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‘लाडकी बहनें’ मुश्किल में

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10,000 बहनें  हुईं अपात्र

आवेदनों की जांच हुई शुरू

web desk, maharashtrakhabar24,com

Mumbai,12 December

मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना  को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, विधानसभा चुनाव की आचार संहिता खत्म होते ही लाडकी बहीण योजना  के तहत लंबित आवेदन की जांच शुरू हो गई है. जानकारी के मुताबिक, पुणे जिले में लाडकी बहीण योजना  के लिए आवेदन करने वाली करीब 10 हजार महिलाओं को अपात्र घोषित कर दिया गया है.

शुरू हुई जांच

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद लाडकी बहिन योजना  के तहत लंबित आवेदन की जांच शुरू कर दी गयी है. महिला बाल कल्याण विभाग ने जानकारी दी है कि पुणे जिले में 20 लाख 84 हजार आवेदकों को लाडली बहना योजना का लाभ मिला है.

12 हजार आवेदनों की जांच बाकी

पुणे जिले में लाडली बहना योजना (लाडकी बहीण योजना) के लिए 15 अक्टूबर तक 21 लाख 11 हजार 363 आवेदन स्वीकृत किये गये थे. चुनाव के चलते बाकि आवेदनों की जांच नहीं हो सकी थी. बताया जा रहा है कि 12 हजार आवेदनों की जांच अभी बाकी है.

रिपोर्ट्स के अनुसार, पुणे में 9,814 आवेदन त्रुटियों के कारण अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं जबकि 5,814 आवेदन में मामूली त्रुटियों के कारण अस्थायी रूप से खारिज कर दिए गए हैं. पुणे शहर से 6 लाख 82 हजार 55 आवेदन मिले हैं. 6 लाख 67 हजार 40 आवेदन स्वीकृत किये गये, जिनमें से 3 हजार 494 आवेदन अयोग्य घोषित कर दिये गये.पुणे जिले में कुल 21 लाख 11 हजार से अधिक आवेदन प्राप्त हुए. जिसमें से 20 लाख 84 हजार 364 आवेदन स्वीकृत किये गये और 9 हजार 814 आवेदन अपात्र घोषित कर दिये गये.

42 हजार आवेदन खारिज

पिंपरी-चिंववड में लाडली बहनों द्वारा 4 लाख 32 हजार 890 आवेदन भरे गए थे. इनमें से 3 लाख 89 हजार 920 महिलाएं इस योजना के लिए पात्र थीं तो वहीं 42 हजार 486 आवेदन खारिज कर दिए गए हैं.

इन वजहों से खारिज हो रहे आवेदन

1.जिन महिलाओं के घर में चार पहिया वाहन है, उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा. हालांकि चार पहिया वाहनों से ट्रैक्टर को बाहर रखा गया है.

2.जिन महिलाओं की संयुक्त वार्षिक पारिवारिक आय ढाई लाख से अधिक है, उन्हें अब लाडकी बहिन योजना का लाभ नहीं मिलेगा.

3.जो महिलायें या उनके परिवार के सदस्य इनकम टैक्स भरते है, उन्हें भी इस योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा.

4.लाभार्थी महिला के परिवार का सदस्य किसी सरकारी विभाग में नियमित, स्थायी, कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी के रूप में कार्यरत हो, साथ ही बोर्ड या भारत सरकार, राज्य सरकार के किसी स्थानीय निकाय में कार्यरत हो, साथ ही अगर उन्हें पेंशन मिल रहा है तो इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा.

5.यदि लाभार्थी महिला सरकार की अन्य वित्तीय योजना के माध्यम से लाभ ले रही है तो उसे भी लाडकी बहीण योजना का लाभ नहीं मिलेगा.

6.परिवार का कोई सदस्य वर्तमान या पूर्व विधायक, सांसद है, या परिवार का कोई सदस्य जिसके पास संयुक्त रूप से पांच एकड़ से अधिक कृषि भूमि है. उन्हें लाडकी बहीन योजना का लाभ नहीं मिलेगा .

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आसमान से बरसी आग

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4 जिलों का अधिकतम तापमान 44 डिसे.से ज्यादा

वेबडेस्क, नागपुर

समूचा विदर्भ लू की चपेट में है। अंचल के सभी प्रमुख शहरों में  तेजी से पारा चढ़ने लगा है. शनिवार को नागपुर में अधिकतम  तापमान 44.7 और अकोला में 44 डिसे. तापमान दर्ज किया गया. सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा. लोग घरों में बंद रहे. बाजार भी सूना रहा. बिजली की आंखमिचौली ने लोगों को परेशान किया. मौसम विभाग का मानना है कि अब तापमान और बढ़ेगा. गर्म हवाएं चलेंगीं. शनिवार को नागपुर विदर्भ में सबसे गर्म रहा. यहां का अधिकतम तापमान 44.7 डिसे दर्ज किया गया. विदर्भ के 4 जिलों का अधिकतम तापमान 44 डिसे.से ज्यादा रहा जबकि 7 जिलों में अधिकतम तापमान 40 डिसे. से ऊपर रहा.

कहां, कितना तापमान

नागपुर :    44.7

अकोला : 44.3

वर्धा: 44.2

चंद्रपुर :    44.1

अमरावती : 43.8

यवतमाल : 43.5    

वाशिम: 41.8

गोंदिया   : 40.6

बुलढाणा : 40.1

भंडारा : 40.0

(अधिकतम तापमान डिसे.में)

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‘पीपल’ को बचाने की लड़ाई

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नागपुरियों ने कायम की मिसाल

वेबडेस्क, नागपुर. यहां टेकड़ी लाइन के लोग एक बड़ी लड़ाई लढ़ रहें हैं। उनकी यह लड़ाई देश के लिए मिसाल है। आज जिस तरह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है उससे न सिर्फ मौसम बदला है बल्कि इंसान को कई तरह की बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है। पेड़ बचाओ का नारा सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गया। कई जंगल साफ हो गए।

 

ऐसे में नागपुरियों ने 200 साल पुराने पीपल के पेड़ को बचाने का बीड़ा उठाया। यह पेड़ बिल्कुल बाजार के बीचों-बीच है। कंक्रीट के जंगल के लिए इस पेड़ को काटने का फैसला किया गया था लेकिन यहां के लोगों ने हिम्मत दिखाई और कोर्ट पहुंच गए। पेड़ कटाई पर रोक लगा दी गई। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है। पेड़ जहां था, वहीं हैं।

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बहू-बेटियां सावधान : हाईकोर्ट ने कहा – दांत हथियार नहीं

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महिला ने ससुराल पक्ष पर काटे जाने का आरोप लगाया

वेबडेस्क,औरंगाबाद

एक महिला ने  ससुराल पक्ष के ऊपर दांतों से काटने पर धारदार हथियार से हमला करने और चोट पहुंचाने का आरोप लगाया था। हाईकोर्ट की संभाजीनगर (औरंगाबाद) पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इंसानी दांत को हथियार नहीं माना जा सकता।यहां हाल ही में एक मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला की ससुराल पक्ष पर दांत से काटे जाने का आरोप लगाया था। बंबई हाईकोर्ट ने महिला द्वारा उसके ससुराल वालों के खिलाफ की गई शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि मानव दांतों को ऐसा खतरनाक हथियार नहीं माना जा सकता है, जिससे गंभीर नुकसान की संभावना हो।हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ की जज विभा कंकनवाड़ी और न्यायमूर्ति संजय देशमुख ने 4 अप्रैल को अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता के चिकित्सा प्रमाणपत्र से पता चलता है कि दांतों के निशान से उसे केवल मामूली चोट लगी। इसी चोट के आधार पर महिला ने अप्रैल 2020 में एफआईआर दर्ज करवाई थी।

यह है मामला

थाने में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक ससुराल पक्ष के साथ हाथापाई के दौरान एक रिश्तेदार ने महिला को काट लिया, जिससे उसे खतरनाक नुकसान पहुंचा। पुलिस के मुताबिक महिला की शिकायत के आधार पर आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता के अनुसार चोट पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया था।

हाईकोर्ट का फैसला

  • मानवीय दांतों को खतरनाक हथियार नहीं कहा जा सकता।
  • इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपियों द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए केस को खारिज कर दिया।
  •  मामले में शिकायतकर्ता के मेडीकल सर्टिफिकेट से पता चलता है कि दांतों से केवल साधारण चोट लगी थी। इसके कारण यहां पर धारा 324 के तहत अपराध नहीं बनता है। ऐसे में ससुराल पक्ष या अभियुक्त पर केस चलाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करना होगा।

क्या कहता है कानून

आपको बता दें भारतीय दंड संहिता की धारा 324 (खतरनाक हथियार का उपयोग करके चोट पहुंचाना) के तहत, चोट किसी ऐसे उपकरण से लगी होनी चाहिए जिससे मृत्यु या गंभीर नुकसान होने की आशंका हो अगर ऐसा नहीं है तो यह मामला नहीं बनता है

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