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यहां सड़कों पर घूमते हैं डेढ़ लाख आवारा कुत्ते

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 टीम महाराष्ट्रखबर24 .नागपुर. महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर इस समय एक बड़ी चुनौती से जूझ रही है। इसका हल अब तक प्रशासन के पास नहीं है और वो चुनौती है शहर में बढ़ती आवारा कुत्तों की आबादी। यहां नगरीय प्रशासन इनकी बढ़ती आबादी को रोकने और इनके संरक्षण पर करोड़ों रुपए खर्च कर चुका है। इसके बावजूद इन आवारा कुत्तों की आबादी बढ़कर 1लाख 50 हजार हो गई है। 

पिछले दिनों आवारा कुत्तों व्दारा मासूम बच्चों को काटे जाने की कई घटनाएं सामने आईं हैं। इतना ही नहीं बल्कि इनकी वजह सड़क दुर्घटनाएं बढ़ गईं और कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।स्वावलंबी नगर में 27 मई को  एक 9 वर्षीय बच्चे को आवारा कुत्ते के काटने के बाद बढ़ते आवारा कुत्तों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग फिर से उठने लगी है।

कोरोना के चलते बढ़ी तादाद

पशुसंवर्धन विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते इनकी नसबंदी का काम नहीं हो पाया जिसके कारण शहर में आवारा कुत्तों की तादाद अचानक बढ़ गई। उन्होंने बताया कि शहर में 40 यानी 32 हजार आवारा कुत्तों की ही नसबंदी हो पाई है 60 हजार कुत्ते बिना नसबंदी के हैं। पशु चिकित्सक अनिल डोंगरे बताते हैं कि  सालभर में लगभग 30 हजार नए पिल्लों ने जन्म लिया। जिससे इनकी तादाद बहुत बढ़ गई।

धनराशि के लिए प्रस्ताव भेजा

नागपुर मनपा के पशु वैद्कीय अधिकारी डॉ. गजेन्द्र महल्ले ने बताया कि नसबंदी के लिए धनराशि की जरूरत है। इस बारे में हमने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा है। 5 माह पूर्व हमारी बैठक हुई थी लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के कारण काम रूक गया। पशु संवर्धन विभाग के सह आयुक्त डा. किशोर कुंभरे ने कहा कि कोरोना में कमी आने के बाद नसबंदी का काम शुरू किया जाएगा। गौरतलब है कि गत 3 साल में नसबंदी के लिए 94 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं।

हर रोज 60 लोगों को काटते हैं

शहर में आवारा कुत्तों की आबादी बढ़कर 1लाख 50 हजार हो गई है।आंकड़ों पर गौर करें तो शहर की जनसंख्या लगभग 30 लाख है यानी यहां हर 2 लोगों पर 1 आवारा कुत्ता तादाद रखता है। रिपोर्ट के मुताबिक ये आवारा कुत्ते हर रोज प्राय: 60 लोगों को काट लेते हैं यानी सालभर में करीब 23 हजार।

पशु प्रेम पड़ने लगा भारी

नागपुर के लोग पशु प्रेमी हैं। यहां सड़कों पर आप इन्हें आवारा कुत्तों को बिस्कुट खिलाते हुए देख सकते हैं। इतना ही नहीं बल्कि कई लोग ऐसे भी हैं जो इनकी देखभाल भी करते हैं। बीमार या दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर इनका इलाज भी करवाते हैं। परंतु इन आवारा कुत्तों की वजह से सड़कों पर वाहन चलाना मुश्किल हो गया है। टू व्हीलर  वालों के पीछे कुत्ते भागते हैं जिससे दुर्घटनाएं हो रहीं हैं। नाइट डयूटी करके घर लौटने वालों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वाकिंग करने वालों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सबसे ज्यादा बच्चे असुरक्षित हैं। नागरिकों में भय व्याप्त है। 

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गडकरी की ‘विकास’ से टक्कर

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वेब डेस्क. नागपुर. लोकसभा चुनाव में नागपुर की प्रतिष्ठित सीट पर कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को चुनौती देते हुए नागपुर शहर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष तथा पूर्व विधायक विकास ठाकरे को उतार दिया है। नागपुर लोकसभा सीट पर कड़ी टक्कर है। संघ समेत देश की नजरें इस सीट पर गढ़ी हुईं हैं। अब देखना यह है कि क्या गडकरी तीसरी बार चुनकर अपनी हैट्रिक पूरी करेंगे या ठाकरे गडकरी का सपना भंग करके इतिहास रच देंगे? बता दें कि नागपुर लोकसभा में वर्ष 2014 और 2019 में गडकरी ने कांग्रेस नेता विलास मुत्तेमवार और नाना पटोले को पराजित कर विजय हासिल की थी।

असंतुष्ट बिगाड़ सकते हैं ‘खेला’

बताया जाता है कि पार्टी का एक गुट गडकरी के ही खिलाफ काम कर रहा है जबकि कांग्रेस में हाईकमान के आदेश के बाद गुटबाजी करने वाले नेता ठाकरे के नाम पर एक हो गए हैं। इनकी एकता विकासपुरूष को भारी पड़ सकती है। इसके अलावा जातिगत समीकरण भी जीत के लिए महत्वपूर्ण है। कुणबी, तेली, बौध्द और मुस्लिम समाज का गठजोड़ किसी भी प्रत्याशी की हार-जीत तय करेगा।

रामटेक से बर्वे को टिकट

कांग्रेस हाईकमान ने रश्मि बर्वे के फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आरोपों के बावजूद रश्मी बर्वे के नाम का घोषणा कर दी है।हालांकि मंगलवार को हाईकोर्ट में उनके मामले पर सुनवाई होनी है। इधर कांग्रेस विधायक राजू पारवे के शिंदे गुट में शामिल होने की चर्चा है जिसका गुट में जमकर विरोध किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो  पूर्व सांसद तुमाने की जगह पारवे को टिकट दिया जा सकता है। संभावना है कि आज यानी रविवार शाम होने वाली बैठक में इसकी घोषणा भी की जा सकती है।

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नागपुरकरों के लिए शेयर ऑटो सुविधा

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महामेट्रो का नए साल का तोहफा

नागपुर. अब नागपुरकरों के लिए मेट्रो स्टेशन तक पहुंचना और यात्रा के बाद गंतव्य तक पहुंचना बहुत आसान हो जाएगा। क्योंकि अब महाराष्ट्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने यात्रियों के लिए सोमवार से शेयर ऑटोरिक्शा की व्यवस्था कर दी है। क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के  प्रस्ताव को हाल ही में कलेक्टर की अध्यक्षता वाली परिवहन समिति ने मंजूरी दे दी है और नए साल में महामेट्रो द्वारा यह सेवा शुरू की जाएगी। इससे मेट्रो स्टेशन तक पहुंचना और मेट्रो से यात्रा कर गंतव्य तक पहुंचना बहुत सुविधाजनक हो जाएगा। यह नागपुर के लोगों के लिए नए साल का उपहार होगा। महामेट्रो नए साल में यात्रियों के लिए शेयर ऑटो सेवा शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

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कांग्रेस MLA सुनील केदार को झटका

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बैंक घोटाले में 5 साल की सजा, 21 साल बाद आया फैसला

नागपुर. पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता सुनील केदार की मुश्किलें और बढ़ गईं हैं। बहुचर्चित नागपुर जिला बैंक घोटाला मामले में कोर्ट का फैसला आ गया है। नागपुर की विशेष अदालत ने कांग्रेस विधायक सुनील केदार और पांच अन्य को दोषी ठहराया है। जबकि सबूतों के अभाव में तीन अन्य को बरी कर दिया है। इस मामले में केदार को 5 साल की सजा सुनाई गई है। साथ ही 12.50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा है। नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (एनडीसीसीबी) घोटाला मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने शुक्रवार को सावनेर से कांग्रेस विधायक सुनील केदार को 150 करोड़ रुपये के घोटाले में दोषी ठहराया है। घोटाले के अन्य आरोपियों को भी सजा सुनाई गई है। महाविकास अघाडी (एमवीए) सरकार में मंत्री रहे सुनील केदार से जुड़े इस मामले में दो दशक से अधिक समय बाद फैसला आया है।

केदार समेत 11 आरोपी थे मौजूद

 

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ज्योति पेखले-पुरकर की अदालत में दोषियों को सजा सुनाई गई। सुनवाई के दौरान केदार के अलावा अन्य आरोपी भी अदालत में मौजूद थे। जांच एजेंसी की चार्जशीट में केदार और 11 अन्य आरोपियों पर आईपीसी की धारा 406, 409, 468, 471, 120-बी और 34 के तहत आरोप लगाए गए थे। आरोपियों में बैंक के पूर्व महाप्रबंधक अशोक चौधरी, तत्कालीन मुख्य अकाउंटेंट सुरेश पेशकर, महेंद्र अग्रवाल, श्रीप्रकाश पोद्दार, सुबोध भंडारी, कानन मेवावाला, नंदकिशोर त्रिवेदी, अमित वर्मा और मुंबई के स्टॉकब्रोकर केतन सेठ शामिल हैं। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने अग्रवाल के मामले पर रोक लगाई थी, जबकि मेवावाला फरार है।

क्या है मामला

2002 में जब 150 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था तब कांग्रेस नेता बैंक के अध्यक्ष थे। सीआईडी के तत्कालीन उपाधीक्षक किशोर बेले इस घोटाले के जांच अधिकारी हैं। जांच पूरी कर उन्होंने 22 नवंबर 2002 को अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। तभी से विभिन्न कारणों से सुनवाई पूरी नहीं हो सकी और मामला लंबित था।

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