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विवेकानंद को पढ़ते-पढ़ते बन गए आईएएस
MY HERO…SANKET
नागपुर. कभी-कभी महानपुरूष इतना प्रेरित करते हैं कि व्यक्ति का जीवन ही बदल जाता है। संकेत के साथ भी ऐसा ही हुआ। वे विवेकानंद को पढ़ते-पढ़ते आईएएस अधिकारी बन गए। उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा- 2020 को ऑल इंडिया रैंक-266 के साथ पहले ही प्रयास में पास कर लिया। दरअसल स्वामी जी के कथन – ‘उठो, जागो और तब तक नहीं रूको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए’ को संकेत ने अपने जीवन का मूलमंत्र बना लिया। वे स्नातक और स्नातकोत्तर अवधि (2015 से 2019) के दौरान नागपुर के धंतोली स्थित रामकृष्ण मठ विवेकानंद विद्यार्थी भवन के छात्र थे। इस दौरान उन्हें विवेकानंद विद्यार्थी भवन के ‘सर्वश्रेष्ठ छात्र पुरस्कार’ और राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज विश्वविद्यालय, नागपुर की ओर से भी ‘सर्वश्रेष्ठ छात्र अवार्ड’ से सम्मानित किया गया था।
स्वामी विवेकानंद के विचारों से अत्यधिक प्रभावित होकर उन्होंने ‘चरित्र और राष्ट्र निर्माण’ का सपना देखा है। विवेकानंद विद्यार्थी भवन में अपने प्रवास के दौरान उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक और कला और परंपरा, भारतीय संत, भारतीय क्रांतिकारी, समाज सुधारक, आदि जैसे विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिए हैं। संकेत अपनी दिनचर्या, अध्ययन, प्रार्थना और रामकृष्ण मठ की विभिन्न सेवाओं में नियमित थे। इस दौरान उन्होंने स्टडी सर्कल के को-ऑर्डिनेटर, हॉस्टल के असिस्टेंट वार्डन, मैथ हॉस्टल के जूनियर स्टूडेंट्स के मेंटर जैसी विभिन्न जिम्मेदारियां संभाली। संकेत ने रामकृष्ण मठ के तत्कालीन वार्डन स्वामी ज्ञानमूर्तिानंद महाराज के प्रमुख रेव स्वामी ब्रह्मस्थानंद जी महाराज से मार्गदर्शन प्राप्त किया।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा- 2020 को ऑल इंडिया रैंक-266 के साथ पहले ही प्रयास में पास करने वाले संकेत वाघे स्वामी विवेकानंद से अत्यधिक प्रभावित रहे हैं। स्वामी जी के कथन – ‘उठो, जागो और तब तक नहीं रूको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए’ को संकेत ने अपने जीवन का मूलमंत्र बना लिया। वे स्नातक और स्नातकोत्तर अवधि (2015 से 2019) के दौरान नागपुर के धंतोली स्थित रामकृष्ण मठ विवेकानंद विद्यार्थी भवन के छात्र थे। इस दौरान उन्हें विवेकानंद विद्यार्थी भवन के ‘सर्वश्रेष्ठ छात्र पुरस्कार’ और राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज विश्वविद्यालय, नागपुर की ओर से भी ‘सर्वश्रेष्ठ छात्र अवार्ड’ से भी सम्मानित किया गया था।
स्वामी विवेकानंद के विचारों से अत्यधिक प्रभावित होकर उन्होंने ‘चरित्र और राष्ट्र निर्माण’ का सपना देखा है। विवेकानंद विद्यार्थी भवन में अपने प्रवास के दौरान उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक और कला और परंपरा, भारतीय संत, भारतीय क्रांतिकारी, समाज सुधारक, आदि जैसे विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिए हैं। संकेत अपनी दिनचर्या, अध्ययन, प्रार्थना और रामकृष्ण मठ की विभिन्न सेवाओं में नियमित थे। इस दौरान उन्होंने स्टडी सर्कल के को-ऑर्डिनेटर, हॉस्टल के असिस्टेंट वार्डन, मैथ हॉस्टल के जूनियर स्टूडेंट्स के मेंटर जैसी विभिन्न जिम्मेदारियां संभाली।संकेत ने रामकृष्ण मठ के तत्कालीन वार्डन स्वामी ज्ञानमूर्तिानंद महाराज के प्रमुख रेव स्वामी ब्रह्मस्थानंद जी महाराज से मार्गदर्शन प्राप्त किया।