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अंग्रेज़ी बोली तो 90 लाख जुर्माना
मुंबई. आजकल अंग्रेजी का प्रयोग तेज से बढ़ रहा है. इसे ग्लोबल लैंग्वेज माना जाने लगा है. अंग्रेजी में गिटपिट करना स्टेटस सिंबॉल भी है. लोग मातृभाषा भूलते जा रहे हैं. लेकिन इटली में एक ऐसा कानून पारित हुआ है जिसके कारण इटलीवासी मातृभाषा का सम्मान करने लगे हैं. दरअसल यहां मातृभाषा से अलग भाषा में बात करने पर सज़ा का प्रावधान है.
ये है वजह
इटली में जब दस्तावेज़ों से लेकर आम बातचीत में भी अंग्रज़ी के शब्दों का इस्तेमाल बढ़ गया, तो सरकारी स्तर पर इस पर सोच-विचार होने लगा. इटली की एक पॉलिटिकल पार्टी की ओर से प्रस्ताव रखा गया कि विदेशी भाषा यानि अंग्रेज़ी के शब्दों का इस्तेमाल खत्म करना है, तो इसके लिए सज़ा का प्रावधान लाना होगा. ऐसे में प्रधानमंत्री जियॉर्जिया मेलोनी की पार्टी की ओर से सरकारी संचार के लिए अंग्रेज़ी के शब्द का इस्तेमाल करने पर सज़ा का प्रावधान रखा गया है. इसके लिए जुर्माने की रकम 4 लाख रुपये से लेकर 90 लाख रुपये तक रखी गई है. अब यहां अंग्रेजी का इस्तेमाल नहीं होता बल्कि मातृभाषा को प्रमोट करने के नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं.
मातृभाषा ही सब कुछ
अब यहां ऐसे अधिकारियों और राजनेताओं पर जुर्माना लगेगा, जो दूसरी भाषाओं के शब्द का इस्तेमाल बोलने या लिखने के दौरान करेंगे. इटली के लोगों का मानना है कि अंग्रेज़ी के इस्तेमाल से मातृभाषा का अपमान होता है. स्टडीज़ में ये बात सामने आई कि इटैलियन भाषा की डिक्शनरी में 9,000 इंग्लिश के वर्ड्स शामिल हैं.
भारत में भी हो
हमारे देश में कई बार आपने राजनेताओं को भाषणों में तो ये कहते हुए सुना होगा कि मातृभाषा का सम्मान करना चाहिए. कहा तो ये भी जाता है कि देश के दस्तावेज़ों से लेकर सारी चीज़ें मातृभाषा हिंदी में ही होनी चाहिए. वो बात अलग है कि ऐसा होता नहीं है. परंतु अब समय आ गया है जब राजनेतओं को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए और कम से कम देश में सरकारी कामकाज हिन्दी में करना अनिवार्य कर देना चाहिए.