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पुरी शंकराचार्य के विरोध के बाद राज्य सरकार झुकी, महोदधि तट पर शराब बिक्री का फैसला वापस लिया
अरविन्द तिवारी .जगन्नाथपुरी . पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धन मठ पुरीपीठाधीश्वर श्रीमद्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के निर्देशानुसार उड़ीसा राज्य प्रशासन ने पुरी महोदधि तट पर शराब बेचने के अपने निर्णय को वापस ले लिया है। राज्य सरकार द्वारा जनकल्याणार्थ लिया गया यह निर्णय स्वागत योग्य है।
ये है मामला
राज्य सरकार द्वारा तपोभूमि पुरी के समुद्र पर पाँच स्थानों पर शराब बेचकर तीर्थ भूमि को पर्यटन विकास के नाम पर सुरा और सुन्दरी का केन्द्र बनाने के प्रपंच का जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने कड़ा विरोध करते हुए राज्य प्रशासन को चेतावनी दी थी कि इस निर्णय को तुरन्त निरस्त किया जाए अन्यथा अगर बलपूर्वक तपोभूमि में शराब का व्यापार करने का निर्णय क्रियान्वयित किया तो सरकार का अस्तित्व ख़तरे में आ सकता है। पुरीपीठाधीश्वर श्रीमद्जगद्गुरू शंकराचार्य जी के निर्देशानुसार राज्य प्रशासन ने पुरी महोदधि तट पर शराब बेचने के अपने निर्णय को निरस्त कर दिया है। राज्य सरकार द्वारा सभी के हित में लिया गया यह निर्णय स्वागत योग्य है। सर्वविदित है कि हिन्दू राष्ट्र संघ के स्वप्नदृष्टा एवं हिन्दुओं के सार्वभौम धर्मगुरु पुरी शंकराचार्य जी के मार्गदर्शन में सनातन मानबिन्दुओं की रक्षा हेतु जनजागरण , राष्ट्र रक्षा अभियान हेतु पूरे राष्ट्र का प्रवास तथा प्रथम चरण में भारत , नेपाल एवं भूटान को हिन्दू
तीर्थस्थल को संरक्षित किया जाना जरूरी
राष्ट्र बनाने का अभियान संचालित है। पुरी शंकराचार्य जी का कथन है कि मठ से संचालित समस्त अभियान वास्तव में श्रीमन्नारायण एवं श्री शंकराचार्य परंपरा तथा गुरुओं द्वारा ही संचालित होता है , जिसके वे एक निमित्त मात्र बनते हैं। उनका मानना है कि प्रकृति के अवयव पृथ्वी , पानी , तेज , पवन , आकाश को विकृति से बचाकर शुद्ध रखना है तभी मानव जाति का अस्तित्व संभव हो सकेगा। इसके तहत समस्त तीर्थस्थल , पर्वत , नदी , समुद्र आदि को भी संरक्षित किया जाना आवश्यक है। इसी क्रम में पुरी के समुद्र स्थल के प्रति धार्मिक भावना उज्जीवित करने हेतु प्रतिदिन समुद्र आरती तथा वर्ष में एक बार वृहदरूप में महोदधि महोत्सव आयोजन के परंपरा की शुरुआत की गई थी। इस संबंध में पूर्व इतिहास है कि श्रीजगन्नाथ पुरी एक भगवत्धाम है और पुरुषोत्तम महोदधि तीर्थ क्षेत्र है।
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PM मोदी ने द्वारका में लगाई आस्था की डुबकी
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श्री कृष्ण की द्वारिका नगरी के किए दर्शन
द्वारका. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के द्वारका में समुद्र में गहरे पानी के अंदर गए और भगवान श्रीकृष्ण की नगरी के दर्शन किए। उन्होंने कहा कि यह एक दिव्य अनुभव था। उन्होंने उस स्थान पर प्रार्थना की जहां जलमग्न द्वारका नगरी है। उन्होंने कहा कि इस अनुभव ने मेरे सामने भारत की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक जड़ों के साथ एक दुर्लभ और गहरा संबंध प्रस्तुत किया।
Dwarka Darshan under the waters…where the spiritual and the historical converge, where every moment was a divine melody echoing Bhagwan Shri Krishna’s eternal presence. pic.twitter.com/2HPGgsWYsS
— Narendra Modi (@narendramodi) February 25, 2024
मोर पंख लेकर गए
पीएम मोदी अपने साथ भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करने के लिए समुद्र के अंदर मोर पंख लेकर गए थे। पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘पानी में डूबी द्वारिका नगरी में प्रार्थना करना बहुत ही दिव्य अनुभव था। मुझे आध्यात्मिक वैभव और शाश्वत भक्ति के एक प्राचीन युग से जुड़ाव महसूस हुआ। भगवान श्री कृष्ण हम सभी को आशीर्वाद दें’। इसके बाद उन्होंने ओखा को बेट द्वारका से जोड़ने वाले सुदर्शन सेतु का लोकार्पण किया। उन्होंने विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन, लोकार्पण एवं शिलान्यास भी किया।
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19 साल से ‘लटका’ है पुल
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सरकारें बदलीं पर, किस्मत नहीं बदली
बरसात में लोग जान हथेली पर रखकर नदी को पार करते हैं
आसिफाबाद. रमेश सोलंकी. कुमरम भीम आसिफाबाद मंडल में गुंडी के ग्राम में नदी पर पुल का निर्माण अधूरा होने के कारण ग्रामीणों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। गुंडीवागु पुल का निर्माण 2005 में शुरू हुआ था। करीब 19 साल हो गए हैं लेकिन अभी तक पुल लटका हुआ है। ग्रामवासियों को आसिफाबाद जाने-आने के लिए नाव में बैठकर नदी पार करनी पड़ती है।
आसिफाबाद से गुंडी ग्राम जाने के लिए ग्रामीण ऑटो और बाइक नदी किनारे खड़ी करके तैरकर भी आना-जाना करते हैं। बारिश के मौसम मेंआसिफाबाद के कोमराम भीम प्रोजेक्ट के पानी का स्तर बढ़ने पर नदी में पानी का स्तर बढ़ जाता है। जिसके कारण ग्रामीणों को आसिफाबाद को आने के लिए और आसिफाबाद से गुंडी ग्राम को जाने के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
नाव से आना – जाना पड़ता है
ग्राम वासियों को नदी पार करने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। नाव वाले ₹20 प्रति व्यक्ति से वसूलते हैं। हर साल न केवल गुंडी गांव के लोगों को बल्कि नंदुपा, चोरपल्ली, कनारगाम और अन्य गांवों के लोगों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। छात्र और मरीज बहुत परेशान है। नदी के दोनों और ऑटो वाले सवारियों का इंतजार करते हुए दिखाई देते हैं। जो बाइक से गांव जाने वाले बाइक को नदी किनारे खड़ा करके नदी पार करके अपने गांव जाते हैं। उनको रात में यह डर सताता है कि उनकी बाइक चोरी न हो जाए।
चुनाव के बाद भूल जाते हैं नेता
ग्राम वासियों का कहना है कि चुनाव के समय में नेता पुल का निर्माण कार्य पूर्ण करने का वादा करके ग्राम वासियों से वोट मांगते हैं और चुनाव जीतने के बाद गायब हो जाते हैं। ग्रामीणों ने सरकार से अनुरोध किया है कि पुल का निर्माण जल्दी करें।
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अभी तक की बड़ी खबरें
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