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पितृ पक्ष में न करें ये काम, वरना पितृ हो जाएंगे नाराज
ज्योतिषाचार्य कमल शास्त्री.हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इस साल पितृ पक्ष 11 सितंबर से शुरू होंगे, जो कि 25 सितंबर तक चलेंगे। इस दिन से पितरों के लिए दान और पुण्य कार्य शुरू हो जाएंगे। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। जैसे शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, घर के लिए महत्वपूर्ण चीजों की खरीददारी न करें। पितृ पक्ष में नाखून और बाल नहीं काटने चाहिए। इसके अलावा श्राद्ध का कार्य दिन में करना चाहिए। वरना पितृ नाराज हो जाते हैं। प्रतिदिन नहा-धोकर भगवत् गीता के अध्याय 7 का पठन करें।
पितृ पक्ष का मुहूर्त
पितृ पक्ष को करने का शुभ समय कुतुप मुहूर्त और रोहिना मुहूर्त होता है। इन दोनों शुभ मुहूर्त के बाद अपराह्न काल समाप्त होने तक भी मुहूर्त चलता है। श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है .प्रतिपदा श्राद्ध शनिवार, 10 सितंबर 2022 से शुरू हैं इस दिन श्राद्ध अनुष्ठान का समय इस तरह है
कुतुप मुहूर्त : दोपहर 12:11 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक
रोहिना मुहूर्त : दोपहर 01:00 बजे से दोपहर 01:49 बजे तक
अपराह्न मुहूर्त 01:49 दोपहर से 04:17 तक
तिथि के अनुरूप करें श्राद्ध
11 सितंबर.प्रतिपदा श्राद्ध
12 सितंबर.द्वितीया श्राद्ध
13 सितंबर.तृतीया श्राद्ध
14 सितंबर.चतुर्थी श्राद्ध
15 सितंबर.पंचमी श्राद्ध
16 सितंबर.षष्ठी श्राद्ध
17 सितंबर.सप्तमी श्राद्ध
18 सितंबर.अष्टमी श्राद्ध
19 सितंबर.नवमी श्राद्ध
20 सितंबर.दशमी श्राद्ध
21 सितंबर.एकादशी श्राद्ध
22 सितंबर.द्वादशी श्राद्ध
23 सितंबर.त्रयोदशी श्राद्ध
24 सितंबर.चतुर्दशी श्राद्ध
25 सितंबर.अमावस्या श्राद्ध
पितरों को जल देते समय ये मंत्र बोलें
जल देते समय ध्यान करें और यह बोलें-वसु रूप में मेरे पिता जल ग्रहण करके तृप्त हों। इसके बाद जल दें। साथ ही अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें। गोत्रे अस्मत्पितामह (पितामह का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से पितामह को भी 3 बार जल दें।
नोट — इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। महाराष्ट्रखबर24 इसकी पुष्टि नहीं करता। किसी भी जानकारी को अमल में लाने के पहले विषय विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।