Bollywood

ये हैं असली ‘हीरो’

Published

on

मुंबई.ये स्टोरी राजा की है जो राजकपूर के जबरा फैन थे। राज जी से इंस्पायर होकर 20 साल की उम्र में  हीरो बनने मुंबई पहुंचे। बहुत स्ट्रगल करने के बाद छोटा सा काम मिला एक्टर्स को हिन्दी में सही तरीके  से डॉयलॉग बुलवाने का। थोड़े दिन बाद आर.के. स्टूडियो में काम मिल गया। वहां इनकी भगवान दादा से दोस्ती हो गई। ये वही भगवान दादा हैं जिनकी डांस की नकल अमिताभ बच्चन किया करते हैं- ऐसा कहा जाता है।

खैर, भगवान दादा ने राजा की दोस्ती फिल्म डायरेक्टर जागीरदार से करवाई। जागीरदार इनसे बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने राजा को एक फिल्म की कहानी लिखने का ऑफर दिया। कहानी पढ़कर जागीरदार ने फिल्म बनाने का फैसला किया। फिल्म का नाम रखा गया ‘बहू’। जागीरदार ने राजा को ही फिल्म का हीरो बनाया। कुछ रील बनने के बाद फिल्म रूक गई। वजह आर्थिक हालत खस्ता।

राजा का संघर्ष फिर शुरू हो गया। बहुत संघर्ष के बाद जब कुछ हाथ नहीं लगा तो वो घर लौट आए। परिवार वाले पहले से ही नाराज थे। उन्होंने कोई मदद नहीं की। राजा ने नागपुर आकर टयूशन शुरू की और मॉरिस कॉलेज में एडमिशन लिया।  समय का खेल देखिए राजा को बीए और एमए में गोल्ड मेडल मिला। उन्होंने कई रिकार्ड तोड़े। उनका चयन आईएएस के लिए हो गया। वे मध्यप्रदेश में कई जगह कलेक्टर के पद पर रहे। उन्हें कई अवार्डों से नवाजा गया।  वे एक दबंग अधिकारी के रूप में आज भी याद किए जाते हैं। हालांकि अब वे इस दुनिया में नहीं है। लेकिन उनकी ये स्टोरी आज भी रास्ता दिखाती है।

धोखा हुआ पर, हिम्मत नहीं हारी

सचिन्द्र शर्मा खुद भी स्ट्रगलर रहे हैं। 21 साल की उम्र में छोटी-छोटी हथेलियों में बड़े-बड़े सपने लेकर मुंबई पहुंचे। दूसरे ही दिन एक फिल्म में छोटा सा रोल भी मिल गया। लगने लगा अब सपने सच हो जाएंगे। लेकिन उनके सारे सपने टूट गए। स्ट्रगल का लंबा दौर शुरू हुआ पर उन्होंने  हिम्मत नहीं हारी। बॉलीवुड में अपना मुकाम बनाया। आज वे एक सफल प्रोडयूसर और डायरेक्टर हैं।

ये स्टोरी खुद सचिन्द्र शर्मा की है। उनके साथ कैसे धोखा हुआ,  उन्हीं की जुबानी-आधी रात को मैं मुंबई के एक स्टेशन पर उतरा। मेरी जेब में 5 हजार रूपए थे। सुबह मुझे जानकारी मिली की एक जगह पर शूटिंग चल रही है। मैं वहां पहुंच गया और डायरेक्टर से मिला। उन्होंने मुझे बैठने के लिए कहा। थोड़ी देर में एक लड़का आया और बोला तुमको डायरेक्टर साहब ने बुलाया है।पता चला कि एक आर्टिस्ट नहीं आया है जिसके कारण शूटिंग रूकी हुई है। डायरेक्टर ने मुझसे पूछा तुम काम करोगे, मैंने तुरंत हामी भर दी। मैं खुशी-खुशी घर लौट आया। अखबारों में फिल्म के बारे में पढ़ा। बहुत दिन बीत गए पर फिल्म रिलीज नहीं हुई। जब मैंने इस बारे में डायरेक्टर से पूछा तो वे बोले घर से रूपए मंगाओ । फेम के लिए रूपए तो खर्च करने ही पड़ेंगे। मैंने तुरंत 4 हजार रूपए दे दिए। बाद में पता चला कि माजरा कुछ और ही था। खैर बचे 1 हजार रूपए से मैंने कैसे दिन काटे, मैं ही जानता हूं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और आज इस मुकाम पर हूं।

स्ट्रगल को सक्सेस स्टोरी बनाएगा ‘बॉलीवुड कॉलिंग’

स्ट्रगलर के दर्द को सचिन्द्र से अच्छा भला कौन समझ सकता है। उनके मन में बहुत दिनों से स्ट्रगलरर्स के लिए कुछ करने की इच्छा थी। लेकिन सवाल यह था कि ऐसा क्या करें जिससे स्ट्रगलरर्स को मुंबई आने के बाद धक्के ना खाना पड़े और मंजिल भी मिल जाए। आखिर उन्हें एक आइडिया सूझा। क्यों ना इनके लिए एक प्लेटफार्म बनाया जाए। बस….यहीं से शुरू हुआ ‘बॉलीवुड कॉलिंग’ का सफर। महाराष्ट्र खबर 24 से बातचीत करते हुए प्रोडयूसर व डायरेक्टर  सचिंद्र शर्मा ने कहा कि फिल्मों में काम करने की इच्छा लिए हर दिन , हजारों लोग यह आजमाने के लिए इस शहर का रुख करते हैं कि क्या उनकी किस्मत सिनेमा की दुनिया में उन्हें चमक दिलाएगी? पर अधिकांश लोग असफल हो जाते हैं। संघर्ष से घबराकर खाली हाथ घर भी लौट जाते हैं। कोई फ्रॉड का शिकार हो जाता है। कोई  गलत रास्ता पकड़ लेता है। ऐसे ही कई प्रतिभाएं दम तोड़ देती हैं।

इसका सिर्फ एक ही कारण होता है सही मार्गदर्शन और सही जानकारी का ना होना। इसलिए हमने तय किया कि ‘बॉलीवुड कॉलिंग’ के प्लेटफार्म से फिल्म पटकथा, अभिनय, निर्देशन, मॉडलिंग, डान्सिंग, गीत-संगीत और पोस्ट प्रोडक्शन से जुड़ी अहम जानकारियां दी जाएं। ताकि स्ट्रगलर अपने संघर्ष को सक्सेस स्टोरी बना सके। सीनियर जर्नलिस्ट ज्योति वेंकटेश कहते हैं नए लोगों को कोई जानकारी नहीं होती। इसलिए वे भटक जाते हैं। हम उन्हें सही रास्ता दिखाकर उनका करियर खराब होने से बचाना चाहते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Trending

Exit mobile version