाउंस हो जाएगा। सही तरीके से चेक जारी करने की जिम्मेदारी चेक देने वाले की होती है यदि वह इसमें गलती करता है तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता(IPC) की धारा 406 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।
चेक बाउंस होने पर ये है सजा चेक बाउंस होने के बाद यदि चेक पाने वाला कानूनी कार्रवाई करता है और आरोप साबित हो जाता है तो ऐसे में दोषी को दोगुनी रकम चुकानी पड़ती है। साथ ही 2 साल की अधिकतम सजा का प्रावधान है।
दोषी को सजा दिलाने ये करना जरूरी
दोषी को सजा दिलाने के लिए मुकदमा दायर करना होता है। इसके लिए ये जरूरी है कि चेक की रकम कानूनी रूप से वैध होनी चाहिए। जब चेक बाउंस हो जाता है तो 30 दिन के भीतर रजिस्टर्ड पोस्ट से चेक देने वाले को नोटिस भेजकर बाउंस चेक की रकम की मांग करनी चाहिए। यदि 15 दिन के अंदर वह रकम नहीं चुकाता है तो अगले 30 दिन के अंदर कोर्ट में मुकदमा दायर करना चाहिए।
क्या जेल की सजा से बचा जा सकता है?
कोर्ट से समन्स मिलने के बाद पहली या दूसरी पेशी में बाउंस चेक की रकम भरकर केस से छुटकारा पाया जा सकता है।
केस की कार्रवाई के दौरान आपसी बातचीत से भी मामले को निबटाया जा सकता है। कोर्ट में मध्यस्थ की व्यवस्था होती है। लोकअदालत में भी समझौता किया जा सकता है।