बर्मिंघम. भारत की एक और बेटी ने कॉमनवेल्थ गेम्स में देश को मेडल दिलाया है. सुशीला देवी ने भारत की झोली में सिल्वर मेडल डाल दिया है. सुशीला देवी ने जूडो के 48 किलो वर्ग में ये मेडल अपने नाम किया. सोमवार 1 अगस्त को हुए फाइनल में सुशीला को साउथ अफ्रीकी जूडोका से हार का सामना करना पड़ा. मणिपुर की ये खिलाड़ी प्रिस्किला मोरांद को हराकर फाइनल में पहुंची थी. इस तरह 8 साल बाद सुशीला ने फिर से CWG में मेडल जीता है. हालांकि, गोल्ड का इंतजार उनका इस बार भी जारी रहा.

सुशीला देवी ने दूसरी ही बार कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लिया है. पहली बार वो ग्लास्गो में हुए खेलों में उतरी थी. 2014 में सुशीला ने सिल्वर मेडल हासिल किया था. इसके साथ ही वो कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला जूडोका बनी थीं. लेकिन पिछली बार 2018 में गोल्ड कोस्ट में खेले गए कॉमनवेल्थ खेलों में जूडो का खेल नहीं था इसलिए सुशीला देवी हिस्सा नहीं ले सकीं.
मणिपुर पुलिस की लेडी इंस्पेक्टर
सुशीला देवी मणिपुर की हैं. साल 1995 में जन्मी सुशीला ने महज 8 साल की उम्र से ही जूडो की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी. उनके चाचा खुद एक इंटरेशनल जूडो खिलाड़ी रहे हैं. वहीं उनका बड़ा भाई जूडो में दो बार का गोल्ड मेडलिस्ट है जो कि फिलहाल बीएसएफ में नौकरी करता है. खुद सुशीला देवी को 2017 में मणिपुर पुलिस की नौकरी मिलीं और फिलहाल वो इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं.
सुशीला हैं देश की दिग्गज जुडोका
सुशीला भारत की महानतम जुडोका में से एक हैं. इस खिलाड़ी ने साल टोक्यो ओलिंपिक में क्वालिफाई किया था और वो ये कारनामा करने वाली भारतीय इतिहास की इकलौती खिलाड़ी हैं. इसके अलावा सुशीला देवी ने साल 2019 कॉमनवेल्थ जूडो चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था. एशियन ओपन चैंपियनशिप 2018 और 2019 में इस खिलाड़ी ने सिल्वर मेडल जीता था. हालांकि पिछले साल ताश्कंत ग्रैंड स्लैम में सुशीला दूसरे ही दौर में हारकर बाहर हो गईं थी. लेकिन अब बर्मिंघम में उन्होंने अपना दम दिखा दिया है.