maharashtra
‘कितनी मीठी जुबान है हिन्दी,भारत की आनबान है हिन्दी’
नागपुर में हिन्दी दिवस पर कवियों ने बांधा समां
प्राईम ह्यूमन राइट्स फाउंडेशन के बैनर तले हिन्दी दिवस पर कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें हिन्दी सेवा से जुड़े डिजिटल, अखबार और साहित्य से जुड़े कवियों ने खासा समां बांधा। इस दौरान मौजूदा दौर की सियासत को व्यंग के रूप पेश किया गया, वहीं हिन्दी भाषा के बढ़ते दायरे पर भी अनुभव साझा किए गए।फन विद लर्न कॉन्वेंट स्कूल में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता व्यंगकार टीकाराम शाहू ‘आजाद’ ने की। उन्होंने मौजूदा राजनीतिक हालात पर कुछ इस तरह व्यंग कसा।
रस्म धांधली, रिवाज चुनाव हो गए,
भ्रष्टाचार अंगद के पांव हो गए।
आश्वासन हुए मीठे सपनों के लड्डू,
योजनाएं ख्याली पुलाव हो गए।
इसके बाद मुख्य अतिथि, डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकार और शिक्षक तजिन्दर सिंह ने हिन्दी को देशभर की भाषाओं की लिंक लैंग्वेज बताया।
पवन-धरा और माटी की बोली,
उड़ते पंछी की चहक लिए।
बताओ जरा यह कौन सी भाषा,
जो अपनेपन की महक लिए।
कार्यक़म के आयोजक तथा मंच संचालन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल अमानी कुरैशी ने कहा कि हिन्दी भाषा मिठास लिए है, जिसमें भावनाएं, समर्पण और अपनापन का अहसास छिपा है।
कितनी मीठी जुबान है हिन्दी,
भारत की आनबान है हिन्दी।
सरल शब्दो में कहा जाए तो,
जीवन की परिभाषा है हिन्दी।
25 वषों की कड़ी मेहनत से रामायण के संस्कृत श्लोक का हिन्दी में काव्यानुवाद करने वाले एड मुरली मनोहर व्यास का सम्मान हुआ। कार्यक्रम के आयोजक प्रकाश गोखले ने कवियों का आभार प्रकट किया। इतिहास की किताब के पन्ने पलटें तो 14 सितम्बर 1949 के दिन आजादी के बाद हिन्दी को देश की मातृभाषा से गौरवान्वित किया गया था। जिसकी याद में प्रति वर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। संविधान के अनुच्छेद 343 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ। अनुच्छेद 351 के अनुसार हिन्दी का प्रसार बढ़ाने की बात की गई थी। हिन्दी के उत्थान को हिन्दी पखवाड़ा, हिन्दी सप्ताह, हिन्दी दिवस कहा जाने लगा।