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किस्सा ‘कुर्सी’ का

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यंग जनरेशन तैयार, पर बुजुर्ग नेता हैं कि मानते नहीं

 इस साल हमने 74 वां गणतंत्र दिवस मनाया.विडंबना देखिए इतने सालों बाद भी देश के युवा राजनीति में मुख्यधारा का किरदार नहीं बन पाए हैं.  संसद या विधानसभा में उनको पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है. क्योंकि अधिकांश बुजुर्ग नेता अपनी कुर्सियों से चिपके हुए हैं. कई तो ढाई- तीन दशक से अध्यक्ष पद पर काबिज हैं. चंद नेता ऐसे भी हैं, जो 90 की आयु पार करने के बाद भी अपने दल के सर्वेसर्वा बने हुए हैं.

90 पार, फिर भी ‘सुप्रीमो’

91 साल के बादल

शिरोमणि अकाली दल के 96 वर्षीय नेता प्रकाश सिंह बादल 75 साल से राजनीति में सक्रिय हैं. वह पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे. बादल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहने का भी अवसर मिला. पिछले साल 95 वर्ष की आयु में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए.

करूणा आजीवन अध्यक्ष

तमिलनाडु में द्रमुक और महाराष्ट्र में शिवसेना का क्रमश: गठन करने वाले एम. करूणानिधि और बाल ठाकरे अपनी-अपनी पार्टी के आजीवन अध्यक्ष रहे. करूणानिधि ने 1969 में पार्टी बनाई थी. 94 साल की उम्र में निधन होने तक वह लगातार 49 साल तक पार्टी प्रमुख बने रहे. ठाकरे ने 1966 में शिवसेना बनाई थी. 86 साल की आयु में निधन होने तक लगातार 46 साल पार्टी अध्यक्ष रहे.

चामलिंग-विश्वास का राजपाठ

सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के अध्यक्ष पवन चामलिंग तीन दशक से पार्टी का अध्यक्ष पद संभाल रहे है. पश्चिम बंगाल में फारवर्ड बंगाल पार्टी का नेतृत्व पिछले 25 सालों से देवव्रत विश्वास कर रहे है.

75 पार , फिर भी चिपके हुए हैं
शरद पवार
(अध्यक्ष), 
NCP, (23 साल से),उम्र : 84 वर्ष,62 साल से राजनीति में, 4 बार सीएम,चुनाव लड़े : 15 (15
जीते )
लालू यादव,
(अध्यक्ष) 
RJD,(25 साल से)उम्र : 76 वर्ष,50 साल से राजनीति में, 3 बार सीएम,चुनाव लड़े : 12 (11 जीते)
नवीन पटनायक
(अध्यक्ष)
 BJD
(25 साल से)उम्र : 79 वर्ष25 साल से राजनीति में, पद : 5 बार सीएम,चुनाव लड़े : 7 (7 जीते)
फारूख अब्दुल्ला
 (अध्यक्ष)
 NC
(32 साल से),उम्र : 86 वर्ष,42 साल से राजनीति में, पद : 3 बार सीएम,चुनाव लड़े : 12 (11 जीते)

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