Featured

सत्ता संग्राम ; बढ़ी शिंदे गुट की ताकत

Published

on

 नार्वेकर बोले ,शिंदे की पार्टी ही असली शिवसेना 

बेब डेस्क. मुंबई. शिवसेना उद्धव ठाकरे बनाम शिवसेना शिंदे समूह के बीच सत्ता संग्राम में विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अपना  निर्णय सुनाते हुए कहा कि शिंदे की पार्टी ही असली शिवसेना है। इस फैसले से जहां एक ओर एकनाथ शिंदे की सीएम की कुर्सी बच गई है, वहीं दूसरी ओर ठाकरे समूह को बड़ा झटका लगा है।

विधानसभा अध्यक्ष के इस निर्णय के बाद तय हो गया है कि एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। इसके साथ ही नार्वेकर ने उद्धव ठाकरे की अयोग्यता वाली याचिका को खारिज कर दिया है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सीएम एकनाथ शिंदे की पार्टी को बहुमत प्राप्त है। ठाकरे समूह कानूनी लड़ाई फिर से लड़ने की तैयारी में है।

ये होगा असर

1.महाराष्ट्र में 16 विधायकों की सदस्यता पर मंडरा रहा खतरा टला। नार्वेकर ने सभी विधायकों को योग्य तो ठहराया ही है, साथ ही शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना है। अब इस फैसले से शिंदे गुट की ताकत बढ़ जाएगी।

2.शिंदे गुट को असली शिवसेना माने जाने से कई बड़े नेता शिंदे गुट की तरफ आएंगे। शिवसेना में फूट पड़ सकती है। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी इसका प्रभाव दिखाई देगा।

3.केंद्रीय चुनाव आयोग और अब विधानसभा अध्यक्ष ने एकनाथ शिंदे को शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न दे दिया है। जिससे ठाकरे गुट की पहचान पर सवालिया निशान लग गया है।

ऐसे बची शिंदे की कुर्सी

1.2018 में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने संविधान में संशोधन कर पार्टी की सारी शक्ति अपने हाथ में ले ली थी। लेकिन उन्होंने इसकी जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दी। बस उनकी यही भूल भारी पड़ गई और चुनाव आयोग ने 1999 के संविधान को आधार मानते हुए शिंदे गुट के पक्ष में फैसला सुना डाला।

2.दूसरी गलती यह हुई कि चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में उद्धव ठाकरे द्वारा 2018 में किया गया संविधान संशोधन दर्ज ही नहीं कराया गया। इसलिए चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे द्वारा शिंदे को हटाए जाने के फैसले को गलत माना।

 

3.2018 में पार्टी  के संविधान में संशोधन करने के बाद उद्धव ने शिंदे को शिवसेना नेता पद से हटा दिया था। बाद में चुनाव आयोग ने इस फैसले को गलत बताया था और 2018 में किए गए संशोधन को असंवैधानिक करार दिया था।

4.चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के मुताबिक 2018 में शिवसेना के संविधान में हुए संशोधन की जानकारी नहीं दी गई थी। इसलिए 1999 में हुए संविधान संशोधन को आधार मानते हुए ये फैसला किया गया कि शिंदे को शिवसेना नेता पद से हटाने का अधिकार उध्दव ठाकरे के पास था ही नहीं। 1999 के पार्टी संविधान के आधार पर ये तय किया गया कि विधानमंडल में जिसके पास बहुमत है पार्टी पर असली हक उसी का है।

5. विधानसभा अध्यक्ष ने फैसले में कहा कि शिवसेना के पास 55 विधायक थे, इनमें से 37 विधायक एकनाथ शिंदे के साथ हैं। चुनाव आयोग ने इसे मान्य किया है। इसलिए शिंदे गुट ही असली शिवसेना है।

अब आगे क्या

अब उद्धव की पार्टी सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। आदित्य ठाकरे ने भी कहा है कि अब हमारे लिए सुप्रीम कोर्ट ही उम्मीद बची है।

उद्धव गुट के अंबादास दानवे ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और इस फैसले को चुनौती देंगे। इधर राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने भी कहा है कि अब उद्धव को सुप्रीम कोर्ट जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट में न्याय मिलने की उम्मीद है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Trending

Exit mobile version