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पितृ पक्ष आज से शुरु
ऐसे मिलेगा पितरों का आशीर्वाद
क्या करें और क्या ना करें
नागपुर,वेबडेस्क, महाराष्ट्र खबर 24.पितृ पक्ष में बड़ी संख्या में लोग अपने पितृगणों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए श्राद्ध और तर्पण करते रहे हैं. आज से पितृ पक्ष की शुरुआत हो गई है. इस दौरान अपने पितरों के सम्मान में उन्हें याद करते हुए उनके नाम का तर्पण करना और भोग लगाना का विशेष महत्त्व है. आचार्य गोविन्द तिवारी बताते है कि, पितृ पक्ष वह समय होता है जब पितृगण धरती पर आते हैं और अपने वंशजों से तर्पण और पिंडदान की आशा रखते हैं. इस दौरान विधिपूर्वक श्राद्ध करने से पितृगण प्रसन्न होते हैं और परिवार पर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
कुश,तिल और जौ का विशेष महत्व
पितृ पक्ष में कुश, तिल और जौ का विशेष महत्व है.श्राद्ध और तर्पण में इन तीनों का उपयोग आवश्यक है. काले तिल भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय माने जाते हैं और इन्हें देव अन्न कहा जाता है. इसलिए पितरों को भी ये प्रिय है. कुशा का भी धार्मिक और पौराणिक महत्व है. इसका उपयोग तर्पण में इसलिए किया जाता है क्योंकि पितरों को कुश से अर्पित किया गया जल अमृत तत्व की तरह मिलता है. जिससे हमारे पितृ तृप्त होते हैं.
पितृपक्ष में श्राद्ध की तिथियां
पूर्णिमा श्राद्ध | 17 सितंबर 2024 | मंगलवार |
प्रतिपदा श्राद्ध | 18 सितंबर 2024 | बुधवार |
द्वितीया श्राद्ध | 19 सितंबर 2024 | गुरुवार |
तृतीया श्राद्ध | 20 सितंबर 2024 | शुक्रवार |
चौथा श्राद्ध | 21 सितंबर 2024 | शनिवार |
पांचवां श्राद्ध | 22 सितंबर 2024 | रविवार |
छठा श्राद्ध | 23 सितंबर 2024 | सोमवार |
सातवां श्राद्ध | 24 सितंबर 2024 | मंगलवार |
आठवां श्राद्ध | 25 सितंबर 2024 | बुधवार |
नौवां श्राद्ध | 26 सितंबर 2024 | गुरुवार |
दसवां श्राद्ध | 27 सितंबर 2024 | शुक्रवार |
एकादशी श्राद्ध | 28 सितंबर 2024 | शनिवार |
द्वादशी श्राद्ध | 29 सितंबर 2024 | रविवार |
त्रयोदशी श्राद्ध | 30 सितंबर 2024 | सोमवार |
चतुर्दशी श्राद्ध | 1 अक्तूबर 2024 | मंगलवार |
सर्व पितृ अमावस्या | 2 अक्तूबर 2024 | बुधवार |
पितृ पक्ष में बरतें सावधानियां
- इस अवधि में दोनों वेला में स्नान करके पितरों को याद करना चाहिए
- कुतुप वेला में पितरों को तर्पण दें और इसी वेला में तर्पण का विशेष महत्व भी होता है.
- तर्पण में कुश और काले तिल का विशेष महत्व है. कुश और काले तिल के साथ तर्पण करना अद्भुत परिणाम देता है.
- जो कोई भी पितृ पक्ष का पालन करता है उसे इस अवधि में सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए.
- पितरों को हल्कि सुगंध वाले सफेद फूल ही अर्पित करें. तीखी सुगंध वाले फूल वर्जिक हैं.
- इसके अलावा, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों का तर्पण और पिंड दान करें.
- पितृ पक्ष में हर रोज गीता का पाठ जरूर करें.
- वहीं, कर्ज लेकर या दबाव में कभी भी श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए.